इस ब्रह्माण्ड के प्रथम अघोरी भगवान शिव हैं और शिवजी के 5 मुखों में एक मुख अघोर भी है।अघोरियों के बारे में एक क्रम से पांचवा लेख है। पूर्व के चार क्योरा और अमृतम पत्रिका पर उपलब्ध हैं –
वेद में अघोर मंत्र बहुत प्रसिद्ध है और जब कोई असाध्य रोग जैसे केंसर आदि किसी भी इलाज से ठीक न हो, तो अघोर मंत्र का 88000 जप कर दशांश हवन करने का निर्देश अघोर तंत्र में दिया है।
बड़ी से बड़ी मुसीबत, गरीबी, दुःख अघोर मंत्र के जाप से मिटने लगते हैं और सिद्धियों का अंबर लग जाता है।
हम क्योरा और amrutampatrika.com वेबसाइट पर अघोरियों के बारे में बहुत विस्तार से लिख चुके हैं। लिंक क्लिक कर पढ़ सकते हैं
अघोरी बाबा कहाँ मिलेंगे? के लिए Ashok Gupta का जवाब अघोरी बाबा कहाँ मिलेंगे?
जीवन में लगभग 145 से ज्यादा सिद्ध अघोरियों, अवधूतों के दर्शन कर अघोर रहस्यों को समझा। उज्जैन के विक्रम घाट, गोरखपुर, रायगढ़, बिरसिंहपुर, बिहार, कामाख्या, नेपाल और दक्षिण भारत, हिमाचल, उत्तरांचल, यूपी के अनेक जंगलों और उड़ीसा के मलकान गिरी की खाक छानी और अघोरी के बारे में सब कुछ बारीकी से जाना।
अघोरी साधु बहुत प्रेम करने वाले स्वभाव के होते हैं। मुझे कुछ संत अशोक अघोरी के नाम से पुकारते थे। अब भारत में शुद्ध और सिद्ध अघोरियों की संख्या बहुत कम होती जा रही है।
गुरु गोरखनाथ, भरतहरी, गुरु दत्तात्रेय, संत कीनाराम, कालू अघोरी, महर्षि दुर्वासा आदि अघोरियों की लंबी श्रृंखला है।
आज हम काशी के पड़ाव नामक स्थान पर स्थित संत कीनाराम आश्रम के मुख्य पीठाधीश्वर अवधूत कीनाराम का जीवन परिचय से वाकिफ होंगे। बाबा का एक ही सूत्र था –
!!मैं अति दुर्बल मैं मतिहीना। जो कछु कीन्हा शम्भू कीन्हा!!
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