पहला सुख-निरोगी काया
स्वस्थ,दीर्घायु और समृद्ध जीवन के लिए मानसिक (बौद्धिक) विकास से ज्यादा पूर्ण शारीरिक विकास पहली प्राथमिकता है और यह आयुर्वेदिक दवाइयों के सेवन करने से तथा प्राकृतिक वातावरण के साथ रहकर ही सम्भव है।
बीमार जनरेशन का निर्माण-
हम भविष्य के लिए ऐसी पीढ़ी/जनरेशन का निर्माण कर रहे है जो जवानी की दहलीज पर पैर रखते ही अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता/इम्यूनिटी पॉवर नष्ट कर चुकी होगी यानि आज के बच्चे युवावस्था तक आते आते अनेक मानसिक,शारीरिक और व्यवहारिक समस्याओ से ग्रस्त हो जाएंगे, जिसका समाधान सम्भव मेडिकल साइंस के पास पिल्स/टेबलेट/इंजेक्शन परोसने के अलावा कुछ भी नही है।
खान-पान के नियमों की जानकारी का अभाव-
आज के नवयुवकों/युवतियों का पाचन तन्त्र/चयापचय/मेटाबोलिज्म केमिकल युक्त स्वादिष्ट भोज पदार्थो के कारण पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो चुका है। पेट की सभी बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा इलाज है सुबह उठते ही खाली पेट 2 से 3 गिलास सादा पानी पीना आज की पीढ़ी को कोई
कब क्या खाएं-
अधिकांश बच्चों को यह जानकारी नहीं है कि
किस मौसम में क्या खाना लाभदायक होता है। जैसे रात में दही, जूस, सलाद, फल लेना निषेध है, क्योंकि रात्रि में इनके सेवन से जठराग्नि कमजोर हो जाती है, जिसके कारण पाचनप्रणाली दूषित हो जाती है। छोटी-छोटी मौसमी बीमारियों में बिना किसी की सलाह लिये गलत दवाओं का उपयोग कर अनेक प्रकार के रोगों को न्योता दे रहे हैं।
स्वस्थ्य रहकर 100 वर्ष की उम्र तक जीने वाले कुछ सूक्तियां लिखी छोड़ गए हैं। आज उन पर कोई भी गौर नहीं करता!
बुजुर्गों ने कहा है कि–
कुंआर करेला, कार्तिक मही/दही
मरे नहीं, तो पड़े सही।
अर्थात कुंआर के महीने में करेला और कार्तिक
के महीने में दही या महि का सेवन शरीर को बहुत हानिकारक होता है।
कैसे रहें स्वस्थ्य/तंदुस्त–
【】रोज रात को सोते समय त्रिफला चूर्ण 1 से 2 चम्मच सादा जल से जरूर लेवे। त्रिफला चूर्ण हरड़, बहेड़ा एवं आँवला तीनों को समभाग यानि सभी को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर घर में ही बनाना ज्यादा ठीक रहता है।
हरड़ मुरब्बे के फायदे–
इसे हरीतकी के नाम से भी जाना जाता है।
हरड़ का मुरब्बा घर में बनाकर रोज सुबह शाम
दूध या पानी के साथ ले सकते है। आयुर्वेद में इसे अमृत कहा गया है। हरड़ मुरब्बा पेट के अंदरूनी रोगों का नाश करता है। पुरानी कब्ज के कारण उदर में सड़ रहे मल को गलाकर/फुलाकर बाहर निकल देता है। शरीर के सभी दोषों और रोगों का कारण पेट की खराबी है, हरड़ मुरब्बा पेट की बीमारियों को दूर करने वाली अदभुत ओषधि है।
हरड़ मुरब्बा बनाने की विधि एवं उसके गुणों के बारे में बहुत विस्तार से जानकारी हम पिछले लेख/ब्लॉग में दे चुके हैं।
हर रोग को हटाने वाली हरड़ (हरीतकी) के मुरब्बे से निर्मित
“अमृतम गोर मिटाकर तन की तासीर को तेजी से तंदरुस्त बनाने में सहायक है। इसमें अंदरूनी रूप से आकार ले रहा, कोई भी अनहोनी करने वाला रोग-विकार मिटाने की क्षमता है । यह शरीर को दे अपार ऊर्जा ,शक्ति प्रदान करता है।
यह एक शक्तिदाता हर्बल ओषधि है । इसे नियमित 2 से 3 माह तक लिया जावे, तो तन-मन प्रसन्न रहता है।
【】शरीर जीवनीय शक्ति और इम्यूनिटी शक्ति से लबालब हो जाता है ।
【】 बार-बार होने वाली बीमारियों से बचाव कर रोगों को आने से रोकता है ।
【】त्रिदोष नाशक होने से वात-पित्त-कफ को समकर शरीर रोगरहित करता है ।
【】बीमारी के पश्चात की कमजोरी दूर करने में सहायक है ।
【】 मौसमी बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है।
【】मेदरोग, मोटापा को नियंत्रित करने में सहायक है ।
【】कमजोरी,मिटाता है।
【】 हमेशा कब्ज रहना, पूरी तरह एक बार में पेट साफ न होना आदि उदर रोग ठीक कर पखाना समय पर लाता है ।
【】इसके सेवन से तन-मन प्रसन्न तथा शक्ति, स्फूर्ति आती है, काम में मन लगने लगता है ।
【】थकावट, आलस्य, बहुत ज्यादा नींद आना, हांफना जैसे सामान्य रोग मिटाता है ।
【】सेक्स की इच्छा और समय बढ़ाता है ।
【】महिलाओं का मासिक धर्म समय पर लाकर, श्वेत प्रदर, सफेद पानी एवम व्हाइट डिस्चार्ज आदि विकारों को दूरकर सुंदरता दायक है ।
【】 दुबले-पतले शरीर के लिये ताकतवर है।
【】 लंबे समय से बीमार या बार-बार रोगों से पीड़ित रोगियों में जीवनीय शक्ति वृद्धिकारक है ।
【】 आँतो की खराबी, रूखापन, चिकनाहट
दूर कर भूख व खून बढ़ाता है।
【】यकृत (लिवर) एवम गुर्दों की रक्षक है ।
【】कोशिकाओं व हड्डियों को ताकत देकर मजबूत बनाता है ।
【】पेट की कड़क नाडियों को मुलायम बनाकर उदर के सभी रोगों का नाश करता है ।
अमृतम गोल्ड माल्ट असरकारक ओषधि के साथ-साथ एक ऐसा अदभुत हर्बल सप्लीमेंट
है, जो रोगों के रास्ते रोककर सभी नाड़ी-तंतुओं
को क्रियाशील कर देता है ।
यह एक दवा ऐसी हर्बल मेडिसिन है, जो 100 तरह के पुराने से पुराने रोगों को जड़ से सफ़ा करने में सहायक है।
हम संकल्प करले कि, स्वस्थ रहने के लिये केवल प्राकृतिक चिकित्सा ही लेना है। अमृतम आयुर्वेद ओषधियों का ही सेवन करना है। दृढ़ संकल्प के सहारे हम सदा स्वस्थ व मस्त रह सकते हैं ।
अमृतम जड़ी-बूटियों के बिना हम रोगों से पीछा नहीं छुड़ा सकते । लाइलाज, असाध्य व्याधियों को आयुर्वेद दवाओं से ही ठीक किया जा सकता है । 

तन्दरूस्ती की चिकित्सा ––
वर्तमान समय में जड़ी-बूटियों आदि ज्ञान
बहुत कम लोगों को है । ये जड़ी बूटियाँ बाजार में मुश्किल से मिल पाती हैं। विश्वास भी नहीं हो पाता, फिर साफ करने, कूटने, उबालने तथा काढ़ा आदि चूर्ण बनाने का झंझट अलग। इन सबके लिए समय चाहिये। इसलिये ही इन सब परेशानियों से बचाने हेतु अमृतम द्वारा करीब 40 से 45 मुरब्बे, मसाले, जड़ी-बूटियों के योग (मिश्रण) से एक तुरन्त असरकारक योग अमृतम गोल्ड माल्ट तैयार किया है, जो 100 से अधिक साध्य-असाध्य, अज्ञात रोगों को जड़ से दूर करने में सहायक है ।
स्वास्थ्य वर्द्धक हर्बल माल्ट ––
शरीर का पोषण करने में यह चमत्कारी है । सभी विटामिन्स, केल्शियम सहित आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति कर शरीर को पूरी तरह हष्ट-पुष्ट बनाता है।
खाने/सेवन करने की विधि —
1- सुबह नाश्ते (ब्रेक फ़ास्ट) के समय ब्रेड पर लगाकर चाय के साथ।
2- दिन में पराठा, रोटी में लगाकर पानी या दूध के साथ रोल बनाकर जीवन भर लिया जा सकता है ।
3- जिनको हमेेशा सर्दी, खाँसी, जुकाम रहता हो, प्रदूषण या प्रदूषित खानपान के कारण बार-बार होने वाली एलर्जी, निमोनिया, नाक से लगातार पानी बहना, गले की खराश, सर्दी या अन्य कारण से कण्ठ, गले या छाती में दर्द रहता हो, तो 2 चम्मच ‘अमृतम गोल्ड माल्ट’
एक कप गर्म पानी में अच्छी तरह मिलाकर ‘ग्रीन टी’ की तरह एक माह तक सुबह खाली पेट तथा दिन में 2 से 3 बार लेवें ।
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