हरड़ चूर्ण का विभिन्न रोगों में उपयोग….
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- हरड़ पीसकर खाने से मंल का शोधन करती है।
- भुनी हुई हरड़ खाने से वात, कफ, पित्त (त्रिदोष) को नष्ट करती है।
- हरड़ को भोजन के साथ सेवन करने से बुद्धि और बल, इंद्रियों की ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है।
- हरड़ सेवन किये गये अन्न तथा जल के समस्त दोष मिटाकर वात, कफ, पित्त के दोषों को दूर करती है।
- द्रवगुण विज्ञान के अनुसार हरड़ चूर्ण को सेंधानमक के साथ लेने से कफ को संतुलित करती है।
- 5 ग्राम हरड़ चूर्ण 3 ग्राम मिश्री के साथ सुबह खाली पेट सादे जेल से लेने पर पित्तदोष का शमन करती है।
- हरड़ चूर्ण को अगर घी के साथ मिलाकर खाएं तो अनेक वात रोग, ग्रंथिशोथ या थायराइड की पीड़ा कम करती है।
- हरड़ का मुरब्बा महिलाओं के लिए परम हितकारी है। 2 से 3 नग सुबह खाली पेट लेने से यह सोमरोग, पीसीओडी की समस्या, श्वेत या रक्त प्रदर, माहवारी रुकना आदि स्त्री रोग शांत होते हैं।
- उदर में किसी तरह के ज्ञात अज्ञात रोग दूध के साथ हरड़ मुरब्बा लेने ठीक होते हैं।
- अनार रस के साथ अमृतम हरड़ चूर्ण के सेवन से सम्पूर्ण रोगों का नाश करती है ।
- अर्श/बवासीर/पाइल्स में चमत्कारी है -हरड़ चूर्ण एवम गुड दोनो 5 -5 ग्राम मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से अर्श, बवासीर या पाइल्स जड़ से साफ होने लगती है। जिन्हें दूध मुफीद नहीं बैठता, उन्हें सेंधा नमक के साथ लगातार लेते रहना चाहिये।
- खूनी बबासीर में इसका काढ़ा अल्प मात्रा में लेना लाभकारी होता है।
- बबासीर के मस्सों की सूजन एवं वेदना दूर करने हेतु इसको पानी में पीसकर लेप किया जाता है तथा इसकी गुठली को अलगकर छिल्के का चूर्ण बनाकर गुड़ के साथ लगातार सेवन करते रहने से बबासीर रोग में अत्यंत लाभ होता है।
- मुंह के छालों में गले की सूजन या गले के भीतर गठान होने पर हरड़ को पानी में पीसकर लेप करना चाहिये ।
- कब्ज मिटाए हरड़ हरड़ चूर्ण लगातार लेने से कब्ज से छुटकारा पाया जा सकता है। कई वर्षों से पीड़ित कब्ज के रोगियों के लिये बाल हरड़ अथवा अमृतम हरड़ चूर्ण २ से ३ ग्राम तक तीन महीने सेवन करना लाभकारी है।
- पेट साफ़ होने की प्रक्रियाओं में किसी प्रकार के कष्ट दिये बिना हरड़ अच्छा काम करती है।
- जिन्हें अपच, आंव, आंतों की शिथिलता में, संग्रहणी, तथा अजीर्ण की वजह से होने वाले अनियमित दस्त लगते रहते हैं। उन्हें बड़ी हरड़ का चूर्ण प्रातः काल रात्रि को हल्के भोजन के पश्चात् सेवन करना चाहिये एवं यथासंभव स्वच्छ पेयजल ही लेते रहने से इन रोगों से मुक्ति मिल सकती है।
- अधिक पसीना आने, नाक बहने और हमेशा सर्दी होने पर, कफ अधिक मात्रा में बनने पर हरड़ का सेवन अत्यंत लाभकारी होता है।
- सेक्सुअल पॉवर बढ़ाती है हरड़…वृद्धावस्था की शिथिलता में एवं जो शुक्र रोगों से पीड़ित है, उनके लिये अमृतम हरड़ चूर्ण जैसे रसायन का सेवन आवश्यक रूप से करना चाहिये।
- पुनर्यौवन तथा कायाकल्प के लिये किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में हरड़ के बनाये हुए रसायन का सेवन अत्यंत चमत्कारी होता है ।
- आमातिसार – हरड़ का मुरब्बा खिलाने से आमातिसार एवं मंदाग्नि मिटती है।
- मोतियाबिंद – मोतियाबिंद की प्रारंभिक अवस्था में कष्ट से बचने के लिये हरड़ की मीगी को पानी में लंबे समय तक भिगोकर अंजन करने से आंखों का कष्ट बहुत कम हो जाता है।
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हरड़ से निर्मित ओषधियां कौनसी हैं
MRP ₹ 3,259 (Inclusive of all taxes)
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- The Nari Sondarya Combo contains Nari Sondarya Malt (200 gms), Nari Sondarya Oil (200 ml) and Nari Sondarya Capsules (50 capsules).
- Amrutam’s Nari Soundarya Malt is the best malt for women in India. It is used to treat menstrual health problems and heal skin issues. This Ayurvedic health care malt by Amrutam possesses the goodness of Ashoka, Gurkha, Lodhra and Shatavari.
- Amrutam’s Nari Sondarya Oil is a herbal treatment for acne, wrinkles and stretch marks on the body. It’s an authentic Ayurvedic formulation that helps enhance your skin health by treating acne and inflammation of the body. Buy this potent herbal oil for beauty is formulated using the best natural ingredients, including Badam and Chandanadi oils, to repair and restore skin health.
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How To Use
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- Mix one or two tablespoons of Amrutam’s natural malt for women’s health and beauty in 100-200 ml warm water or milk and then consume.
- Note: Nari Sondarya Malt contains natural sweeteners and is not advisable for diabetic patients.
- Should be taken as directed by your physician.
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- Pour a few drops of Amrutam’s face and body oil on your palm.
- Gently massage the oil into your skin after a bath or shower till the oil is absorbed into the skin.
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- Consume one capsule with water, twice a day.
- Use Nari Sondarya Capsules for at least four to six months.
- For best results, use Nari Sondarya Malt and oil.
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Benefits
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- Herbal malt for menstrual health is made with Ashoka, Gokhru, and Lodhra ingredients to gently reduce skin issues and menstrual problems.
- According to Ayurveda, the Ashoka tree bark is recommended as a natural remedy for various gynecological issues such as cramps, heavy bleeding, bloating, fatigue, and burning sensation during the menstrual cycle. This natural malt for skincare by Amrutam also acts as an anti-inflammatory agent against pelvic disorders.
- Lodhra is known to treat a host of menstrual disorders along with menopause, dysmenorrhea, amenorrhea, leucorrhea, yeast infections and breast tumors.
- Along with treating symptoms of PCOS and low libido, Gokhru increases brain function, promotes a healthy heart, helps in digestion, treats kidney and urinary tract disorders, and improves skin health.
- Shatavari not only improves digestion but also treats digestive complaints and boosts the immune system.
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- Amrutam’s Nari Sondarya Oil uses a traditional Ayurvedic recipe to boost women’s health and well-being.
- Herbal skincare oil by Amrutam has an amalgamation of Badam and Chandanadi Oils to nourish, restore and retain the skin’s youthful glow.
- The anti-inflammatory properties of Nari Sondarya Oil for women’s beauty treats skin ailments and acne.
- Amrutam’s anti-ageing oil reverses signs of ageing such as wrinkles and reduces stretch marks on the body.
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- Amrutam’s Nari Sondarya Capsules help women manage PCOS.
- These Ayurvedic capsules for menstrual health help regulate delayed and irregular periods while improving your fertility.
- Use herbal capsules for women’s health to get relief from menstrual cramps and to balance your hormones.
- These herbal capsules for women’s skincare by Amrutam improve your skin’s health and glow. It also decreases the appearance of facial hair by reducing androgen levels in w
- शरीर की हर बीमारी को हर लेने के कारण इसे हरड़ कहते हैं। इसका एक नाम शिवा यानि परमेश्वरी भी है।
- हरड़ के इसी विलक्षण गुणों के कारण प्राचीन चिकित्सा विज्ञान में इसकी कीर्ति रही है।
- आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान में हरड़ एक अपना स्थान रखती है। प्राचीन चिकित्सा शास्त्रियों ने इसके गुणों के अनुरूप कई नाम दिये हैं, जैसे – हरीतकी, अभया, पथ्या, अमृता, अव्यथा, हर्रा, शिबा, विजया, जीवंती, सुधा, बल्या, प्राणदा, एवं रुद्रप्रिया आदि । इसे अंग्रेजी में मायरोबेलेन्स (MYROBALANS) कहते हैं । एवं लेटिन में टर्मिनलिया चेबुला (Terminalia Chebula) कहते हैं।
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- हरड़ का एक नाम अभया इसलिए है कि यह रोगों का भय जड़ से मिटा देती है। हरड़ के गुणों को जानने के लिये महर्षि चरक का यह उद्धरण पर्याप्त है।
- ।।यस्य माता गृहे नास्ति, तस्य माता हरीतकी।। अर्थात जिसकी रक्षण करने वाली माता घर में न हो उसकी माता हरड़ को ही समझना चाहिये।)
- Amrutam HARAD churan/powder जिस घर परिवार में हो, तो उन्हें किसी भी रोग से भयभीत होने जरूरत नहीं है।
हरड़ : सदा राखिये संग
- पेट की १०० फीसदी आयुर्वेदिक चिकित्सा। हरड़ चूर्ण रोग निवारक शक्तियों को बढ़ाने में हरड़ अपने गुणों के कारण श्रेष्ठतम औषधियों में से एक है।
- वनस्पतियों की सम्पूर्ण जाति में जितने फलं हैं, उनमें बिना किसी प्रकार की प्रक्रिया में हानि पहुंचाये एवं कुप्रभाव से दूर केवल हित ही दिल करने वाले तीन प्रकार के फल हरड़, बहेड़ा एवं आंवला है। जिनका सम्मिलित नाम त्रिफला जिसमें हरड़ का उपयोग अधिक मात्रा में होता है ।
- हरड़ हर लेती है…शरीर के सब रोग! हरड़ का सबसे महत्वपूर्ण कार्य शरीर में विजातीय एवं विषैले द्रव्यों को बिना किसी कुप्रभाव के बाहर निकालकर प्रत्येक अंग की क्रियाशीलता को व्यवस्थित करना है।
- उदर मस्तिष्क एवं हृदय के दूषित द्रव्यों को निकालने में अन्य चिकित्साओं में बहुत सी तीव्र प्रभावशाली औषधियां हैं, पर उनके सेवन से कुछ दुष्परिणामों का खतरा बना रहता है, पर हरड़ तीव्रगति से अपना कार्य कर क्षतिग्रस्त स्थान का शोधन एवं सुरक्षा दायक प्रबंध करते हुए विजातीय तत्वों को बाहर निकालती है।
- भारत में छोटे बच्चों को जन्म के साथ ही हरड़ की घुट्टी देने का रिवाज है इससे तात्कालिक रोगों के खतरनाक उपद्रवों से शिशु तो सुरक्षित रहता ही है साथ ही उसके रक्त में ऐसी रोग प्रतिरोधक शक्ति तैयार हो जाती है, जो उसके सम्पूर्ण जीवन तक साथ देती है।
- पंचत्तवों का मिश्रण है – हरड़ पांच रसों ( खट्टा, मीठा, कड़वा, कसैला, चरपरा) से परिपूर्ण होती है।
- अमृतम हरड़ चूर्ण योगवाही रसायन अग्नि दीपक हलकी दस्तावर, मेधाजनक वातनाशक, हृदय को बल देने वाली ओषधि है।
- हरड़ के सूखे फलों का उपयोग हरड़ के सूखे फल दांतों से चबाकर खाने से भूख बढ़ाती है।
- हरड़ इंद्रियों को स्फूर्ति देने वाली, मस्तिष्क रोग, नेत्र रोग, स्वरभ्रंग, विषम एवं जीर्ण ज्वर, पीलिया रोग, कामला देह पेट की सूजन में अत्यंत लाभकारी है।
- हरड़ का उपयोग मूत्राघात, संग्रहणी अतिसार पथरी, बमन, प्रमेह, कृमि, श्वास, विषरोग, उदर रोग, खांसी प्लीहा एवं बबासीर जैसे रोगों को नष्ट करती है।
- हरड़ के वृक्ष समूचे भारत में बहुतायत से पैदा होते हैं एवं हरड़ बाजार में आमतौर से किराना की दुकानों एवं पंसारियों के यहां सहज ही उपलब्ध हो जाती है । वृक्षों से अधपकी अवस्था में तोड़े गये कोमल फल को बाल हरड़ कहते हैं।
- हरड़ के छिलकों में मधुर रस,. वृक्ष के पत्ते की कोशिकाओं में अम्ल रस, डंठल में तिक्त रस, छाल में कटु रस और कोमल नरम लकड़ियों में कसैला रस रहता है।
- वृक्ष की जड़ों में ये सभी मिश्रित गुण रहते हैं।
- Ayurvedic Nari Sondarya Capsules offer no side effects and are suitable for long-term use.
- There are no side-effects from using these capsules over a long period.
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