जाने-एलोवेरा के 35 फायदे क्या हैं?
- प्राचीन समय मे चिकित्सा जगत में बीमारियो का उपचार करने के लिए आयुर्वेद का सहारा लेकर कुछ घरेलु उपचार किया करते थे। जिनमें एक नाम है—
- ग्वार पाटा को अंग्रेजी में एलोवेरा कहते हैं।
- एलोवेरा यानी ग्वार पाटा के गुणो को सभी लोग अच्छी तरह से जानतें है हमने सभी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसका उपयोग किसी न किसी रूप में किया है।
- ग्वार पाटा मे अनेक प्रकार बीमारियो के उपचार के गुण मौजूद है। इसलिए आयुर्वेदिक उघोग में ग्वार पाटा की माँग बढ़ती जा रही है।
- स्वतः ही फुट जाएगा और मवाद निकल जाएगा।
- आजकल घरों के बड़े लोगों में जिगर की समस्या आम हो गई है इससे निजात पाने के लिए 10 ग्राम एलोवेरा का रस और 10 ग्राम करेले का रस मिलाकर पीने से शुगर से पुरी तरह छुटकारा मिल जाता है।
- 20 ग्राम आँवले का रस और 10 ग्राम एलोवेरा का गुदा मिलाकर लेने से शुगर की बीमारी में फायदेमंद है।
- कैसंर जैसी बिमारी से लडनें मे ग्वारपाटा असरदार है।
- सर्दी-खाँसी की बीमारियो से बचाव में 5 ग्राम एलोवेरा के ताजे रस में षहद मिलाकर लेने से फायदा करता है।
- कोलेस्ट्रॉल का स्तर बनाये रखने मे सहायक होता है। हमारे शरीर मे मोटापा होने से कोलेस्ट्रॉल तेजी से बढता है। कोलेस्ट्रॉल कम करने मे ग्वारपाटा एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
- ग्वारपाटा के जूस को रोज पीने से वजन घटाने मे बहुत मदद मिलती है।
- एलोवेरा हमारे पाचन तंत्र की क्रिया को दुरूस्त कर हमारे शरीर को ताजगी और ऊर्जा का स्तर बढ़ाता है और वजन कम करता है
- ग्वारपाटा के उपयोग से जोड़ो की सूजन और गाठिया के दर्द को कम करने में मदद करता है।
- एलोवेरा का रस पीने से शरीर मे होने वाली सूजन को कम करता है।
- घायल अवस्था मे जब रक्त तेजी से बहता है रक्त के प्रभाव को रोकने में सहायक है और घाव भरने मे मददगार है
- शेव करने से लगे घाव या जलन पर इसे लगाने से एलोवेरा जैल एक आफ्टर शेव लोशन की तरह काम करता है
- हमें ग्वारपाटा के उपयोग कुछ सावधानियाँ भी बरतनी चाहिये। जसै :-
- ग्वारपाटा की तासीर बहुत गर्म होती है मासिक धर्म और गर्भावस्था में इसका इस्तेमाल न करें
- लेटेक्स ऐलोवेरा ये एलोवरा की साबुत पत्तियो से बने जूस पाया जाता है। जिसे ̔एलॉय लेटेक्स ̓ भी कहते है।
- अपने पाचन की क्रिया को मजबुत बनाने के लिए लोग इसे खाना खाने से पहले पीते है, ताकि उनका हाजमा ठीक और कब्ज दूर हो जाए। लेकिन काफी लोगो को नही पता इससे नुकसान भी होता है। इससे डायरिया और पेट में मरोड़ भी होती है।
- एलोवेरा का उपयोग शुगर के मरीज डॉक्टर की सलाह से करें।
- यह बवासीर, जिगर या पित्ताशय से पीड़ित लोगो को इसके उपयोग करने से बचना चाहिये।
- ग्वारपाटा एक प्राचीन औषधि है और यह त्वचा से संबधित रोगो के लिए असरकारक है लेकिन कुछ बीमारियो में इसका इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह से करें।
- ग्वार पाटा एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग कई तरह की बीमारियों के ईलाज पर किया जाता है और यह एक ब्यूटी हर्बल के रूप में भी उपयोग होता है।
- त्वचा के लिए ग्वारपाट को देखते हुए इसका इस्तेमाल कई तरीके से किया जाता है। यह त्वचा को हाइड्रेट एवं पोषित करता है।
- चेहरे पर एलोवेरा जैल लगाने से चेहरा खिल उठता है जले हुए स्किन, इन्फेक्शन , ऐलर्जी आदि त्वचा संबधित विकारों को ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- सूर्य की किरणों का सबसे ज्यादा असर हमारे चेहरे पर होता है क्योकि हमारें चेहरे की त्वचा नरम व नाजुक होती है। सूर्य किरणों से बचने के लियें एलोवेरा का उपयोग फायदेमंद है।
- मुँहासो की समस्या मे भी काफी असरदार है इस समस्या में वसामय ग्रंथियाँ सक्रिय हो जाती है और अधिक तेल का उत्पादन होता है मुँहासो से छुटकारा पाने के लिए त्वचा पर एलोवेरा जैल को दिन में दो बार लगाऐ।
- ग्वारपाटा एक बहुत अच्छा मॉइस्चराइजर है जो बालों को सुंदर, घना व सुनहरा बना देता है। आँवला और जामुन के साथ एलोवेरा का उपयोग करने से बालों को मजबूती मिलती है।
- एलोवेरा बालों का पीएच संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होता है साथ ही ऐलोवेरा अपने समृद्ध पोषण के कारण बालों के विकास को बढ़ावा देता है।
- एलोवेरा बालों को झड़ने से रोकता है और रूसी को जड़ से खत्म करता है और खुजली भी कम करता है।
- ग्वारपाटा की दो पत्तियाँ लें और एक चम्मच की मदद से उसका जैल निकालें और इसमे आधा नीबू का रस मिलाकर अच्छी तरह फैट ले और बालों को थोडा सा गीला करके अपनी अगुँलियो की मदद से यह मिश्रण, अपने सिर पर लगाए।
- 15 से 20 मिनिट के लिए गर्म तौलिये में अपने बालो को लपेटे। फिर गुनगुने पानी और शेम्पु के साथ अपने बालो को धोए। यह प्रक्रिया हर एक या दो हफ्तो में करें।
- मुँह में जलन, घाव, जख्म, और अल्सर जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। यदि आप मुँह संबधित बीमारी से झट से फायदा पाने के लिए एलोवेरा जैल से अपने मसूड़ो की मालिश करें। एलोवेरा का रस नियमित रूप के इस्तेमाल से दाँत मजबूत और स्वस्थ बनते है।
- शरीर पर अगर कोई जख्म या घाव हो जाने पर ग्वारपाटा के गुदा को क्रीम तरह लगानी चाहिए। और इसके पत्तो को बीच से काटकर इसके गुदे पर हल्दी डालकर लगाने से गाँठ या फोडे-फुन्सी ठीक हो जाते हैं।
- गाँव में ग्वार पाटा और अन्य स्थानों पर घृतकुमारी, रससार, मसुब्बर, एलुआ, ऐलोवेरा आदि नामों से जानते हैं।
अमृतम पत्रिका से साभार
- संसार में सबसे सस्ती अमृतम बूटी दूसरी नहीं है।
- पंजाब में एक-दूसरे को पेग बनाकर देते समय ये-लो-वीरा कहकर संबोधित करते हैं।
ग्वार पाटा का पौधा
ग्वारपाटा का पौधा बिना तने का या बहुत ही छोटे तने का गूदेदार और रसीला पौधा होता है जिसकी लम्बाई 60-100 सेन्टीमीटर तक होती है ग्वार पाटा की पत्तियाँ भालाकार मोटी और माँसल युक्त हाती है जिनका रंग हरा, हरा स्लेटी होने के साथ-साथ कुछ पत्तियों के ऊपरी और निचली सतह पर सफेद धब्बे होते है। इनकी पत्ति पर काँटे होते है। और गर्मी के मौसम में पीले रगं के फूल होते है।
मृदा एवं जलवायु
प्राकृतिक रूप से इसके पौधे अनउपजाऊ भूमि में उगते देखा गया है इसे किसी भी भूमि में उगाया जा सकता है ग्वार पाटा की खेती के लिए रेतीली दोमट मिटटी बहुत अच्छी रहती है पर आप इसे किसी भी प्रकार की मिटटी लगा सकते है और इनके पौधो को ज्यादा पानी की भी जरूरत नही होती है।
एलोवेरा/ग्वारपाटा की खेती
ग्वारपाटा की खेती करने में आपको कम लागत और मेंटेनेस आता है और अच्छा तो यह है इसमें ज्यादा पानी पटाने की जरूरत नही पड़ती है। यदि आप रेगीस्तान इलाके जैसे राजस्थान या उसके आसपास गाँवो से है तो आपके लिए बहुत ही अच्छा है क्योकि ग्वारपाटा रेतीली मिटटी और गरम तापमान वाले क्षेत्र मे बहुत तेजी से बढ़ता है।
आप राजस्थान के अलावा उत्तर भारत, बिहार, झारखण्ड, बंगाल या किसी भी अन्य गरम तापमान वाले क्षेत्र से है तब भी आप ग्वारपाटा की खेती आसानी से कर सकते है।
यह सब जानकारी आयुर्वेद के प्राचीन ग्रन्थ भावप्रकाश, गाँव की जड़ीबूटियां एवं आयुर्वेदिक निघण्टु से जुटायी गईं हैं।
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