क्या आप जानते हैं- सेक्सुअल प्रॉब्लम
की वजह वात-विकार हैं…
अर्थराइटिस / वातरोग–
वातोदयात भवेच्चिते,
जड़ताsस्थिरताभयम।
शुन्यत्वम विस्मृति:
श्रान्तिररतिच्चित्तविभ्रम:। ।
भावार्थ-
अर्थराइटिस/वात-रोग के कारण शरीर में जब वायु का प्रकोप होता है, तब स्थिरता आने लगती है। कि आत्मविश्वास क्षीण हो जाता है। व्यक्ति निर्णय या निश्चय नहीं कर पाता। बार-बार निर्णय बदलता रहता है। शरीर में वायु की तीव्रता या वात की अधिकता होने पर ऐसा होता है।
आयुर्वेद के ग्रन्थ “
© आयुर्वेद चिकित्सा”
पैरालिसिस की बढ़ती समस्या की वजह –
■ थायराईड/ग्रंथिशोथ
■ स्लिप डिस्क
■ कमरदर्द
■ घुटनों में दर्द,
■ जोड़ों की पीड़ा
■ शरीर में कमजोरी
■ शिथिलता
■ आलस्य बने रहना,
■ कोई काम करने की इच्छा नहीं होना
■ याददास्त कमजोर हो जाना आदि बीमारियों का कारण वात-विकार बताया गया है! क्यों कि इसकी वजह से पूरे शरीर में दर्द-पीड़ा हमेशा बनी रहती है। वातरोग दिमाग को शून्यकर, शरीर को क्रियाहीन कर देता है। लकवा पैरालिसिस के ये शुरुआती लक्षण हैं….
नर हो नारी- दोनों की बीमारी-
वात की बीमारी तन के किसी भी जोड़/जॉइंट में हो सकती है। इसमें हाथ या पैर का अंगूठा शामिल है।
शरीर में 64 जोड़/, जॉइंट होते हैं, जिनमें धीरे-धीरे, थोड़ा-थोड़ा दर्द शुरू होता है। यह सब शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रॉपर न होने की वजह से होता है।
आयुर्वेदिक इलाज-
और
दूध के साथ वातरोग होने के पहले या बाद में 1 से 2 महीने नियमित लेवें। यह शुद्ध आयुर्वेदिक औषधि है इसलिए इसे लम्बे समय तक लेना जरूरी है।
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