महादेव और माँ भगवती की साधना से सन्सार में सब कुछ सम्भव है।
घोर आदमी अघोरी बन जाता है। महामूर्ख ज्ञानी हो जाता है और बदसूरत महिलाएं खूबसूरत हो जाती हैं । भले ही वे चेहरे से नहीं, नाम-प्रसिद्धि-कीर्ति भी एक सुंदरता ही है।
१३ जून २०२१ को रम्भा तीज पर दुर्लभ जानकारी….
ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि 13 जून, 2021 का दिन यौवन, आरोग्य और सुंदरता की कामना रखने वाली महिलाओं के लिए खास है। क्योंकि इस दिन भोलेनाथ की परम भक्त एवं सृष्टि की सर्वश्रेष्ठ सुन्दरी अप्सरा रम्भा की जयंती यानि रम्भा तीज है। है।
उर्वशी, तिलोत्तमा, मेनका आदि ये अप्सराएं ऋषि-महर्षि-मुनियों की तपस्या भंग करने हेतु इंद्र इनकी सहायता लेते थे। इनमें रम्भा अत्यन्त खूबसूरत थी।
जवानी बनाये रखने, यौवन, सुंदरता और आकर्षण पाने के लिए राहु की तेल 【RAHUKEY Oil】 के 3 दीपक तथा देशी घी के दो दीपक प्रज्वलित कर इस मंत्र का दो या 5 माला जाप कभी भी करें
!!मम् रंभे अगच्छ पूर्ण यौवन संस्तुते!!
पौराणिक साहित्य में अप्सरा रम्भा की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई बताते हैं। रम्भा भी 14 रत्नों में से एक है।
व्रतराज नामक ग्रन्थ के मुताबिक अविवाहित कन्याएं …योग्य वर या मनवांछित पति पाने हेतु रम्भा तृतीया का व्रत, शिव पूजन करें, तो विशेष फलदायी है। इस व्रत के करने से सभी आंतरिक-बाहरी रोग शान्त होकर, साथ ही बुढापा बिलम्ब से आता है। सुंदरता, सौंदर्य, यौवन चिरस्थाई रहता है।
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अप्सरा शब्द सौंदर्य और श्रृंगार से भरा है। शास्त्र कहते हैं की जिस प्रकार देव, दानव, मनुष्य, यक्ष, किन्नर आदि प्रजातियां ब्रह्माण्ड में उपस्थित हैं इसी प्रकार अप्सराओं की भी एक प्रजाति मौजूद है।इनका रहन सहन देवताओं के साथ रहता है, सौंदर्य और संतुष्टि का पान करने के लिए देवता इनका उपभोग करते हैं।
तंत्र कहता है की अप्सरा भी देव कुल की ही हैं। उनका मंत्र व साधना द्वारा आवाहन किया जा सकता है। साधना व तप द्वारा किसी भी अप्सरा को प्रसन्न कर मनोवांछित वरदान पाया जा सकता है। तंत्र नें माता, बहन, प्रेमिका आदि के रूप में साधना कर किसी अप्सरा को सिद्ध करने का विधान बताया है।
पौरुष, रुप, मनोवांछित स्त्री या गुप्त वर के लिए स्त्री-पुरुष दोनों अप्सरा साधना करते हैं। मुख्य अप्सराएं आठ हैं जिनके नाम निम्नलिखित हैं-
【१】शशि अप्सरा,
【२】तिलोत्तमा अप्सरा,
【३】कांचन माला अप्सरा,
【४】 कुंडला हारिणी अप्सरा,
【५】रत्नमाला अप्सरा,
【६】 रंभा अप्सरा,
【७】उर्वशी अप्सरा,
【८】 भूषणि अप्सरा।
ये सभी अप्सराएं तन्त्र-मन्त्र-यंत्र की महान जानकार हैं।
तिलोत्तमा अप्सरा- इस अप्सरा की साधना पर्वतों पर की जाती है। यह सुंदर अप्सरा प्रसन्न होकर राज्य प्रदान करती है। इनकी साधना से तन्त्र का गयं होता है।
अलग-अलग अप्सराओं की कृपा प्राप्ति हेतु शास्त्रों विभिन्न मंत्रों का वर्णन है।
रम्भा अप्सरा- सबसे चर्चित और देवराज इंद्र की प्रेयसी इस अप्सरा की साधना एकांत कमरे में की जाती है। यह प्रसन्न होकर धन, राज्य और पेय पदार्थ उपलब्ध कराती है। इसका मंत्र है-
मंत्र- ‘ॐ स: रंभे आगच्छागच्छ स्वाहा।’
उर्वशी अप्सरा- इस अप्सरा की साधना निर्जन स्थान पर की जाती है। यह मनोकामना पूर्ण करती है। इसका मंत्र है-
मंत्र- ‘ॐ श्री उर्वशी आगच्छागच्छ स्वाहा।’
नोट- यह एक साधारण परिचय है इन अप्सराओं का , इन्हें सिद्ध करने के लिए किसी पहुंचे हुए गुरु से संपर्क करना चाहिए। मंत्र की विधि, समय, आवश्यक सामग्री गुरु ही बता सकते हैं।
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