अमृतम महिला दिवस | Amrutam Women's day

आज महिला दिवस है । शिव पुराण में इन्हें  प्रकृति स्वरूप माना है । स्त्री और प्रकृति
‎दोनों के स्वभाव में काफी समानता है ।Celebrating Women’s Day Nari Soundarya Malt A gift for your inner and outer beauty

*क्षणे रुष्ठा- क्षणे तुष्ठा*

दोनों जब प्रसन्न
‎होती है, मन मदमस्त कर देती हैं ।
‎*रूठी तो फिर किस्मत फूटी*
‎प्रातः प्रकृति परमानंद प्रदायक है ।
‎ठंडी-ठंडी शीतल हवा,दवा का काम करती
‎है , तभी तो सुबह हर प्राणी सिर नवा के
‎प्रकृति को प्रणाम करता है । शरीर को सवा
‎(स्वस्थ) करने मन्द-मन्द वायु आयु
‎वृद्धि कारक है । प्रकृति और स्त्री का
‎भाव-स्वभाव कब बदल जाये, सर्दी-गर्मी,
‎बरसात अर्थात अपनापन, क्रोध, अश्रुधारा
‎कब कैसे होने लगे, परमात्मा को भी नहीं
‎पता ।

प्रकृति या स्त्री ‎दोनों ही अन्नपूर्णा हैं, तनरक्षक साक्षात दुर्गा ‎है । काल-महाकाल को वश में करने वाली ‎काली-महाकाली भी यही हैं । जो *शिव* को शव बनने विवश कर दे । *न कोई शिकवा,
न गिला, पर विषधर (क्रोधित) होने पर जो सृष्टि का एक-एक जिला, किला,शिला हिला दे उसका
नाम महिला है । फिर क्या गया-क्या मिला
इसकी फ़िक्र नहीं करती ।*

दोनो समर्पण की मूर्ति हैं जिसके करतल पर
जल, कल-कल कर बह रहा है ।पवन प्रतिक्षण
नमन करता है । आकाश प्रकाश देने को मजबूर
है । आग इनका आधा भाग है । शेषनाग
स्वयं जिसे धारण किये है । ये पंचतत्व
पृथ्वी-प्रकृति और स्त्री की प्रतिदिन, प्रतिपल
पल-पल परिक्रमा करने आतुर है ।शिव भी इनकी सुंदरता पर मुग्ध है, यही सत्य है ।
सुंदरता में सत्य का वास है और सत्य
ही अंत में शिव है । शिव में छोटी इ हटाते
ही शव हो जाता है ।

*संसार का हर पुरुष को शव से शिव बनाने की क्षमता मात्र महिला में ही है*
बिना महिला कोई हिला मतलब अपनी
‎मनमर्जी से चला कि हिल स्टेशन मिला ।
व्यक्ति साधु बना । घाटी, पहाड़ों, गुफा,  कंदराओं
एकांत घने वन में,रहने वाले अनेकों  साधक
गृहकलेश के कारण साधु बन जाते हैं तो कुछ ईश्वर की इच्छा से। जिनमे कई ब्रह्मचारी भी हैँ ।
वैसे साधु सभी हैं । संसार को साधना या शिव
को बात बराबर है ।
कुछ किस्मत की मारी या जिम्मेदारी से मुक्त होकर हमारी तुम्हारी की खुमारी छोड़कर
महिलाएं भी साधना पथ पाकर जीवन जीती हैं ।

स्त्री शक्ति है, शक्त (क्रूर)होते ही रक्त बहने में समय नहीं लगता । सम्पूर्ण सत्ता का सेकंडों
में सर्वनाश कर सकती है  । संस्कार, संस्कृति समाज और सबको बड़ी शालीनता पूर्वक
समर्पण भाव से संभालकर सब समस्या का
समाधान कर सकती है । सभी तरह के सच का सामना करते हुए अपना और अपने परिवार का
सम्मान बनाये रखती हैं । संसार को संस्कार,
शक्ति सामर्थ्य प्रदान करने वाली सशक्त शक्ति
का नाम ही स्त्री है ।स्त्री स्वयं में सात स्वरों का संगम है ।  *सा* से शुरु  *नि* से अंत यानि
संगीत के स्वर हो एवम विनम्रतामें इनका  कोई *सानि* नहीं है ।
सात सरोवर, समुद्र, नदी, वृक्ष,मठ-मंदिर
इन्हीं के कारण पूजनीय हैं । स्त्री धर्म की धारा है , आधारा भी ।

*सृष्टि में हिस्ट्री रचना में स्त्री कारण है । मूर्ख को मिस्त्री (ज्ञानी)बनाने की कला इनके पास है*
ये प्रेम की मूरत है । करुणा का सागर है । अपनेपन का अंबार है । समर्पण, सहजता, सरलता इनका सबसे बड़ा सहारा हैं । सारी सृष्टि में स्त्री ही ऐसी शक्ति है, जो सदा सत्य का साथ देकर संसार को सत्संग की और ले जाती है ।
सभी सन्त इसका अन्त आँकने हेतु उस अनन्त
( अखिलेश्वरी) के आगे ध्यान मग्न है । उसके
प्रसन्न होने से ही सब संपन्न हो सकते हैं । कुछ भी उत्पन्न इसके बिना असम्भव है ।

ये संतति औऱ संपत्ति की दाता है, तभी तो  माता, जय माता दी, माँ कहकर इसे नमन करते हैं । स्त्री बहन बनकर जहन (बुद्धि) को पवित्र
करती है । बेटी तो फिर बेटी है । बेटी है तो कल है । भविष्य की नारी हेतु यह नारा बहुत चलन में है ।
*पत्नी- जो सदा रहे तनी ।* इन्हें श्रीमती के नाम
से संबोधित किया जाता है । ज्ञान-विवेक, लक्ष्मी,संपत्ति श्री के कई अर्थ हैं । बुद्धि को भी
मति कहते हैं । भ्रष्ट मति, अति करने वाले पति
हो या जगतपति के लिए महाकाली बन जाती
है ।

मनुष्य को संसार से बांधने उसकी पत्नी ही है ।
कुंआरियाँ पति के अतिरिक्त कुछ और नहीं
चाहती । पर जब उन्हें पति प्राप्त हो जाते हैं,
तो वे सब कुछ चाहने लगती हैं । क्योंकि
अपनी लताड़ से बुरी लत छुड़ा, सही पथ
पर लाकर छत (घर) बनाने की प्रेरणा देती है ।

पुरुष इसलिये विवाह करतें हैं कि वे थक जाते हैं,
पर स्त्री इसलिये की वे उत्सुक होती हैं । फिर
दोनों ही निराश या बोर होते हैं ।
हालांकि शादी का उल्टा दिशा होता है ।
विवाह उपरांत दशा और दिशा बदल जाती है ।
वह ज्योतिष की, ग्रहों की महादशा-अन्तर्दशा
समझने लगता है ।

अतः महिलाओं को सुंदर, स्वस्थ्य औऱ खूबसूरत
बनाये रखने हेतु अमृतम द्वारा निर्मित
अद्भुत असरकारक ओषधि है

*नारी सौंदर्य माल्ट*
इसे 1-1 चम्मच सुबह शाम दूध के साथ निरन्तर
लेने से अनेक अज्ञात रोग, रग-रग से निकल जाते हैं । बिना दर्द के मासिक धर्म समय पर लाना
सुनिश्चित करता है । सफेद पानी की शिकायत
जवानी खत्म कर देती है । इस तरह की
तमाम स्त्री विकार नारी सौंदर्य माल्ट के
लगातार खाने से नष्ट हो जाते हैं । पेट साफ रखना इसका मुख्य गुणधर्म है । चेहरे की चमक
मात्र 7 दिन के सेवन बढ़ जाती है ।
विस्तृत जानकारी के लिये

amrutam.co.in
*अमृतम मासिक पत्रिका से साभार*

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