एलर्जन क्या है?
कोई पदार्थ जिनके कारण शरीर किसी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया करता है, उन्हें एलर्जन कहा जाता है।
सर्दी की एलर्जी के लक्षण ….
छींक आना त्वचा के लाल चकत्ते
बहती नाक
खुजली गले, कान और आंख
सांस लेने में परेशानी
सूखी खांसी
लगातार बुखार रहना
बीमार महसूस करना
नाक में सूजन के लक्षण प्रकट होने पर साइनस का खतरा बढ़ जाता है। एलर्जी से कान में दर्द और गले में खराश और आवाज में परिवर्तन हो सकता है।
एलर्जी के विभिन्न प्रकार होते हैं। एलर्जिक राइनाइटिस या नाक की एलर्जी बारह महीनों में कभी भी हो सकती है, विशेष रूप से यह पराग कणों के कारण मौसम बदलने के दौरान होती है, इस कारण नाक के वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, छींकें आना व नाक में खुजली, पानी आना और नाक का बंद हो जाना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
तीन का संगम…
मानव शरीर की संरचना के अनुसार नाक, कान और गला आपस में किसी न किसी माध्यम से जुड़े होते हैं। इसलिए इनमें से किसी में भी संक्रमण या सूजन आने पर सभी पर असर होता है। यही वजह है कि-
बदलती ऋतु के साथ मौजूदा मौसम में एलर्जी से संबंधित विभिन्न रोग कहीं ज्यादा पनपते हैं।
गौरतलब है कि- देश में लगभग ३३ फीसदी जनसंख्या अपने जीवनकाल में कभी न कभी एक या एक से अधिक एलर्जी रोगों से भयंकर रूप से पीड़ित है। एलर्जी तब होती है, जब शरीर किसी पदार्थ के प्रति प्रतिक्रिया करता है। यह मामूली से कठिन समस्या
तक बन सकती है, लेकिन कुछ सजगताएं बरतकर आप एलर्जी की रोकथाम कर सकते हैं।
रोज काया की मसाज ऑइल लगाएं…
शरीर में तेल न लगाने से त्वचा शुष्क औऱ
रूखी होने से स्किन में कठोरता आने लगती है। बाद में हर्पीज, सोरायसिस जैसे रोग
पनपने लगते हैं। ग्लो खत्म हो जाता है।
ठंड के मौसम में जैसे ही तापमान गिरता है, कुछ बच्चों के शरीर पर रेशे उठ जाते हैं, उल्टी के साथ ही सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है। ऐसी स्थिति में काया की तेल की मालिश बहुत लाभकारी है।
सर्दी के मौसम में इसलिए होती है एलर्जी
ठंड से बचने के लिए हर कोई व्यक्ति अधिकांश समय घर या ऑफिस में बिताता है। यही आदत एलर्जी का कारण बनती है। इसे इनडोर एलर्जी कहा जाता है।
ठंड में एलर्जी आम बात है-
इसके सामान्य लक्षणों में
– बार-बार छींक आना,
नाक बहना, आंख, नाक और गले में खुजली, लेकिन ज्यादातर लोग इन लक्षणों को सामान्य सर्दी समझने की गलती कर बैठते हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ एलर्जी,
अस्थमा एंड इम्यूनोलॉजी के अनुसार,-
विंटर एलर्जी तब होती है जब शरीर हिस्टामाइन नामक कैमिकल रिलीज करता है। यह एलर्जी भड़कती है। ऐसा सालभर में कभी भी हो सकता है और लक्षण कई दिनों तक
रह सकते हैं।
वायरस के अटैक के कारण भी ठंड लग सकती है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति छींकता, खांसता या बात करता है, तो ये वायरस हवा में छोटी बूंदों के माध्यम से दूसरों में फैलते हैं।
इनडोर एलर्जी के सबसे सामान्य कारण हैं – हवा में मौजूद धूल के कण, इनडोर मोल्ड (फफूंद), पालतू जानवरों की रूसी (त्वचा के गुच्छे) और कॉकरोच ड्रॉपिंग।
धूल के कण: ये गर्म और नम वातावरण में पनपते हैं तथा बिस्तर, कालीन और फर्नीचर में पाए जाते हैं।
पेट डैंडर – यह मृत त्वचा के गुच्छे होते हैं जो धूल में मिल जाते हैं और बिस्तर, कालीन जैसी कई सतहों पर चिपक जाते हैं।
फफूंद – बाहर का नम मौसम बाथरूम और घर के ऐसे स्थान जहां रोशनी नहीं पहुंचती है, में फफूंद को बढ़ावा देता है।
कॉकरोच- बाहर का ठंडा मौसम कॉकरोच को घर के अंदर ले जाता है, जहां वे मुख्य रूप से रसोई की अलमारियाँ या सिंक के नीचे प्रजनन करना शुरू करते हैं।
एलर्जी बढ़ने पर तेजी से सांस लेने, चिंता, थकावट, घबराहट और सीने में जकड़न जैसे लक्षण हो सकते हैं।
क्या है विंटर एलर्जी में फर्क…
विंटर एलर्जी तब होती है जब शरीर हिस्टामाइन नामक कैमिकल रिलीज करता है। यह एलर्जी भड़कती है। ऐसा सालभर में कभी भी हो सकता है और लक्षण कई दिनों तक रह सकते हैं।
एलर्जी से बचना है तो
अमृतम च्यवनप्राश अवलेह
का पूरा परिवार सेवन करें।
अधिक जानकारी के लिए
अमृतम पत्रिका पढ़ें
यह हेल्थ ब्लॉग www.amrutampatrika.com
द्वारा लिखे गए हैं
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