फेटी लिवर के लक्षण, अगर शरीर में हमेशा थकान, कमजोरी रहे तथा स्वभव में चिड़चिड़ापन आने लगे, तो इसे गम्भीरतापूर्वक लें हो सकती है यकृत में कोई विशेष विकराल समस्या।
- आयुष मंत्रालय की एक शोध व सर्वे के मुताबिक भारत में 25 फीसदी लोग फेटी लिवर की समस्या से जूझ रहे हैं।
फेटी लिवर होने की 19 खास वजह…
- गलत जीवनशैली,
- अव्यवस्थित लाइफ स्टायल,
- रात को देर से खाना,
- नमकीन दही का सेवन,
- रात्रि भोजन में चावल और अरहर की दाल का अधिक उपयोग,
- तला हुआ, अधिक तेल-मसाले का भोजन, आलस्य, अधिक सोना।
- व्यायाम व कसरत न करना,
- देर रात सोना,
- सुबह बिलम्ब से उठना,
- शरीर की मालिश न करना।
- अंग्रेजी दवाओं का ज्यादा सेवन करना।
- पाचनतंत्र की कमजोरी।
- मेटाबोलिज्म ठीक न रहना
- बार-बार खाना
- रोगप्रतिरोधक क्षमता की कमी
- अम्लपित्त की समस्या
- पेट साफ न रहना
- एसिडिटी, गेस का होना
- लिवर पर वसा की जमावट
- आंतों में चिकनापन आना।
- मांस एवं शराब का अत्याधिक उपयोग।
- जरूरी नहीं कि आप शराब पियें, तभी आपको लिवर की समस्या हो बल्कि यकृत रोग गलत खानपान के कारण भी पनप सकते हैं।
- आधुनिक खोज में इसे नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर डिसीज़ कहा जाता है। इस तरह की बीमारी के रोगी पिछले पांच साल में 25 फीसदी तक बढ़ गए हैं। यह खुलासा विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO भी कर चुका है।
- आयुर्वेद चरक सहिंता के मुताबिक अव्यवस्थित लाइफ स्टाइल, अधिक तला-भुना भोजन, मांसाहार और व्यायाम न करने के कारण लिवर की बीमारी दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है।
- आयुर्वेद विशेषज्ञो की माने तो यदि आपको हर समय थकान रहती है और बदन में कमजोरी आ रही है। पेट के दायीं तरफ ऊपरी हिस्से में दर्द या पेट में सूजन जैसी परेशानी आ रही है, तो गंभीरता से लें, यह नॉन एल्कोहलिक लिवर डिसीज हो सकती है।
- यकृत की सुरक्षा के लिए से कार्बोहाइड्रेट और वसा रहित या कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। हर व्यक्ति को प्रतिदिन कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज करना चाहिए।
- फैटी लिवर व्याधि आमतौर पर उन लोगों को होती है, जो बहुत अधिक मात्रा में शराब या अल्कोहल का सेवन करते हैं।
- वहीं नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर की समस्या से जूझने वाले लोग या तो बहुत ही कम मात्रा में एल्कोहॉल का सेवन करते हैं या बिल्कुल भी सेवन नहीं करते हैं।
- फैटी लिवर यानी व्यक्ति के लिवर यानी की यकृत में फैट जमा हो जाता है। इस कारण लिवर की कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है।
- हमारे खानपान का पाचनतंत्र पर नकारात्मक असर पड़ता है और पूरा शरीर इस कारण प्रभावित होता है। इससे व्यक्ति के कामकाज पर असर पड़ता है।
- आयुर्वेदिक प्राकृतिक इलाज…
- यकृत अनेक असाध्य बीमारियों से बचने के लिए केवल सुबह अपने आहार में ताजे फलों और सब्जियों को शामिल करें।
- उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। हरी सब्जियां, अमरूद, पपीता, लौकी का रस, ताजी एलोवेरा रस, (2 चम्मच से अधिक नहीं) जामुन, सिजनेवल फल व अंगूर भी केवल दिन में ले सकते हैं। रात को कभी फल न खाएं।
- मूंग, गेहू 10 से 20 ग्राम तक ही अंकुरित करके लेवें।
- मेवा में मुनक्का, अंजीर, दूध में उबालकर ही लेवें। खकने के बाद एक चम्मच गुलकन्द का सेवन पेट में पित्त नहीं पनपने देता। खाना जल्दी पचता है।
- गुलकन्द खोल देती है सब बन्ध – गुलकन्द आप चाहें, तो अमृतम कम्पनी का ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। ये कम्पनी स्वयं की वाटिका में लगे ताजी गुलाब के फूलों से अमृतम गुलकन्द बनाती है।
- आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों को लेवें – मकोय, नक़्गरमोथा, धनिया, जीरा, पुर्ननवा, गुलाब, कालमेघ, भुहिं आंवला, भृङ्गराज, हरड़ या हरीतकी मुरब्बा, त्रिफला, सेव मुरब्बा, त्रिकटु,अजवायन, पोदीना, सनाय आदि लिवर को दुरुस्त रखने में हितकारी हैं।
- अपने बच्चों एवं परिवार के सभी सदस्यों को किलिव माल्ट, Keyliv Strong syrup और किलिव कैप्सूल सभी दिन में एक बार सेवन करवाएँ। इससे बहुत फायदा होगा।
- बच्चों का पाचनतंत्र सही रहता है तथा समय पर खाना खाते हैं।
- किलिव में उपरोक्त सभी दवाओं का मिश्रण है। आप लिवर को सदैव स्वस्थ्य रखने के लिए इसे ऑनलाइन मंगवाकर हमेशा खिला सकते हैं। किलिव बहुत ही उम्दा उत्पाद है।
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