अमृत मासिक पत्रिका संपूर्ण सृष्टि की परम सुषमा शक्तियों के साथ-साथ पंच परमेश्वर को समर्पित है ..

अमूतम पत्रिका ———

अमृत मासिक पत्रिका संपूर्ण सृष्टि की परम सुषमा शक्तियों के साथ-साथ पंच परमेश्वर को समर्पित है

संसार में हम जो भी देख रहे हैं वह सब पंच परमेश्वर अर्थात पंच तत्व अग्नि पृथ्वी वायु जल और आकाश की देन है

बिना पंचमहाभूत के सब कुछ जरूरत है हां इतना अवश्य है कि पंच तत्व की मात्रा किसी में कम किसी में ज्यादा होती है

भगवान शिव पांच मुख पंचतत्व की ओर इंगित करते हैं अन्य देवी-देवताओं में वायु तथा आकाश तत्व की अधिकता होती है

ब्रह्मा जी के चार मुखी एक मुख भैरव बाबा झूठ बोलने के कारण काट दिया था ब्रह्मा में अग्नि तत्व ना होने के कारण ही इनकी पूजा नहीं की जाती है

अन्य देवी-देवताओं में अग्नि तत्व भी कुछ ना कुछ मात्रा में होता है जैसे पशुओं में प पृथ्वी तत्व की अधिकता होती है शेष तथ्य कम मात्रा में होते हैं

पक्षियों में वायु तथा आकाश तत्व की अधिकता होती है मनुष्य योनि में अग्नि तत्व की अधिकता होती है

जैसे जैसे मानव में अग्नि तत्व घटता जाता है वह रोग बीमारी मानसिक आर्थिक परेशानियों का शिकार होने लगता है

इसके लिए नियम से घर के मंदिर अथवा नजदीक के किसी भी शुभ या अन्य मंदिर में देसी घी का दीपक एवं पान के पत्ते पर कपूर जलाकर अग्नि तत्व की मात्रा बढ़ा सकते हैं

अमृत क्या है संसार में जहां-जहां विष्णु पी कष्ट दुख दरिद्रता परेशानी रोग शौक नहीं है वही अमृत है गंगाजल अमृत है

ईश्वर को चढ़ाया गया पंचामृत अमृत है गाय का गोबर अमृत है इन सब का वैज्ञानिक कारण भी है गंगा तेरा पानी अमृत इसलिए कहते हैं

क्योंकि इस काजल कई वर्षों तक रखें रहने के बाद भी खराब नहीं होता क्योंकि गंगा का मुख्य उद्गम स्थल मानसरोवर कैलाश पर्वत से है

और इसमें असम के जड़ी बूटियों का समावेश है अपने मानसरोवर से चलते हुए गौमुख उत्तरांचल में प्रकट हुई..

जबकि असंख्य नदियां भी मानसरोवर कैलाश पर्वत से ही चली लेकिन गुप्त रूप से चलते हुई ..

अवतरित हुई नर्मदा नदी अमरकंटक शहडोल मैं अवतरित हुई तृप्ति मुलताई बेतूल मध्य प्रदेश से हुई ..

और यही इनका उद्गम स्थान मान लिया गया यह शनि की बहन है आयुर्वेद भी अमृत है

अमृत पाने के लिए मन मस्तिष्क को प्रसन्नता देने वाले साहित्य का अध्ययन करना होगा ईश्वर और अध्यात्म से जुड़े प्रश्नों का हल वैज्ञानिक दृष्टि से..

चिंतन करना होगा और इसी पुण्य पावन भावना का ध्यान रखते हुए अमृत में मासिक पत्रिका का प्रकाशन आरंभ किया इसी विश्वास के साथ कि..

आप इसे सहज ही स्वीकारगे पाठ्यगण अपना विनम्र सहयोग आशीर्वाद प्रदान करें

खराब परिस्थितियां व्यक्ति को सदैव वरदान स्वरुप होती हैं इनसे घबराना नहीं चाहिए हमारी जन्मपत्रिका भी पंच तत्वों से निर्मित है

12 राशियों 12 भाव से आकाश तत्व छोड़कर अग्नि पृथ्वी वायु एवं जल तत्व देखा जाता है

तत्वों के आधार पर ही स्थिर द्वी स्वभाव और चर लग्न की व्याख्या की गई है

मेष लग्न चर लग्न और अग्नि तत्व की होती है मेष लग्न का स्वामी मंगल है जो अग्नि तत्व से परिपूर्ण है

अमृतम मासिक पत्रिका का वार्षिक सदस्यता शुल्क 220 है इसका नियमित अध्ययन जीवन बदल सकता है

संस्कार और संस्कृति ज्योतिष अध्यात्मिक ईश्वर का वैज्ञानिक व्याख्या पढ़कर आप आश्चर्यचकित हो जाएंगे धर्म क्या है

और क्या बना लिया आज का धर्म सिर्फ पाखंड बन गया है इसका पूर्णता व्यवसाय करण हो चुका है

धर्म कर्म भाग्य दुर्भाग्य आदि को समझने हेतु अमृतम मासिक पत्रिका का अध्ययन करना विशेष लाभकारी सिद्ध होगा यह प्रथम अंक उन सभी पाठकों को निशुल्क भेजा जा रहा है

जिन्होंने नियमित आरोग्य विधि अमृत मासिक पत्रिका भेजी जा रही है

अब यहां अमृत के नाम भेजी जाएगी जो भी पाठ्य कर इसे नियमित मंगवाना चाहते हैं

वह ₹220 वार्षिक सफलता शुल्क मनी ऑर्डर ATPAR चेक अथवा डी डी अमृतम AMRUTAM ग्वालियर के नाम बनवाकर निम्नलिखित पते पर भेजे ।.……..……………

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Comments

One response to “अमृत मासिक पत्रिका संपूर्ण सृष्टि की परम सुषमा शक्तियों के साथ-साथ पंच परमेश्वर को समर्पित है ..”

  1. Gagan Bhalla avatar
    Gagan Bhalla

    नमो नमः महोदय

    सनातन धर्म पर पत्रिका प्रकाशित करने लिए आपको हार्दिक साधुवाद ।

    किंतु पढ़ना आरंभ करते ही मेरा हृदय आहत हुआ।

    अमृतम के स्थान पर *अमूतम* लिखा हुआ था…!

    #
    आगे पढ़ने पर भी शब्दों में गलतियां मिली।

    ***
    बहुत लापरवाही से लिखा गया है ।

    किसी ने बाद में संशोधन करने का भी प्रयत्न नही किया है ।

    आशा है आप इसको अति शीघ्र संशोधित करेंगे।

    शाब्दिक त्रुटियां बहुत विपरीत प्रभाव डालती हैं।

    धन्यवाद।

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