उड़द की दाल गरिष्ठ स्वभाव की होती है। जल्दी पचती नहीं है,
जिन्हें बहुत भूख लगती है या बार-बार खाने की आदत से परेशान हैं, तो उड़द की दाल एक बेहतरीन उपचार है।
बरसात के समय जठराग्नि कमजोर होने से इसे न खाने की सलाह कुछ आयुर्वेदिक ग्रन्थों में दी गई है।
इसे बनाने का तरीका यह है कि केवल कालीमिर्च, खड़ी लालमिर्च डालकर पकाएं।
जब ठीक से उबल जाए, तो इसमें सादा नमक, थोड़ा सा सेंधा नमक, हींग और दाल का चौथाई देशी घी डालकर खाना चाहिए।
उड़द की दाल में घी का उपयोग अधिक करें।
उड़द की दाल के फायदे—अगर इसे रोज नियमित खाएं, तो पुरुषार्थ शक्ति में वृद्धि होती है। वीर्य बहुत गाढ़ा हो जाता है।
इसके सेवन से गजब की मर्दाना ताकत आने लगती है।
उड़द की दाल के साथ ज्यादा खट्टा, अचार आदि से परहेज करें।
शुक्राणुओं की वृद्धि होती है।
शीघ्रपतन की परेशानी इसके खाने से मिट जाती है।
नकसीर की समस्या, नाक से खून आना आदि को ठीक करने में सहायक है।
यह मांस की तरह पुष्टिवर्धक होती है।
उड़द की दाल की खीर, घी युक्त खाने से सिरदर्द, माइग्रेन, मानसिक विकार, नींद न आना बीमारियों में हितकारी है।
महिलाओं को पेशाब, मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याओं का अंत उड़द की दाल के खाने से हो जाता है।
जो लोग बहुत दुबले हों, उन्हें नियम से सुबह उड़द की दाल के साथ रोटी जरूर खाना चाहिए।
उड़द की दाल को उबालकर पीसें ओर समभाग मुल्तानी मिट्टी में मिलाकर बालों में लगाने से गंजापन रुक्क जाता है।
बालों का काला करने के लिए उबली हुई उड़द की दाल में शिकाकाई, भृंगराज तथा आँवले का काढ़ा किसी लोहे के पात्र में मिलाकर…
धूप में बैठकर बालों में लगाकर सूखने तक लगाएं रखें तो एक या 2 महीने में बालों की सफेदी नहीं बढ़ती।
कभी कभा, तो तेजी से बल काले होने लगते हैं।
थायराइड से पीड़ित रोगियों को 50 ग्राम उड़द की दाल रात को 5 बादाम के साथ मिट्टी के पात्र में जलाएं ओर सुबह पीसकर इसे पहले सिकाई करें।
थोड़ा सिकने के बाद 100 ml गाय का दूध मिलाकर बादामी रंग आने तक सेंके, फिर 25 से 40 ग्राम देशी घी डालकर ओर सेंके।
जब ठीक से सिक जाए, तो 100 ग्राम गुड़ डालकर सेंककर हलुआ बन जायेगा।
हल्का गर्म रहने पर उस पर त्रिकटु, लौंग, इलायची एक-एक ग्राम एवं अमृतम मुलेठी चूर्ण,
अमृतम अश्वगन्धा चूर्ण, अमृतम शतावरी चूर्ण सभी 5–5 ग्राम तथा एकांग्विर रस 2 ग्राम मिलाकर लड्डू बनाये या जैसा उचित लगे वैसा रखें।
इसे रोज 25 ग्राम सुबह खाली पेट गर्म दूध से, दुपहर व रात को खाने के एक घण्टे पहले 20–20 हलुआ दूध के साथ लेवें।
उड़द की दाल का यह अदभुत हलुआ लगभग अनेकों वातरोगों को 55 दिन में ठीक कर हड्डियों को मजबूत बना देगा।
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