अमृतम का स्लोगन है, हर पल आपके साथ हैं हम। जाने धन की वृद्धि हो सकती है।

हमें केवल भगवान शिव के प्रति समर्पण करना है। फिर, सारे संघर्ष, समस्या मिटने लगती हैं
अमृतम मासिक पत्रिका में ये सम्पादकीय अंक: अक्टूबर 2010 के श्रीमहालक्ष्मी रहस्य विशेषांक में प्रकाशित हुई थी।
amrutam के इस आर्टिकल में धन वृद्धि के छोटे लघु उपाय दुःख, दर्द, दरिद्रता मिटाने की क्षमता रखते हैं। ये छोटे से टोटके अनेक खुटके मिटा देंगे।
प्रकाश केवल दिये से नहीं, ज्ञान से मिलता है। दीप से भौतिक अंधकार और ज्ञान से आंतरिक अंधकार का नाश होता है।
अमृतम् मासिक पत्रिका इस अंक के पश्चात  पांचवे वर्ष में प्रवेश कर रही है। हम अपने सभी अपनों का हृदय से अभिवादन, अभिनन्दन करते हैं।
दीपावली के पावन पर्व पर हर क्षण, हर पल सदा शिव कृपा से परिपूर्ण हो। ऐसी ढेर सी शुभकामनाओं सहित!
यदि भारतीय उपनिषद, हस्तलिखित पांडुलिपि और ग्रंथ शास्त्रों का गहन अध्ययन चिन्तन किया जावे, तो प्रतीत होता है कि कार्तिक मास में ही बड़े-बड़े चक्रवर्ती राजा-महाराजा शक्ति शाली राक्षस गण आदि जो सूर्य की कृपा से ऐश्वर्यशाली हुए, उनका पतन इसी मास में हुआ।
 कार्तिक मास में सूर्य नीच राशि के होते हैं और इस मास में अग्नितत्व अत्यधिक क्षीण हो जाता है। इसीलिए कार्तिक मास में दीप प्रज्ज्वलित करने की परम्परा प्रारम्भ हुई।
दीप जलाने से सूर्य को ऊर्जा प्राप्त होती है। सुख समृद्धि ऐश्वर्य, यश कीर्ति आदि के लिए सूर्य ग्रह को विशेष कारक माना गया है। सूर्य भगवान इस जीव-जगत् की आत्मा का सचांलन करते हैं ।
कार्तिक मास में केवल उन्हीं धुरूधरों का सर्वनाश हुआ जिन्होंने अपने कुकर्म से परमात्मा को पीड़ित किया।
 कहते हैं आत्मा सो परमात्मा अर्थात इस जीव-जगत् की आत्मा में ही परमात्मा का वास है।
 मानव ह्रदय में स्थापित आत्मा जब कुंठित हो जाती है, तब ही परमात्मा अपनी सूक्ष्म शक्तियाँ वापस ले लेता है और दुष्ट शक्तिशालियों का नाश कर पृथ्वी को पाप से भारविहीन कर देता है।
संभवत: कार्तिक मास में दीप जलाने से अग्नि तत्व की पूर्ति हो, इस कारण भी दीपावली अर्थात दीप-अवली (दीपों की श्रृंखला, कतार) की परम्परा आरंभ हुई।
 अतः सम्पूर्ण पाठको सहित विश्व जीव-जगत् से कर बद्ध प्रार्थना है कि इस मास में प्रत्येक शिवालय, गणालय, देवालय एंव माँ के मन्दिरों में जाकर दीप प्रज्जलित कर आत्मा में विराजे परम परमात्मा, सृष्टि के सभी रूप में ज्ञात-अज्ञात सन्त-महात्मा, महर्षि – श्रषियों, अवधूत-अघोरियों, पितरो तथा कुलदेवी-देवताओं की कृपा, आर्शीवाद, और प्रसन्नता प्राप्त करें।
शुभ दीपावली के पवित्र पावन-पुण्य पर्व पर पंचपरमेश्वर को समर्पित अमृतम् मासिक पत्रिका एवं अमृतम् फार्मास्युटीकल्स परिवार अपने पाठकों, ग्राहकों, चिकित्सको, वैधों वितरकों, डीलरों तथा सभी दवा विक्रेताओं सहित भारत वासियों और भूमण्डल के सभी प्राणी और निवासियों को !!स्वास्थ्यं धनधान्यं प्राप्तये भगवान् शिवः प्रार्थयते!! अर्थात अच्छे स्वास्थ्य और धन-धान्य प्राप्ति के लिए भगवान शिव से करूणामयी प्रार्थना करता है।
ॐ शन्तिः शान्तिः शान्तिः।।
शंकर संकट हरना
ब्रह्माण्ड के सभी दैत्य दानव या देवता, इंद्र आदि सभी शिव की शरण में जाकर ही फले फूले। आपको भी मनुष्य जन्म में एक मौका मिला है अपना पुरुषार्थ दिखाने का। अतः चूक मत जाना अन्यथा 84 लाख योनि में पुनः भटकना पड़ेगा।
शिव में सब, सब में शिव है
भगवान शिव, अपने गुरु एवं माता पिता, मातृभूमि, समाज तथा परिवार के प्रति समर्पण और उनकी शरण में शरणागत होने से बड़ी सिद्धि न तन्त्र में है, न मन्त्र में है और न ही यन्त्र में है ।
अतः दया का भाव विचारों की शुद्धता तथा मन के वन में ज्ञान की ज्योति से आत्मा का लय होते ही यह शवमय शरीर शिवालय हो जाता है।
महालक्ष्मी प्रति के सरल उपाय अमृतम के अगले आर्टिकल में पढ़ें।

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