आयुर्वेदिक की प्रत्येक जड़ीबूटियों
में अनेक गुण होते हैं।
अकेली एकल ओषधि के सेवन से उदर रोग,आंतों की बीमारियां, गुदा, गुर्दा व यकृत रोग कभी होते ही नहीं हैं।
भारत के बहुत सी प्राचीन पुस्तकों में
एकल बूटी के उपयोग स्वास्थ्य को
बनाये रखने के साथ साथ ग्रहदोष
बाधा मायतने, तन्त्र, मन्त्र के लिए बताया है।
सूर्य सिद्धान्त आर्यभट्ट
वृहतसिंता बरामिहिर
पंचतंत्र। विष्णु शर्मा
कथासरित्सागर सोमदेव
अभिधम्मकोश वसुबन्धु
मुद्राराक्षस विशाखदत्त
अमृतम द्वारा कुछ एकल चूर्ण ऑनलाइन
प्रस्तुत किये हैं। जैसे-
【1】मधुयष्टि- सर्दी-खाँसी, निमोनिया को ठीक कर वीर्य को गाढ़ा करती है।
【2】अश्वगंधा- शक्तिदाता और रक्तसंचार को सुचारू करने में सहायक होती हैं।
【3】शतावर- स्त्री-पुरुष दोनों के रोगों नाशक है।
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