नीम के बारे में आयुर्वेद के विचार

अमृतम पत्रिका पर करीब 35 हजार पाठकों ने ईमेल कर पूछा है-
नीम के पत्ते पूरे साल खा सकते हैं अथवा सिर्फ अप्रैल के महीने में ही खा सकते हैं? सही जानकारी कैसे मिले।

सनातन धर्म के नवीन वर्ष के दिन जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं। इस दिन नीम की कोपल, कालीमिर्च, सेंधानमक सभी समभाग की चने बराबर गोली साल भर के लिए एक साथ बनाने का वैदिक विधान है। क्योंकि सूर्य इस चैत्र मास में अपने गुरु की राशि मीन में गोचर कर रहे होते हैं।

इस समय नीम के ओषधि गुण बहुत लाभकारी हो जाते हैं। इस स्वनिर्मित नीम गोली को पूरे साल सुबह खाली पेट सादे जल से सेवन करने से व्यक्ति पूरे वर्ष निरोगी रहता है। उसका मधुमेह (डाइबिटीज) तथा ग्रन्थिशोथ (थायराइड) 6 माह में जड़ से मिट जाता है।

नीम के नुकसान—

द्रव्यगुण विज्ञान ग्रन्थ एवं भेषजयसार मणिमाला ग्रन्थ के अनुसार नवसंवत्सर के अलावा नीम की पत्तियां तोड़कर खाने से जोड़ों में दर्द, सूजन, आमवात, ग्रंथशोथ, थायराइड जैसी समस्याओं की शुरुआत होने लगती है।

पित्तदोषों की वृद्धि या पित्त का असन्तुलित होने का कारण भी वेसमय नीम खाना ही है।

किस समय या मौसम में क्या खाएं , क्या न खाएं ऐसा बहुत सा ज्ञान आयुर्वेद शास्त्रों में लिखा है।

आयुर्वेद के बहुत से प्राचीन वेद्याचार्य स्वास्थ्य सूक्तियां, दोहे आदि भी लिख गए है। आयुर्वेद की दोहावली के अनुसार पुराने लोग चलकर 100 वर्ष तक जीवित रहते थे।

सूर्य प्रसन्नता, कृपा पाने के लिए नीम वृक्ष की पूजा का विधान भविष्यपुराण में मिलता है। नीम सूर्य का आराध्य वृक्ष है।

मथुरा से 40 किलोमीटर दूर कोकिलावन में शनिदेव और भगवान श्रीकृष्ण ने नीम वृक्ष के नीचे ही बैठकर सूर्य की आराधना की थी। यहां शनि भगवान की स्वयम्भू प्रतिमा भी है। शनिचरी अमावस्या को यहां दुनिया का लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते हैं।

शनि के प्रकोप से बचने के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ है।

एक आदिकालीन तीर्थ ग्वालियर के पास शनिचरा भी है। यह मुरैना जिले के अंतर्गत आता है। यह स्थान भी ऊर्जा से भरा अद्भुत तीर्थ है। शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति के लिए भक्त यहां तेल अर्पित करते हैं।

एक सबसे महत्वपूर्ण शनिक्षेत्र दक्षिण भारत में है। यह स्थान पांडिचेरी से लगभग 50 किलोमीटर दूर तिरुनल्लार नामक ग्राम में है। यह नरवर जिला शिवपुरी मप्र के राजा नल ने भगवान शिव का कठोर तप कर वरदान पाया था कि जो भी तिरुनल्लार तीर्थ पर शिवजी के स्वयम्भू शिवलिंग का दर्शन करेगा, उस पर शनि की विशेष कृपा होने लगेगी।

एक बात और ध्यान रखें कि – शनि-सूर्य पिता-पुत्र होने के बावजूद भी वैचारिक दृष्टि से शत्रु हैं और नीम शनिदेव का शत्रु वृक्ष है। अतः नीम के अधिक सेवन से शनि का प्रकोप भी झेलना पड़ता है। इसलिए शनि की महादशा, अंतर्दशा, शनि की साढ़ेसाती, पनोती, धैय आदि से परेशान लोग नीम का सेवन कम ही करें, तो स्वस्थ्य प्रसन्न रहेंगे।

केवल नीम वृक्ष को दूर से ही प्रणाम करें, तो बेहतरीन परिणाम आते हैं। यह मेरा स्वानुभव है।

नैनीताल के पास नीम करौली वाले बाबा ने भी नीम वृक्ष के नीचे बैठकर ही बजरंगबली उपासना कर सिद्धि पाई थी।

ये कृष्ना दास हैं जो विदेशों में बाबा का गुणगान कर रहे हैं।

नीम के हिस्से में अभी बहुत किस्से शेष हैं।

इस बारे में कभी पूरा विस्तार से बताया जाएगा। यह सभी जानकारी भी आप पहली बार ही पढ़ेंगे।

शनिदेव का सर्वश्रेष्ठ उपाय है-तिल दान, तुलादान, तेल दान, उड़द दान, लोहा दान, छुआरा दान, गरीबों की दुआ आदि।

स्वास्थ्य को सही रखने का गणित—

प्रत्येक शनिवार चन्दन, जैतून, बादाम तेल एवं केशर इत्र युक्त ऑयल से पूरे शरीर की मालिश करके

!!नमःशिवाय च शं शनैश्चाराय नम शिवाय!!

मन्त्र का 88 बार जाप कर, एक घण्टे बाद स्नान करें।

नहाने के बाद एक दीपक किसी पीपल वृक्ष के नीचे स्थित शिवालय पर अमृतम राहु की तेल का जलाकर आएं। एक साल के इस उपाय से आर्थिक तंगी भी दूर होकर। मुकदमें आदि से राहत व सफलता मिलने लगेगी।

यह स्मरण रखें कि महर्षि पिप्लाद शनि के गुरु हैं। एक पर्यटन कथा के अनुसार इन्होंने शिव की तपस्या कर पीपल वृक्ष होने का वरदान मांगा था।

कब कब मालिश करना सौभाग्यसूचक..

बुधवार, शुक्रवार एवं शनिवार इन तीनों दिनों में सिर में तेल लगाने के साथ साथ पूरे शरीर की धूप में बैठकर मालिश कर स्नान करना बहुत ही फायदेमंद तथा सौभाग्यवर्धक रहता है।

रहस्यमयी शनि नामक पुस्तक में उल्लेख है- शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनिवार को शनि भगवान पर तेल अर्पित करें या नहीं करें। परन्तु हरेक मानव को शनिवार के दिन अपने शरीर पर तेल जरूर लगाना चाहिए। फिर स्नान करें।

“मन की चंचलता”….मिटाने हेतु सोमवार को अभ्यंग या मालिश करना हितकारी है!

“बुद्धि-विवेक वृद्धि हेतु”….बुधवार को नहाने से पहले मालिश लाभकारी है।

“आलस्य व शिथिलता”- दुर्भाग्य …दूर करने के लिए

शुक्रवार को पूरे शरीर पर अभ्यंग करना हितकारी है तथा

“भय-भ्रम,चिन्ता,तनाव” …से मुक्ति पाना हो और

राहु-केतु और शनि ग्रहों की शान्ति के लिए

शनिवार को सुबह स्नान से एक से दो घन्टे पूर्व मालिश या अभ्यंगस्नान का महत्व बताया है।

शुक्रवार को चंदनादि, जैतून, बादाम, अमृतम कुंकुमादि तेल तथा गुलाब इत्र युक्त सुगन्धित Kaya key oil तेल की मालिश से धन-समृद्धि बढ़ती है।

अभ्यंग चिकित्सा शास्त्रों” के “लेप-मर्दन प्रकरण में हर्बल ऑयल द्वारा अभ्यंग (मालिश) के बारे में स्पष्ट लिखा है कि-

तन को तेल से सराबोर यानि

पूरी तरह भिगा लेना चाहिये। !! अमृतम!!

“काया की हर्बल मसाज़ ऑयल”

में 7 तरह के आयुर्वेद की जांची-परखी

हर्बल ओषधियों का मिश्रण है। इसकी मन-मोहक खुशबू से तन-मन महक उठता है।

एक खुशबूदार मसाज़ ऑयल

जिसे बनाया है शुद्ध प्राकृतिक तेलों से, जो शनि, शुक्र की प्रतिनिधि आराध्य द्रव्य हैं-

!1!- शुद्ध बादाम गिरी तेल

!2!- कुम-कुमादि तेल

!3!- जैतून तेल

!4!- केशर इत्र

!5!- चंदन इत्र

!6!- गुलाब इत्र

!7!- आदि सुगन्धित हर्बल द्रव्यों से निर्मित

सम्पूर्ण परिवार के लिए

अभ्यंग (मालिश) हेतु सर्वोत्तम है।

अमृतम काया की मसाज़ ऑयल के

¶~ २३~चमत्कारी फायदे….

1¶~ हड्डियों को मजबूत बनाये।

2¶~ त्वचा को मुलायम करे।

3¶~ रंग को साफ करने में सहायक।

4¶~ रक्त के संचार को गति प्रदान करता है

5¶~ शिथिल नाड़ियों को शक्तिशाली बनाता है

6¶~ छिद्रों की गन्दगी बाहर निकालता है

7¶~ बच्चों की मालिश हेतु अति उत्तम

8¶~ बच्चों के सूखा-सुखण्डी रोग नाशक है

9¶~ बच्चों की लम्बाई बढ़ाता है

10¶~ तुष्टि-पुष्टि दायक है

11¶~ उन्माद,सिरदर्द,सिर की गर्मी

में राहत देता है

12¶~ तनाव मुक्त कर,नींद लाता है

13¶~ शरीर को सुन्दर बनाता है

14¶~ महिलाओं का सौन्दर्य बढ़ाकर

खूबसूरती व योवनता प्रदायक है

15¶~ ऊर्जावान बनाये

16¶~ फुर्ती व स्फूर्ति वृद्धिकारक है

17¶~ बादाम का मिश्रण बुद्धिवर्द्धक है

18¶~ नजला,जुकाम दूर कर,

19¶~ याददास्त बढ़ाता है

20¶~ वात-विकार से बचाव करता है

21¶~ काया की हर्बल मसाज़ ऑयल

बुढापा रोकने में मदद करता है

22¶~ सब प्रकार से स्वास्थ्य वर्द्धक है।

23¶~ यह शरीर में किसी भी तरह के संक्रमणों को पनपने नहीं देता।

धूप में करें अभ्यंग, तो होंगे मसत्य-मलंग जाने~ 11 लाभदायक परिणाम….

【1】धूप में बैठकर मालिश करने से विटामिन डी की पूर्ति होती है।

【2】 देह की सभी हड्डियां मजबूत होने लगती हैं।

【3】शरीर में दर्द नहीं रहता

【4】थायराइड की समस्या से मुक्ति मिलती है।

【5】सुबह की धूप शरीर के सब नलकूप खोलकर तन-मन में मस्ती-चुस्ती, स्फूर्ति का संचार कर देती है।

【6】कोरोना जैसे संक्रमण से बचाव होता है।

【7】इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है।

【8】चेहरे पर निखार आता है।

【9】रात में अच्छी, गहरी नींद आती है।

【10】बुढापा जल्दी नहीं आता।

【11】सेक्सुअल पॉवर एवं मर्दांग्नि शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है।

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