दुनिया में बहुत कम लोग जानते हैं कि परम शिव भक्त, महर्षि पिप्पलाद के शिष्य शनि ही व्यक्ति को धनी बनाते हैं! शनि से जिसकी हुई तनातनी उसकी जनी यानि पत्नी धनी परिवार को तबाह कर देती है amrutam.Global भाग दो

राजा नल की तपस्थली तिरुनल्लार

पांडिचेरी के पास सृष्टि का एक मात्र स्वयम्भू शनि मन्दिर तिरुनल्लार के दर्शन करें। यहां भी शनि का छाया दान होता है। शिवलिंग के दर्शन करें।

ग्वालियर के पास मोरेना ज़िले के शनिचरा मन्दिर के दर्शन रविवार/संडे को दोपहर 11.35 से 12.56 के बीच राहु की तेल से अपनी उम्र के अनुसार दीपक जलाकर, अपनी गलतियों की क्षमा मांगे। दर्शन करने के बाद जब घर पर लोटे, तो वही कुंड में स्नान करके ही वापस आये।

मुझे शनि की महादशा में उपरोक्त पूजा से बहुत ज्यादा लाभ हुआ। यह उपाय काशी में स्थित श्मशानेश्वर स्वयम्भू मन्दिर में तपस्वी एक अवधूत ने बताया था।

कैसे बनता है Raahukey oil

अमृतम राहु की तेल निर्माण का फार्मूला भी एक सिद्ध योगी अघोरी ने ही बताया। इससे अनेक लोगों को लाभ हो रहा है। राहु की तेल की प्रत्येक शनिवार पूरे शरीर में धूप में बैठकर मालिश करने से भी शनि की कृपा बनी रहती है। आप आजमाकर देख सकते हैं।

शनि के प्रकोप या विशेष कष्ट के समय रविवार की पूजा का विधान स्कंदपुराण, श्री भक्तमाल, संस्कार चंद्रिका, प्रतीक शास्त्र, चमत्कार चिंतामणी आदि पुस्तकों में भी विभिन्न तरीके से बताया है।

शनिदेव क्या दुष्ट या ख़राब ग्रह हैं

हमारे कर्म और विचार ही खराब होते हैं। ग्रह कभी किसी का अनिष्ट नहीं करते। यह भ्रम है।दुनिया के ज्योतिषियों ने कालसर्प, पितृदोष, शनि की साढ़ेसाती आदि के नाम से डराकर अरबों-खरबों का कारोबार डाला। फिर, भी समस्या जस की तस है।

भगवान शनि न्याय के देवता हैं। वयः ब्रह्माण्ड के न्यायाधिपति हैं। वे किसी को भी नहीं छोड़ते।जन्मपत्रिका में शनि जिस स्थान पर बैठते हैं उस भाव को शक्तिप्रदाता बना देते हैं। शनिदेव की दृष्टि खराब मानी जाती है। जैसे- कोर्ट-कानून की निगाह में आप आ गए, तो निश्चित ही जीवन खराब हो जाएगा। लेकिन देश में कोर्ट-कानून के होने या बैठने से आम जनता की बहुत सुरक्षा होती है।

शनि कुंडली में अगर स्वग्रही अर्थात मकर-कुम्भ राशिगत हैं, तो उनकी दृष्टि भी फलदायी रहती है।ज्यादातर ज्योतिष के जानकार शनि, राहु, केतु कमजोर, दूषित बताकर जातक को भयभीत बनाते हैं।

जब शनि से तनी हो तो शनि को कैसे करें प्रसन्न-शनिवार का दिन अक्सर सभी का तना तनी में गुजरता है। संसार में अधिकांश अकाल मृत्यु, दुघर्टनायें शनिवार को ही घटित होती है।शनि की जनी (पत्नी) के शाप के कारण शनि की कुदृष्टि से सब कुछ पल भर में तबाह हो जाता है।

जन्म पत्रिका में यदि शनि प्रथम,छठे, या ग्यारहवें भाव में स्थित हो,तो स्वर्ण , दूसरे, पाँचवे या नौवे स्थान पर (राशि में नही) विराजमान हो, तो रजत (चाँदी के पाये) पाद में, तीसरे, सातवें या दसवें भाव में बैठे हो तो ताम्र पाद में तथा चोथे आठवें अथवा बारहवें भाव में स्थित होने पर लौह पाद शनि ग्रह के अलग-अलग पाद (पायें) में स्थित होने के फल इस प्रकार है कि –

यदि जन्म पत्रिका में शनि स्वर्ण पाद के हो अर्थात ६,८, ११ वे भाव में हो,तो सम्पूर्ण जीवन सुख प्रदान करते है।ताम्र पाद यानि ३, ७, दशवें स्थान के शनि समता लौह पाद के शनि धन, तन तथा मन का पूरी तरह विनाश कर सकते है।

रजत चाँदी पाद यानि 2, 5, 9 भहाव के शनि सबसे शुभकारी, सौभाग्यशाली हैं।
लौह पाद के शनि जातक को जीवन भर परेशान करते रहते हैं, इन्हें समय-समय पर लौहा, तेल तथा बर्तन का दान प्रत्येक शनिवार हर हाल में करते रहना चाहिए।

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