राहु के नक्षत्र में जन्मे जातक के उन्नति के उपाय
राहु ग्रह अपने तीनों नक्षत्रों जैसे आद्रा, स्वाति और शतभिषा में जन्मे जातक का जीवन बर्बाद कर देते हैं या फिर आबाद।
राहु की महादशा, अंतरदशा, प्रत्न्यंतर दशा भी भयंकर कष्ट दायी होती है। ख़ासकर सूर्य और चंद्र नक्षत्र में जन्मे लोगों के लिए, तो मृत्यु समान होती है।
राहु ग्रह केवल शिव की भक्ति से प्रसन्न होते हैं। श्रीविष्णु के अवतारों की पूजा, अर्चना छोड़कर केवल शिव कल्याणेश्वर की शरण में जाना चाहिए अन्यथा मन को भ्रमित कर धन संपदा, परिवार से वंचित कर फटेहाल कर देते हैं।
तन्त्र सहिंता और स्कन्धं पुराण में तो ये तक लिखा है कि जैसे ही जीवन में परेशानियों का आगमन हो, तो मान लें कि गोचर में राहु अशुभ हैं। तब तुरंत ही किसी शिवलिंग पर इत्र युक्त जल से रुद्राभिषेक कराना चाहिए।
राहुकाल में शिव स्मरण से मिटता है -महा कष्टकाल
जीवन में कोई रास्ता न मिले! बुरी तरह भय-भ्रम, भटकाव, विकट विपरीत परिस्थियाँ हों! सब कुछ तबाह होते दिख रहा हो ….! आपके इष्ट, गुरु या और कोई शक्ति सहायता या कृपा नहीं कर रही हो।
और आपके वश में कुछ भी न हो, तो अमृतम का ये अनुभवी उपाय आपके तत्काल, तुरंत दुखों का अन्त कर देगा। एक बार ज़रूर आज़माएँ।
राहु काल या केतु काल के समय एकांत में किसी नये या प्राचीन शिवालय में जाकर शिवलिंग पर चन्दन या गुलाब या अमृतम कुमकुमादि तेल से !!ॐ!! लिखकर ५ दीपक Raahukey oil के प्रज्जलित करे
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