पेट की सभी खतरनाक बीमारियों से बचाएगा यह आर्टिकल और आयुर्वेदिक उपचार !!
सीने में जलन, पेट में एसिडिटी, अम्ल पित्त आदि समस्या भोजन के ठीक से पाचन न होने के कारण अक्सर सभी को रहती हैं। जिनका पेट खराब और लिवर कमजोर होने से अनेक विकार उत्पन्न होते हैं।
वे लोग यदि गरिष्ठ जैसे – अधिक मिर्च मसाले, मैदा, बेसन से निर्मित पदार्थ का खाने से भी सीने में जलन, खट्टी डकार, मुंह में खट्टा, गंदा पानी आना, उबकाई इत्यादि परेशानियों से पीड़ित रहते हैं।
इन सब तकलीफ की वजह पित्त का असंतुलन है, जो मेटाबॉलिज्म डिसऑर्डर तथा लिवर क्षतिग्रस्त होने से होता है।
आयुर्वेद रस तंत्र सार प्रयोग में इसी रोगियों को गुलकंद का सेवन सर्वश्रेष्ठ बताया है। गुलकंद से पित्त संतुलित होता है और उदार एवम मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है।
यह गुलकंद अमेजन, amalaearth या amrutam पर ऑनलाइन मिल जायेगा। इसे सुबह खाली पेट और खाने के बाद सादे जल से लेवें।
पित्त के असंतुलन के कारण अगर अनेक तरह के उदर रोगों से जूझ रहे हों, तो Pitta Key Herbs एक चम्मच लेकर रात को 200 ML पानी में गलाकर सुबह आधा रहने तक उबालें और गुड़ मिलाकर चाय की तरह सुबह पिएं। पित्त संतुलित हो जायेगा।
As per Ayurveda, the world is made up of five elements of nature, namely space/ether (Akash), air (Vayu), fire (Agni), water (Jala) and earth (Prithivi). Popularly known as the ‘Panchamahabhutas,’ these elements are also present in the human body and mind in the form of Dosha:
Vata (ether, air), Pitta (fire, water) and Kapha (water, earth). The Pitta Dosha is made of fire (Agni) and water (Jal). Generally attributed to its digestibility quality, this Dosha is responsible for our ability to mentally absorb information in our mind and digest and assimilate food in our body.
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