यौन रोगों का आयुर्वेद में क्या ईलाज हैं?

लिकोरिया, श्वेत प्रदर, सफेद पानी की लगातार शिकायत के कारण योनि हमेशा गीली बनी रहती है और धीरे धीर योनि में शिथिलता और ढीलापन आने लगता है। ऐसी स्त्रियों को रतिक्रिया में न रुचि रहती है और न ही आनंद की अनुभूति होती है।
चरक संहिता में 20 प्रकार की योनियों का वर्णन है और उनके रोग भी भिन्न भिन्न बताए हैं।
योनि ढीली होने की वजह भी जाने

आज अधिकांश महिलाएं सोमरोग यानि पीसीओडी या पीसीओएस से पीड़ित हैं।
श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, लिकोरिया आदि समस्यायों के कारण योनि से सफेद पानी रिसता रहता, जिससे योनि ढीली होने लगती है।
आयुर्वेद मान्यताओं को माने, तो जब तक किसी भी बीमारी का इलाज अंदरूनी रूप से नहीं किया जाए, तब तक रोग परेशान करते हैं।
यदि किसी को ढीली योनि को तंग या टाइट करना है, तो पीसीओडी की चिकित्सा सबसे पहले करना जरूरी है।
आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में योनि की शिथिलता दूर करने के लिए अनेकों घरेलू उपायों का उल्लेख मिलता है।
लेकिन ज्यादातर योग कठिन होने के कारण और शुद्ध जड़ी बूटियां नहीं मिलने से महिलाएं अपना इलाज सही समय पर नहीं कर पाती। इस पर ध्यान नहीं दे पाती। आयुर्वेद में स्त्रियों के गुप्त रोगों का शर्तिया इलाज है

नारी सोंडारिया माल्ट पीसीओएस, पीरियड दर्द और मिजाज सहित विभिन्न महिलाओं की स्वास्थ्य चिंताओं को दूर करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। अशोक, लोधरा और शतावरी के शक्तिशाली संयोजन के साथ, यह माल्ट हार्मोन को संतुलित करने और अनियमित अवधि के प्रबंधन में मदद करता है।

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