अपामार्ग-एक दिव्य ओषधि

बहुत आसानी से खेतों में, जंगलों में सड़क के किनारे मिलने वाला अपामार्ग, लटजीरा, चिड़चिड़ा, ओंगा, अधेढो,
आपांग, अध्धा झारा, आंधी झाड़ों, मर्जिका,
उत्तरेनी, अतकुमह,
Achyranthus Sapera एचिरेन्थस एस्पेरा
आदि नामों से भारत में जाना जाता है।

■ यह गरीबी मिटाने वाली भी
चमत्कारी बूटी है।
■■ बिच्छू विषनाशक 40 से अधिक
तकलीफों को दूर करती है।
अथर्ववेद के ७० वे सूक्त के चतुर्थ कांड में
अपामार्ग यानि चिड़चिड़ा की देवताओं ने इस प्रकार स्तुति की है-
क्षुधामारं, तृषामारं, मगोतामनपत्यताम।
अपामार्ग त्वया वयं, सर्वतेदेपमृज्महे।।
तृषमारं, क्षुधामारं, मारमथो अक्षिपराजयम।
अपामार्ग त्वया वयं, सर्वतेदेपमृज्महे।।

!!अथर्ववेद!!
अर्थात__हे ! अपामार्ग तुम हमारे अत्यंत
भूख लगने के रोग को , बार-बार प्यास लगने
के विकार को, इन्द्रिय शक्ति की कमजोरियों
को एवं संतान न होने के रोग को दूर करो।
हे !अपामार्ग तुम हमारी तृषा यानि प्यास
और भूख को नष्ट कर तथा कामशक्ति
की हीनता और आंखों की बीमारियों
को दूर करो।

अपामार्ग की विशेषता-
अपामार्ग के बीज चावल जैसे लेकिन बहुत छोटे होते हैं। अघोरी बताते हैं कि इसकी खीर बनाकर खाने से 8 दिन तक भूख-प्यास नहीं लगती
आयुर्वेदिक राजनिघंटु शास्त्र के मतानुसार-
अपामार्ग कडुआ, गर्म, चरपरा, कफनाशक
तथा उदररोग, आवं (अमोवाईसिस) और रूधिर विकार यानि रक्त के दोषों को
दूर करने में चमत्कारी है।

भावप्रकाश ग्रन्थ के मुताबिक-
【1】अपामार्ग दस्तावर होता है।
वेद्याचार्य श्री भाव मिश्र जी ने इसे पाचक, रुचिकारक बताया है तथा

【2】कफ रोग, मोटापा, मेदरोग, चर्बी बढ़ना, वात रोग, हृदय के विकार,

【3】बवासीर और पाचनतंत्र की हीनता आदि में उपयोगी बताया है।

अपामार्ग के चमत्कारी फायदे-
वैद्य श्री शोढ़ल ने लिखा है कि अपामार्ग
【4】शिथिल शरीर में ऊर्जा उत्पन्न करता है।
अग्निदायक होता है।

【5】इसकी इस इसकी नस लेने यानि सूंघने से सिर के कीड़े नष्ट हो जाते हैं

【6】अपामार्ग रक्त-विकार नाशक सर्वश्रेष्ठ
ओषधि है।

यूनानी मत के मुताबिक-

【7】अपामार्ग कामशक्ति वृद्धि कारक
और वीर्यवर्द्धक है। स्थाई पुरुषार्थ शक्ति
बढ़ाने के लिए बी फेराल गोल्ड माल्ट का सेवन लाभप्रद रहता है। इसे तीन माह तक निरन्तर लेना चाहिए।

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【8】अपामार्ग हर्षोत्पादक अर्थात प्रसन्नता प्रदान कर अवसाद दूर करती है।

नाग-विच्छू भागे दूर-
【9】आयुर्वेद के वैज्ञानिक कर्नल चोपरा का अनुभव है कि अपामार्ग फूल के डंठल और पौधे के बीजों का चूर्ण नाग-सर्प, विच्छू एवं अन्य जहरीले जीवों के डंक पर लगाने से सूजन व दर्द तुरन्त दूर होता है।

गुर्दे यानि किडनी की बेहतरीन दवा-
【10】अपामार्ग का काढ़ा तथा केले के छिलके
का गूदा दोनों मिलाकर दिन में 3 से 4 बार
लेने से गुर्दे की बीमारियों में लाभ होता है।
इसके सेवन से बार-बार डायलिसिस
कराने की झंझट से राहत मिलती है।

【11】 सारे शरीर में सूजन आ जाने के समय
भी अपामार्ग का काढ़ा यदि लिया जाए, तो विशेष उपयोगी रहता है।

【12】इंडियन मटेरिया मेडिका के लेखक
डॉक्टर नॉडकर्णी के अनुसार अपामार्ग
का काढ़ा मूत्रल होता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह अत्यंत हितकारी होता है

【13】पेट दर्द तथा आंतो के विकारों में
इसके पत्तों का रस बहुत लाभकारी होता है।

【14】अपामार्ग का काढ़ा प्रतिदिन 100 से 200 ML

5 दिन तक पिलाने से गर्भवती
महिलाओं को गर्भपात हो सकता है।
जिन महिलाओं को मासिक धर्म खुलकर
या समय पर नहीं होता, उन्हें तीन माह तक
नियमित अपामार्ग का काढ़ा अथवा
अमृतम फार्मा द्वारा निर्मित
नांरी सौन्दर्य माल्ट लेना बहुत फायदेमंद रहता है।

विशेष- नांरी की 50 तरह की बीमारी दूर
करने में नांरी सौन्दर्य माल्ट बहुत विलक्षण
आयुर्वेदिक औषधि है। यह सुन्दरता वृद्धि में भी सहायक है।
【15】डेंगू फीवर में उपयोगी-
वैद्य मंगल सिंह का आत्मानुभव है कि अपामार्ग के ताजे पत्तो के साथ कालीमिर्च,
लहसुन और गुड़ समभाग को पीसकर
छोटे बेर बराबर गोलियां बनाकर दिन में 3 से 4 बार खाने से बार-बार आने वाले ज्वर या बुखार
से राहत मिलती है।

【16】फ्लूकी माल्ट
11 तरह के ज्वर, बुखार जैसे
डेंगू फीवर, दिमागी बुखार, चिकनगुनिया,
स्वाइन फ्लू, बार-बार सर्दी-जुकाम होना
आदि संक्रमण बीमारियों से स्थाई मुक्ति पाने के लिए फ्लूकी माल्ट एक माह तक नियमित लेना हितकारी रहता है।

【17】दिमाग में भरे आग
वैद्य श्री चन्द्रराज के अनुसार अपामार्ग के बीजों को दूध में पकाकर खीर खाई जावे, तो दिमाग बहुत तेज़ यानि शार्प माइंड होता है। यह मस्तिष्क को तेज-तर्रार
और ऊर्जावान बना देता है या फिर,
ब्रेन की गोल्ड माल्ट ले सकते हैं।

【18】अत्यंत लाभकारी
पथरी तोड़ दिव्य ओषधि
डॉक्टर देसाई के अनुसार अपामार्ग का
काढ़ा रोजाना सुबह खाली पेट पीने से मूत्र
की अम्लता दूर होकर 10 से 15 दिनों में
पथरी गल जाती है।

【19】खून बढ़ाने वाली ओषधि
खून बढ़ाने में अपामार्ग का कोई सानी नहीं है। शरीर के अंदर इसकी क्रिया बहुत तेजी से होती है।

【20】अमाशय की शिथिलता में बेहद उपयोगी है। अमाशय (Stomach) के रोग मुलेठी के साथ खाने से मिट जाते हैं। भोजन से पहले अपामार्ग का रस या काढ़ा लेने से पाचक
रस की बढोत्तरी होती है।

【21】यकृत यानि लिवर की सूजन कम करने में सहायक ओषधि है।

【22】अपामार्ग काढ़े का नियमित सेवन पेट
में अन्न को सड़ने नहीं देता।

【23】अपामार्ग के पत्तो का रस रक्त कणों और पोषक तत्वों को बढ़ाता है।

【24】अपामार्ग सेवन के बाद जो भी मल-मूत्र जिन-जिन स्थानों से बाहर निकलता है, उन-उन मार्गों की जीवन-विनिमय क्रिया को सुधरता जाता है और तमाम शरीर की क्रियाओं को यह उत्तेजना देता है।

【25】इसके लगातार सेवन से शरीर या पेट की अम्लता कम होकर पेशाब ज्यादा आती है।

【26】पुराने दमा-श्वांस के रोगियों के कफ को पतला कर मल मार्ग द्वारा बाहर कर देता है।

【27】शरीर का फीकापन कम कर, तेज
उत्पन्न करता है।

【28】भूतोउन्माद में अपामार्ग का रस बहुत फायदा पहुंचाता है।

【29】दांतो, मसूड़ों या मुख रोग में अपामार्ग की लकड़ी की दातुन करने से बहुत लाभ होता है।

【30】मुख के कैंसर में अपामार्ग के पत्ते चबाकर खाना चाहिए। लकड़ी से दातुन करें।

【31】वैद्यों का विज्ञान

【32】ओषधि रूप में इसे शिरोविरेचन अर्थात
मस्तिष्क की पुरानी से पुरानी बीमारियों में
उपयोग किया जाता है।

【33】पीनस के भयंकर असाध्य रोग, आधाशीशी, मस्तिष्क की जड़ता, बुद्धिहीनता,
दिमाड़ी कमजोरी इत्यादि रोगों में जब मस्तक के अंदर बहुत सारा कफ इकट्ठा हो जाता है, मस्तक में कीड़े पड़ जाते हैं, जब कोई भी दूसरी ओषधियाँ काम नहीं करती, तब अपामार्ग के बीजों को चूर्ण करके सूंघने से चमत्कारिक लाभ होता है।

【34】अपामार्ग के बीजों के चूर्ण को सुंघाने से मस्तक के अंदर जमा हुआ कफ़ पतला होकर नाक के जरिये बाहर निकल जाता है और वहां पैदा हुए कीड़े भी झड़ जाते हैं।

अवधूत के सबूत
अपामार्ग अघोरी-अवधूतों, तांत्रिक क्रियाओं
के लिए बहुत ही उपयोगी है

【35】प्रसव की परेशानी करे दूर-
प्रसव यानि डिलेवरी के समय जी किसी महिला को बहुत दर्द या कष्ट, पीड़ा हो रही हो,
अथवा प्रसव में विलम्ब हो रहा हो, तो उस
महिला की कमर में रविवार या पुष्य नक्षत्र
में लकड़ी की कूदाली से खोदकर लाई हुई
जड़ को प्रसूता महिला की कमर से बांधने
पर तुरन्त प्रसव हो जाता है। लेकिन प्रसव होने के बाद तुरन्त अपामार्ग की जड़ को निकाल
देना जरूरी होता है, अन्यथा गर्भाशय बाहर
आ सकता है।
अघोरी का पथरी नाशक योग

【36】अपामार्ग की 30 से 50 ग्राम ताजी जड़ को पानी में घोंटकर, पीसकर उसका रस पिलाने से बार-बार होने वाली पथरी का नाद होता है। 7 दिन के सेवन से कितनी भी बड़ी पथरी हो, गलकर बाहर निकल जाती है।
यह बस्ति से टुकड़े करके मूत्र द्वारा बाहर निकल देती है।

खूनी बवासीर-
【37】अपामार्ग के 5 ग्राम बीजों को पीसकर उसका चूर्ण चावल की धोवन के साथ खाने सुबह शाम खाने से बवासीर से निकलने वाला खून बन्द हो जाता है अथवा इसके पंचांग यानी जड़, बीज, पत्ते, कूटकर चूर्ण बनाकर
मिश्री के साथ खाने से खूनी बवासीर
मिट जाती है। पुरानी से पुरानी खूनी या वादी बवासीर में स्थाई लाभ हेतु

【38】पाइल्स की गोल्ड माल्ट का सेवन दो से तीन माह तक करना लाभकारी रहता है।

【39】नेत्र रोग-
अपामार्ग की जड़ को पानी में महीन पीसकर
आंख में आँजने से आंख की फूली सहित अनेक नेत्र रोग ठीक हो जाते हैं।

【40】नामर्दी दूर केरने हेतु-
2 से 3 ग्राम अपामार्ग जड़ का चूर्ण
वंग भस्म 500 mg के साथ खरल कर
मधु पंचामृत के साथ चाटने से नामर्द लोगों
में भी कामशक्ति जागृत हो जाती है।

【41】जहर का दुष्प्रभाव नहीं होता
अपामार्ग का विषनाशक प्रभाव बहुत अदभुत है। मेजर मोहिउद्दीन का कथन है कि अपामार्ग की फूलवाली डालियों पर अगर अत्यंत विषैला
बिच्छू को रह दिया जाए, तो उसे लकवा मार जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिच्छू, नाग आदि से बचने
के लिए अपामार्ग के पंचांग या लकड़ी
को छत के छपरे में रखते हैं।

राजवैद्य सन्तश्रण के अनुभवों के अनुसार
【42】अपामार्ग के पत्तों के रस को हाथ में चुपड़ कर
चाहें जैसे जहरीले बिच्छू को हाथ में लिया जाए
और बिच्छू चाहें जितने भी डंक मारे, तो भी
उसके काटे का असर नहीं होता।
बिच्छू का जहर कैसे उतारें

【43】यदि कभी किसी को बिच्छू ने काटा हो और बिच्छू का जहर चढ़ गया हो, उस व्यक्ति के जहर चढ़े स्थान पर अपामार्ग के पत्तों
के रस की लक़ीर खींच दी जाए, तो बिच्छू
का जहर तत्काल नीचे उतरने लगता है।
ज्यों-ज्यों जहर नीचे उतरे, त्यों-त्यों वह लकीर
भी नीचे-नीचे करते जाना चाहिए, जब बिच्छू
का जहर डंक पर आ जाये, तब अपामार्ग के
पत्तों को पीसकर, उसकी लुगदी बनाकर
डंक पर बांध देना चाहिए।
नाग के काटने पर देशी इलाज

【44】अपामार्ग के पत्तों और जड़ों को पीसकर 10 से 12 गुने पानी में घोलकर जब, तक पिलाना चाहिए, तब, तक पानी कडुआ न लगे, जैसे ही पानी कड़वा लगने लगे, तो पानी पिलाना बन्द कर देना चाहिए, क्योंकि यही
जहर उतारने का सबूत है।

नासूर में चमत्कारी लाभ
【45】अपामार्ग के पत्तों का रस नासूर के ऊपर लगाने से कुछ ही दिनों में नासूर भर जाता है।

गरीबी मिटाने वाला उपाय

【46】अवधूत अघोरी नागा सन्त श्री श्री
सदगुरू शंकरानंद जी के आदेशानुसार
हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को
खुद के द्वारा एकत्रित किये गए अपामार्ग के काढ़े से रात्रि में 11 बजे से 2 बजे के बीच रुद्राभिषेक करने से घोर गरीबी,
पुरानी रोग बीमारी,
सौतन दाह,
शादी में रुकावट
और अनेक संकट दूर होते हैं। यह प्रयोग 12 महीने तक लगातार
प्रत्येक माह करें।

【47】रुद्राभिषेक करते समय राहुकी तेल के 12 दीपक जलावें।

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Comments

One response to “अपामार्ग-एक दिव्य ओषधि”

  1. Swami geetanand avatar

    बहुतबहुत सुंदर जानकारी प्राप्त हु8

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