चिन्ता नहीं चिन्तन-
सभी मानते हैं कि चिन्ता चिता जलाती है यह बात लेफ़्टिज अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए बायें हाथ वाले सदा चिंतन, मंथन अध्ययन और लेखन में व्यस्त रहते हैं।
आस्ट्रेलियन शोधकर्ताओं का कहना है कि…..बायें हाथ वाले चिंता कम, चिन्तन ज्यादा करते हैं। सोचने-समझने की क्षमता तेज़ होने के कारण लेफ्टी हर मुक़ाम पर चेम्पियन होते हैं।
न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट के अनुसार–
लेफ्ट व राइट (बायें औऱ दाएँ) हेमिस्फयर में सम्बन्ध होने के कारण उल्टे हाथ से लिखने, काम करने वाले (लेफ़्टिज) का दिमाग बहुत ही तेज़ व शार्प होता है।
लेफ़्टिज केवल उन्नति, ऊँचा उठने, कुछ कर गुजरने, देश समाज, घर-परिवार का भला करने का मूलमन्त्र का सारतत्व अपने पास रखते है औऱ सारहीन बातें जल्दी भूलकर अपने मन-मस्तिष्क से विदा कर अपने दिमाग से निकाल फेंकते हैं। यह लोग पैसे की जगह प्रसिद्धि के लिए ज्यादा प्रयास करते हैं।
बायें हाथ का कमाल-
बायें हाथ वाले लेफ़्टिज आसानी से दिमाग के दोनों हिस्सों का इस्तेमाल करते हैं। एक प्रयोग के दौरान एक लेफ़्टिज डॉक्टर निकचियरब्यून ने पाया कि विचारों के आदान-प्रदान औऱ विपरीत परिस्थितियों में या घाटा व परेशानियों के समय लेफ़्टिज दिमाग के दोनों हिस्सों का भरपूर उपयोग कर महान कष्टों से भी मुक्ति पा जाते हैं।
घाटा ही लेफ़्टिज का गुरु होता है
लेफ़्टिज हमेशा घाटा-नुकसान सहकर अनुभव एकत्रित करते हैं। लेफ़्टिज कभी भी बाधा व व्याधि, घाटा औऱ घाटी से नहीं घबराते।घाटा ही इनका गुरु होता है। यह बादाम खाकर बुद्धिजीवी नहीं बनते, बल्कि ठोकर खा-खाकर ठाकुरजी बन जाते हैं।
मौके का फायदा उठाने में ये दक्ष होते हैं, लेकिन स्वार्थी बिल्कुल नहीं होते। ये किसी के धोखे में नहीं आते, इन्हें धोखा देना आसान नहीं है।महत्वपूर्ण वार्तालाप या चर्चा तथा व्यापारिक गतिविधियों के दौरान इनके दोनों दिमाग तेजी से काम करते हैं।
कलाकार लेफ़्टिज
लेफ्टी कला चुराने में माहिर होते हैं। किसी भी कार्य को एक बार देखने पर ये हूबहू कर सकते हैं। काम करते या सीखते समय यह दिमाग के दोनों हिस्सों के भरपूर उपयोग करते हैं।लेफ़्टिज के दिल में कोई बात चुभ जाए, या फिर बदला लेने का प्रतिशोध जाग जाए, तो दुश्मन को पूरी तरह तबाह कर देते हैं। जीवन में कभी अपमान और धोखे का बदला लेना नहीं भूलते।
अनूठा है अंगूठा–
लेफ़्टिज यह बात बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि..
चार अंगुलियां-एक अंगूठा, सब झूठा सत्य नाम है शंकर।
वृक्ष में बीज, बीज में बूटा, जग रूठा संग साथ है शंकर।।
मेडिकल साइंस के स्त्री रोग विशेषज्ञ तथा लेफ़्टिज वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि- प्रत्येक बच्चा अपनी मां के गर्भ में ही अंगूठा चूसने लगता है। गर्भस्थ शिशु जिस हाथ का भी अंगूठा चूसने में इस्तेमाल करता है, वही हाथ बच्चों के जीवन में मुख्य भूमिका निभाता है ।
आदत से इबादत–
न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट एवं न्यूरोसांईटिस्ट मैगज़ीन के अध्ययनकर्ताओं ने एक प्रयोग का जिक्र किया है। इस प्रयोग में चिकित्सकों के एक दल ने गर्भ में पल रहे करीब 80 बच्चों पर अध्ययन में पाया कि 60 बच्चे दाएँ हाथ (राइट हैंड) का औऱ 20 बच्चे बायें हाथ का अंगूठा चूस रहे थे।
सभी बच्चे जब 10-12 वर्ष के हुए, तो चिकित्सकों ने पाया कि.. जो बच्चे गर्भ में लेफ्ट अंगूठा चूस रहे थे, उनमें 15 बड़े होकर लेफ्ट हेंडर्स थे। शेष 5 बच्चे माँ-बाप की डांट-फटकार के कारण लेफ्टी नहीं बन सके।
लेफ़्टिज का जीवन जीन में
सन 2007 में एक लेफ़्टिज वैज्ञानिक ने एक रिसर्च में पाया कि लेफ्टी के शरीर में परमेश्र्वर प्रदत्त एक ऐसी जीन है, जो बच्चों को बचपन से ही लेफ्ट हेंडर्स बनाने के लिए प्रेरित करती है।यह जीन यदि एक कदम और आगे बढ़ जाये, तो वे लेफ्टी पागलपन की कगार तक पहुंच सकते हैं। एक कदम पीछे होने से अधिकांश लेफ्टी अत्यंत तेजस्वी अर्थात शार्प माइंड होते हैं।
हरि और हरियाली के प्रेमी लेफ़्टिज…
लेफ्टी हरदिल अजीज, हरफनमौला, हर दुःख के साथी, हरि और हरियाली से हर पल लगाव रखने वाले होते हैं। हर क्षेत्र के जानकार, भावुक होते हैं तथा अध्यात्म, क्रूरता और भौतिक तीनों क्षेत्रों में अपना परचम लहराते हैं।
लेफ्टी होते हैं साउथ पॉ…
कभी किसी समय वामहस्त के व्यक्ति को साउथ पॉ और सिनिस्ट्रिल भी कहा जाता था, जिसका मतलब उल्टा, अशुभ, बुरा होता है, लेकिन जब लेफ़्टिज आगे बढ़े, सफल हुए तो लोग इन्हें सम्मान की दृष्टि से देखने लगे।
नजरों को बदला, तो नजारे बदल गए
कुछ समय पूर्व एक रिसर्च के दौरान पता लगा कि अधिकांश लेफ़्टिज अथाह धन संपदा रखने वालों की श्रेणी में शुमार हो चुके हैं।
विश्व में समान्य लोगों से 35 फीसदी ज्यादा अमीर लेफ्टीज हैं। 13 फीसदी में से 70 से 80 प्रतिशत लोग अपने-अपने क्षेत्रों में सफल हुए हैं। 72 फीसदी स्नातक, 45% पोस्ट ग्रेजुएट हुए हैं। आज तक सर्वाधिक नॉवेल पुरुस्कार वाम हस्त को मिले हैं।
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