- हम अपने मस्तिष्क रूपी मोबाइल में कुछ भी एसएमएस भरते रहते हैं, तो कुछ दिन बाद वह हैंग होने लगता और मोबाइल को फॉर्मेट कराना पड़ता है, तभी सही स्पीड में चल पाता है।
amrutam अमृतम पत्रिका, ग्वालियर से साभार
- मोबाइल को समय समय पर पड़े हुए फालतू मेसेज, फोटो, वीडियो आदि डिलीट करते रहें, तो उसमें ज्यादा दिक्कत नहीं आती।
- ऐसा ही कुछ हमारा दिमाग है। हम दिन रात भगवान की प्रार्थना छोड़कर कुछ न कुछ द्वेष -दुर्भावना, गंदी भावना, लोगों की प्रताड़ना भरकर दुष्ट लोगों का सामना नहीं कर पाते, तो बुद्धि की शुद्धि होना रुक जाती है।
- इसलिए बेकार के विचारों को विराम देकर आराम से काम करते हुए सब ताम झाम और जाम यानि दारू छोड़कर सुबह शाम ।।ॐ शम्भू तेजसे नमः शिवाय।। का जाप आरंभ कर दें, तो देह से दम्भ और गम साफ होने लगेगा। मन हल्का रहेगा।
- पलका यानि पलंग पर गिरते ही नींद आने लगेगी। संग में आपका अंग अंग निखरने लगेगा। 2 महीने के जाप से लोग आपका चेहरे का रंग बदल जायेगादेखकर दंग रह जायेंगे। जीने का ढंग बदलेगा।
- आजकल ज्यादातर पति शादी, तो कर लेते हैं, किंतु सुरंग की खुराक यानि संतुष्टि दायक यौन संबंध नहीं बना पाते और फिर घर में रोज हुडदंग, उधम होता है। क्योंकि स्त्री चीज के लिए अपने माता पिता का घर छोड़कर आती है, उसकी पूर्ति ज्यादातर पति नहीं कर पाते।
- पलंग पर पहुंचते ही अधिकांश पतियों का लिंग तनकर किंगनहीं बन पाता। क्योंकि तंग गली में जंग लगा हथियार बेजान साबिक होता है। तन में सेक्स की तरंग केवल तनाव के कारण ही नहीं आ पाती।
- आदमी पत्नी के सामने अपंग सा महसूस कर खुद की गलती पर पर्दा डालकर पत्नी पर शक करने लगता है। मामला तालक तक पहुंच जाता है।
- संसार की नाव में बैठकर तनाव मुक्त नहीं हो सकते। सार इसी में कि जितना भी ध्यान और मंत्र जाप कर सकते हैं करें। इसी से तनाव मुक्त होकर जीवन का आधार बना सकेंगे।
- भौतिकता से भरे इस युग में आपस में कोई प्यार, व्यवहार से नहीं बचा। सबका मन तार तार हो रहा है।
- व्यापार में असत्य का आगमन हो चुका है। धार्मिक संत, कथावाचकों को धन कमाने का भूत सवार है। यहां नार नाच नाच कर तन, स्तन दिखाकर बेआवरू हो रही हैं।
- यार भी धाबाज हो गए हैं। पत्नी सदैव तनी थी रहती है। रविवार का दिन भी तनाव पूर्ण गुजरता है। लोगों में भयंकर खार, दुर्भावना भरी हुई है।
- अतः अमृतम् मन्थन यही है कि जीवन का सार और जीवन के पार केवल महादेव ही आसार है।
अमृतम् मासिक पत्रिका, ग्वालियर अंक : मार्च 2011 :
भाग-मत या भागवत्
- भागवत या राम कथा-भागवतों से एकत्रित कचरे को लोग ज्ञान समझने की भूल कर रहे है और ईश्वरवादी होने का ढोंग रचकर, हर कोई ज्ञान नहीं, धन एकत्रित करना चाहता है।
- धन सम्पदा छठी इन्द्रिय है जिसके पास पैसा है उसी की पांचों इन्द्रिय क्रियाशील हो जाती हैं और फिर त्याग, तो वही कर सकेगा जिस पर कुछ हो।
- कचरा फेंकने और फैलाने वालों को प्रवचन के माध्यम से यह एहसास कराया जाता है कि वह बहुत बड़े त्यागी पुरुष हो गए हैं।
- प्रवचन में भौतिक संसार सब माया है ये बताने वाले एक कथा के 10 से 25 लाख रुपए वसूल कर रहे हैं। सबने आंखे बंद कर रखी हैं।
- सारे चमत्कार हमारे अंदर होने के बाद भी जग जग भटकने से भय, भ्रम पैदा हो रहा है। अनावश्यक विचारों व वस्तुओं के दान को त्याग समझना भारी भूल है।
- रोज सुबह घर का कचरा बाहर फेंक देते हैं। अगर कोई चीज कचरा ही है, तो त्याग का क्या सवाल है ओर अगर कचरा न था तो तुम पागल हो, त्यागा ही क्यों ? ये सोचना जरूरी है।
- इस तरह की भय, भ्रान्तियों से भरे इंसान का भगवान भी साथ छोड़कर भाग रहा है। इस कारण लोगों का आत्मविश्वास क्षीण हो रहा है। उपनिषदों का महावचन है-
तेन त्यक्ते भुंजीथाः ।
- इसके दो अर्थ हो सकते हैं। पहला – जिन्होंने त्यागा, उन्होंने ही केवल भोगा। दूसरा – जिन्होंने भोगा, उन्होंने ही त्यागा ।
- संसार से मुक्त होना है, टूटना नहीं है। टूट कर जाओगे भी कहां? पत्नी है, बच्चे हैं, परिवार है, दुकान है- उसको छोड़कर तुम जाओगे कहां?
- कथा भागवत के प्रवचन संसार, विज्ञान के विरोध में ज्यादा है। कथावाचकों की वही पुरानी धारणा है कि लोगों को संसार से छुड़ाओ, ताकि वे परमात्मा को पा सकें। जबकि धारणा – भावना यह होना चाहिए कि लोगों को परमात्मा के निकट लाओ, ताकि संसार उनसे छूट सके।
- भोगने वाले ही त्याग करते हैं। जब कुछ इकट्ठा ही नहीं किया और भोगा ही नहीं, तो तुम त्यागोगे कैसे, क्या त्यागोगे। विचार करो…
- भोग की कीचड़ से त्याग का कमल खिलेगा। कीचड़ से बचने वाले कमल नहीं पा सकते। संसार रूपी कीचड़ में | ही चारों तरफ कमल खिल रहे हैं।
- कथावाचक छोड़ने पर जोर देते हैं। ईश्वर, गुरु, सिद्ध सन्तों का कहना है सब कुछ पाने की चेष्ठा करो!
- जब तुम्हारे हाथ में हीरे-जवाहरात आयेगें, तो कम से कम कंकर पत्थर फेंक ही दोगे। जिन लोगों ने पाने का कोई प्रयास ही नहीं किया उनसे क्या छुड़वाना चाहते हैं- ये कथित कथावाचक।
- मैंने ऐसे हजारों लोग देखे हैं जिनका जीवन कथा- भागवत सुनकर ही गुजर गया लेकिन वे आज भी ज्ञान, ध्यान धन और सुख-समृद्धि के क्षेत्र में हमेशा से फटेहाल हैं।
- मन की ये सब भागवत और राम कथा तन की तथा (शक्ति) और समय को नष्ट कर रही है। सभी का जोर त्याग पर है लेकिन ध्यान से बड़ा धन और धर्म संसार में अन्य कुछ भी नहीं है ।
- ॐ नमः शिवाय अथवा ॐ शंभूतेजसे नमः शिवाय मन्त्र के जप और ध्यान से संसार में ही सब कुछ समाया है।
- ईश्वर तथा ऐश्वर्य को पाने या कुछ चाहने की कामना हो, तो उसके लिए दिन-रात प्रयास करो । एक दिन परमात्मा स्वयं देने आता है, आयेगा ही।
- 27 मंगलवार भगवान शिव के शिवलिंग पर Madhu Panchmrit मधुपंचामृत से रुद्राभिषेक करावें तो, मांगलिक दोष, कर्ज, कालसर्प का निवारण होने लगता है।
- मानसिक व्याघात (स्ट्रेस) जानलेवा हो सकता है। तनाव मिटाने का अत्यंत सरल तरीका यही है आप सुनने की नहीं लिखने और अध्ययन की आदत बनाएं।
- लोग नए वीडियो, ऑडियो सुनकर स्वयं को कमजोर करते जा रहे हैं। अपनी ऊर्जा को किताबें पढ़कर एकत्रित करें।
अमृतम मानसिक स्वास्थ्य विशेषांक से साभार
- आज दूसरों की जिंदगी का तनाव कई लोगों की आजीविका का भी साधन बना हुआ है।
- स्वास्थ्य का दुश्मन है तनाव। ये आपकी कार्यक्षमता को घटाता है। साथ ही अनेक मानसिक, शारीरिक बीमारियां भी पैदा कर देता है।
- आज तनाव के कारण ही लोग मधुमेह, केंसर, थायराइड, पेट का अल्सर, कब्ज आदि की शिकायत शुरू हो जाती है।
- तनाव आज की नियति है । ‘तनाव में स्वयं रहिए और दूसरों को तनाव में रखिए !’
जाने तनाव के घाव
- तनाव अब जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। शायद आज से नहीं, सृष्टि में सभ्यता की शुरुआत से ही तनाव मनुष्य के साथ उसकी छाया की तरह चल रहा है।
- तनाव जीवन के लिए जरूरी भी है, लेकिन एक सीमा तक ही । उसका अतिरेक तरह-तरह की मानसिक और शारीरिक व्याधियां पैदा करता है ।
- आज की आपाधापी और प्रतिस्पर्धाभरी जिंदगी में तनाव को कुछ ज्यादा ही अनुभव किया जाने लगा है। या, यदि यह कहा जाए कि तनाव के अस्तित्त्व को ज्यादा अनुभव कराया जाने लगा है तो शायद गलत नहीं होगा, क्योंकि आज दूसरों की जिंदगी का तनाव कई लोगों की आजीविका का भी साधन बना हुआ है।
- आज तनाव से मुक्ति की विधा में आपको निष्णात बनाने की बड़ी-बड़ी फीस लेकर सेमीनारों और सत्रों में वे तकनीक समझायी जाती हैं, जिन्हें अपनाकर आप तनाव मुक्त अनुभव कर सकते हैं।
- साधु, संत, कथा वाचकों की दाल रोटी कमाने का जरिया भी तनाव बन चुका है।
- टेंशन-स्ट्रेस’ एक स्टेट्स अब सभ्यता का प्रतीक या सिंबल वैसे देखा जाए तो ‘टेंशन’, ‘स्ट्रेस’ (तनाव तो आम आदमी की भाषा का शब्द है, प्रतिष्ठा शून्य !) आदि शब्द एक खास जीवनशैली के प्रतीक और एक सीमा तक ‘स्टेट्स सिंबल’ भी बन गये हैं।
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों, प्रतिष्ठित प्रतिष्ठानों के समस्त सुविधापूर्ण जीवन बितानेवाले, आम आदमी की कल्पना के बाहर वेतन पानेवाले अधिकारी (स्त्री-पुरुष) ही आज ज्यादातर ‘स्ट्रेस’ और ‘टेंशन’ के ऐसे मरीज हैं, जिनके लिए स्वयं कंपनी देशी-विदेशी विशेषज्ञों को बुलाकर अच्छी खासी फीस चुकाकर सेमीनार आयोजित कराती हैं।
- तनाव पीडितों के आमोद-प्रमोद से लबालब अवकाश की व्यवस्था करती हैं, क्योंकि ऐसे प्रतिभासंपन्न, योग्य एवं कल्पनाशील, कर्मठ अधिकारी जितना अधिक तनाव मुक्त होंगे।
- कंपनी का कामकाज उतना ही अधिक चलेगा और अंततः कंपनी के लाभ में वृद्धि ही होगी ।
- प्राण भी ले लेता है- ‘स्ट्रेस’ या तनाव! इसीलिए एक शब्द आम हो गया है, ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ क्योंकि यह माना जाता है कि ‘स्ट्रेस’ का एक स्तर से ज्यादा बढ़ना संबंधों को बिगाड़ने में, नौकरी खो देने में, बीमार कर देने में एक बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है।
- क्रिकेट हो या फुटबाल के विश्व कप के पराजय का एक कारण स्ट्रेस भी रहता है।
- 1998 में हारी टीम ब्राजील की टीम के स्ट्राइकर रोनाल्डो का कहना है कि फाइनल मैच के पूर्व ‘स्ट्रेस’ के कारण ही उसकी तबीयत बिगड़ गयी थी।
- माना जाता है कि पेट में अलसर पैदा होने का एक कारण तनाव भी है।
- कभी-कभी तो ‘स्ट्रेस’-पीड़ित चिर-निद्रा में ही उससे मुक्ति पा सकता है।
- ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब तनाव ने या ‘स्ट्रेस’ ने अच्छे योग्य, अनुभवी, कार्यक्षम अधिकारियों के अंततः प्राण ही ले लिये हैं।
- यह भी देखा गया है, ऊंचे पद पर पहुंचने और उस पर बने रहने के लिए व्यक्ति को ‘स्ट्रेस’ को गले लगाना ही पड़ता है। जितनी अधिक और बड़ी जिम्मेदारी होगी, तनाव के भी उतने ही अधिक बने रहने की आशंका बनी रहेगी। लेकिन केवल उच्च पद या बड़ी जिम्मेदारी ही तनाव के एकमात्र कारक या कारण नहीं हैं ।
- तनाव के कारण तनाव के एक नहीं, अनेक कारण हैं । और, यह बहुत कुछ व्यक्ति-व्यक्ति पर भी निर्भर करता है।
- किसी के लिए एक स्थिति विशेष रच भी तनाव पैदा नहीं करती, दूसरे के लिए स्थिति ऐसा तनाव पैदा कर देती है कि मानो आसमान फट पड़ा हो।
- अत्यधिक संवेदनशीलता, अत्यधिक महत्त्वाकांक्षा, अपरे दायित्व के प्रति ईमानदारी भरा गहरा बोध, प्रतिस्पर्धा में हमेशा आगे रहने की ललक और पिछड़ न जाने का भय, अपने मनोनुकूल काम न होने पर उत्पन्न होनेवाली, दूसरे व्यक्तियों से की जानेवाली अपेक्षाओं का पूरा न होना, ऐसे अनेक कारण हैं, जो तनाव को जन्म दे सकते हैं।
- उच्च पदस्थ लोगों के लिए तो ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन आम निम्न वर्गीय या निम्न मध्य वर्गीय लोगों को तो अपने तनाव के साथ जीना पड़ता है और यह तनाव गृह-कलह, डांट-डपट, क्रोध और कभी-कभी संबंधों की टूटन में अभिव्यक्त होता रहता है।
- अखबार, मैगजीन में नियमित रूप से प्रकाशित स्तंभ ‘तनाव से मुक्ति’ को पढ़िए – पता लगेगा कि लोग किन-किन बातों से कैसे-कैसे तनावों के शिकार हैं। कभी-कभी तो अत्यधिक तनाव उन्हें खुदकुशी की कगार पर ला छोड़ता है।
- आज की दुनिया में तनाव से बचना मुश्किल है। बेरोजगारी, महंगाई, जीवन को सुखपूर्वक जीने के लिए तरह-तरह के आधुनिक उपकरण, उनके प्रलोभनकारी विज्ञापन, सीमित आय के कारण ऐसी वस्तुओं को खरीद पाने में असमर्थता, फिर उसके कारण उत्पन्न हीन भाव, ‘उसकी कमीज मेरी कमीज से सफेद क्यों है ?’ वाली मानसिकता, ये सब तनाव को पैदा करने और बढ़ानेवाली बातें ही हैं।
- क्या संभव है तनाव से मुक्ति? तनाव से मुक्ति के लिए यों तो बाजार में कई एलोपैथिक ड्रग्स,औषध उपलब्ध हैं, पर उनसे कोई पूर्णतः तनाव मुक्त होता हो, संदेह है।
- पश्चिमी दुनिया में ऐसी दवाओं को निस्सार समझकर योग और ध्यान का सहारा लिया गया है।
- भारत में भी कारपोरेट क्षेत्र की कंपनियां अपने अधिकारियों के लिए ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ को अपनाती हैं।
- ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ के ऐसे सत्र बड़ी-बड़ी पांच सितारा होटलों में आयोजित किये जाते हैं, जहां अधिकारियों को नकारात्मक विचारों की जगह सकारात्मक विचार लाने की प्रक्रिया मे निष्णात बनाया जाता है।
- खान-पान में संयम, अत्यधिक जल ग्रहण करने पर जोर दिया जाता है। उन्हें यह भी समझाया जाता है कि स्टेस काम के बोझ से कम, बिगड़े अंतर्संबंधों से ज्यादा होता है।
- बॉस की नाराजगी का भय, सबके सामने अपमानित कर दिये जाने की आशंका जैसी बातें अंतर्संबंधों में व्यवधान पैदा करती।
- तनाव नष्ट करता है आपकी ऊर्जा धीरे-धीरे लोग तनाव में रहने के आदी हो जाते हैं, तनाव से उत्पन्न खतरों को जानने के बाद !
- लेकिन वे यह नहीं जानते कि यह तनाव उनकी ऊर्जा को ही नष्ट किये दे रहा है।
- अतः तनाव से मुक्त होने की विधियों को जानने के साथ-साथ ऊर्जा को संचयित करने की प्रक्रिया का जानना भी लाभदायक होगा ।
- मुसकराइए और स्वस्थ अनुभव कीजिए तनाव या स्ट्रेस को दूर करने में आपकी मुसकान मात्र अत्यधिक सहायक हो सकती है।
- अमेरिका के मिशीगन विश्वविद्यालय के सामाजिक अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. राबर्ट जाजोनिक का कहना है कि ‘स्ट्रेस’ के बढ़ते स्तर को कम करने में आपकी मुसकान बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है।
- जब आप मुसकराते हैं तो आप नाक से सांस लेते हैं और अपने चेहरे की शिराओं पर दबाब डालते हैं। परिणामस्वरूप मस्तिष्क के हाइपोथालायस नामक क्षेत्र में शीतल रक्त प्रवाहित होता है।
- यह प्रक्रिया ऐसे रसायनों का स्राव करती है जो आपके दर्द को दबा सकते हैं । यही नहीं, उनके कारण आप बेहतर भी अनुभव करने लगते हैं।
- सरल शब्दों में जब आप नाक से सांस लेते हैं तो नासिका रंधों में शीतल वायु प्रविष्ट होती है, जो उसमें प्रवाहित होनेवाले रक्त को शीतल करती है।
- मुसकराहट वाली मांसपेशियों का इस्तेमाल आपके चेहरे में होनेवाले रक्त प्रवाह की दिशा बदल देता है, फलतः रक्त का तापमान गिर जाता है ।
- फायदेमंद है अकारण अट्टहास इस सिद्धांत के व्यावहारिक प्रयोग से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं। इसीलिए ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट’ के सत्रों में बिना बात हंसने के लिए प्रेरित किया जाता है।
- अनावश्यक हंसने की प्रक्रिया सेअवश्य परिचित होंगे। ऐसा अट्टहास तनाव को दूर करता ही है, साथ ही आपके फेफड़ों को भी गतिशील कर देता है।
- ऊर्जा का संतुलन पत्र बनाइए ऊर्जा का प्रबंधन भी तनाव या स्ट्रेस दूर करने और आपकी ऊर्जा को संचित करने में सहायक हो सकता है।
- अतः सबसे पहले अपनी ऊर्जा का संतुलन पत्र (बैलेंस शीट) बनाइए।
- तनाव आपकी कार्यक्षमता तो घटाता ही है – कभी-कभी तरह-तरह की मानसिक-शारीरिक व्याधियां भी पैदा कर देता है।
- केंसर जेसी जानलेवा व्याधि, डिप्रेशन, अशांत जीवन, पेट के अलसर का एक प्रमुख कारण तनाव भी है।
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- इन पांच सरल उपायों को अपनाकर : आसन : या बैठने का ढंग, मुद्रा या अंगरेजी में ‘पोस्थर’ : सबसे अच्छा आसन या बैठने का ढंग वह कहा जाता है, जिसमें आपकी मांसपेशियां और अस्थियों का संतुलन होता है, जो आपके शरीर को विकृत होने से बचाये रखता है।
- इसमें शरीर पर कम-से-कम जोर पड़ता है और हृदय, फेफड़े तथा अन्य अंग अपना-अपना काम कुशलतापूर्वक करते रहते हैं । पद्मासन और सिद्धासन ऐसे दो आसन हैं जिनमें शरीर के अंगों पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ता। शवासन, सुखासन भी ऐसे ही उपयोगी आसन हैं।
- अनावश्यक भाग-दौड़-शारीरिक ही नहीं, मानसिक भी, आपकी ऊर्जा का क्षय करती रहती हैं।
- आप बिना कुछ किये, घोर मानसिक उथल-पुथल से ग्रस्त हो सकते हैं। ऐसी दशा में आपके जबड़े भिंच सकते हैं, मुट्ठियां कस सकती हैं, पेट सख्त हो सकता है।
- आप कुरसी पर झूल सकते हैं, अपने वजन को इधर-उधर करने में जुट सकते हैं। ऐसी दशा में जब मांसपेशियां अकारण संकुचित होने लगती हैं, तब आपके मस्तिष्क को भ्रम की भावना का संदेश मिलता है और आप ‘नर्वस स्ट्रेस’ के शिकार हो जाते हैं।
- यह आपकी कार्यक्षमता ही नहीं घटाता, वरन आपको अंततः नकारा भी बना सकता है।
- अतः योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने की आदत डालिए । योजना बनाकर कार्य करने के फलस्वरूप आप अपनी ऊर्जा को बचा सकते हैं, उसके बेहतर उपयोग के लिए । आराम करने या ‘रिलेक्स’ होने कौशल विकसित कीजिए।
- ऊर्जा के अपव्यय को रोकने के लिए अच्छा शारीरिक और मानसिक विश्राम जरूरी है।
- ‘रिलेक्स’ करना भी एक कला है और इस कला में पारंगत बनाता है— शवासन। शवासन तन और मन को अनुशासित करने का अच्छा तरीका है।
- शवासन के दौरान और उसके बाद खुद को हलका और तरोताजा महसूस करते हैं।
- जब आपकी ऊर्जा का क्षय होने लगता है। तो सारे मानसिक-शारीरिक क्रियाकलाप अस्त-व्यस्त हो जाते हैं।
- ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करने का आसान और बेहतर तरीका है — गहरे सांस लीजिए।
- उत्तेजना या तनाव के क्षणों में तो ऐसा जरूर कीजिए। ऐसा करने से आपकी ‘नर्वस सिस्टम’ को कोई क्षति नहीं होने पाएगी।-
- प्राणायाम के बारे में प्रायः सभी जानते हैं। प्राणायाम सांस लेने की एक सुनिश्चित लय भी है।
- शरीर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं, जो प्राणायाम से लाभान्वित न होता हो।
मानसिक दृष्टिकोण शांत-गंभीर रखिए
- तन और मन, एक ही ऊर्जा से संचालित होते हैं। मानसिक तनाव के साथ-साथ शारीरिक तनाव आता ही है। ‘चोली-दामन’ का साथ है दोनों में।मन शरीर को बेहद प्रभावित करता है। उसे व्याधि मुक्त भी रख सकता है और व्याधियों से युक्त भी।
- क्रोध, चिंता, ईर्ष्या, द्वेष ये सब ऊर्जा क्षय के जबर्दस्त कारण हैं।इनसे बचिए।सुबह उठते ही संकल्प कीजिए ! आज का दिन मैं अपने विचारों और दृष्टिकोण तथा व्यवहार को शांत और प्रसन्न रखने की कोशिश करूंगा।’तनाव : आज की नियति लेकिन इतना सब करने के बाद भी क्या तनाव से मुक्ति मिलेगी ? पूछा जा सकता है।पूर्णतः तनाव मुक्त हो जाएंगे, ऐसा दावा करना व्यर्थ है। क्योंकि हम सब आखिर इनसान हैं, राग-द्वेष, ईर्ष्या, माया-मोह, उत्कर्ष की आकांक्षा शायद हमारे खून में प्रवाहित हो रही है। और ये सब जरूरी भी हैं।
- यदि ये सब न हों तो फिर जिंदगी में रस क्या है ? शायद इसीलिए तथाकथित देवता भी इन ‘गुणों’ या मूलभूत भावनाओं को नहीं त्याग पाये । तो फिर क्या यह माना जाए कि तनाव आज की नियति है।
- तनाव का एक सकारात्मक पहलू भी है। यदि आप अपने तनाव के कारणों का विश्लेषण करते हैं तो वह आपको सही निर्देश भी कर सकता है।आप व्यक्तियों को, प्रसंगों को सही परिप्रेक्ष्य में देख सकते हैं और सही निर्णय कर सकते हैं।अब सोचना आपको है कि’स्वयं तनाव में रहिए और दूसरों को भी तनाव में रखिए !’Amrutam पत्रिका की यह वैदिक खोज आपके जीवन में उत्साह, उमंग का संचार कर जीवन को सात्विक बनाएगी और आप हमेशा स्वस्थ्य, प्रसन्न, खुश रहेंगे।हालांकि डिप्रेशन पर लगातार शोध किया जा रहा है। अकेले अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने डिप्रेशन से बचाने और इस महा भयंकर रोग पर शोध पर 20 साल में 1 लाख 82 हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। लेकिन नतीजा शून्य निकला।अब अमेरिका, यूरोपीय देश भारत के जंगलों में आदिवासियों के साथ अवसाद नाशक यदि बूटियों की खोज कर रहे हैं।दुनिया के अनेक वैज्ञानिक बनारस यूनिवर्सिटी, गुजरात के जामनगर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में अनुसंधान में जुटे हैं, ताकि डिप्रेशन से पूर्णतः मुक्ति मिल सके।आयुर्वेद की तरफ रुख, भरोसा बढ़ाभारत की लाखों साल जड़ी बूटियों जैसे ज्योतिमति, शंखपुष्पी, चंदन, ब्राह्मी, रक्तचंदन, स्मृतिसागार रस, त्रिफला, हरड़ मुरब्बा, गुलकंद पर मस्तिष्क वैज्ञानिकों ने पुनः खोज आरंभ कर दी है।चरक संहिता, भावप्रकाध निघंटू, द्रव्यगुण विज्ञान, माधव निदान आदि हजारों आयुर्वेदिक ग्रंथों का फिर से अनुसंधान, अध्ययन किया जा रहा है।आयुर्वेद के 5000 साल पुराने ग्रंथों का गहन अध्ययन, अनुसंधान, चिंतन करने के बाद मानसिक बीमारियों की एक हानिरहित ओषधि amrutam, अमेजन, amala.earth से मंगवा सकते हैं। येBRAINKEY Gold Malt और टेबलेट के नाम से दो दवाएं आती है। इन्हे कम से कम एक साल तक सेवन करने से माइंड डिटॉक्स हो जायेगा।ब्रेन की गोल्ड के घटक द्रव्य और फायदे जानेAmrutam Brainkey Gold Malt |A Natural Formula For Your Mental Immunity● Amrutam’s Brainkey Gold Malt is our favorite vedic recipe, which is filled with Ayurvedic herbs like Shankhpushpi, Brahmi, Jatamansi and Ashwagandha.
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