दाल में तड़का हो या फिर सब्जी की बात हो हमारे दिमाग मे जीरा का नाम सबसे पहले आता है। यह एक मसाला रूप जाना जाता है। भारतीय खाने मे इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। या यूँ कहिए इसके बिना भारतीय खाना अधूरा है। यह एपियेशी जाति का पुष्पीय पौधा है। यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र में फैला है। इस के प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सूखाकर बनाया जाता है। जीरा का संस्कृत नाम जीरक है। जीरा का अर्थ है भोजन को पचाने मे सहायता करने वाला।
जीरे का पौधा
जीरा का जैविक नाम क्युमिनम सायमिनम जैविक पौधो के बीज को कहा जाता है। यह पौधा 30-50 सें.मी की ऊँचाई तक बढ़ता है। इसके फलों को हाथ से ही तोड़ा जाता है। यह वार्षिक फसल वाला हर्बेसियस पौधा है इसकी त्वचा चिकनी और मुलायम होती है। इसके तने कई शाखाए होती है। इसका पौधा 20-30 से.मी ऊँचा होता है। प्रत्येक शाखाओं की 2-3 उप शाखाएँ होती है। एवं सभी शाखाओं की ऊँचाई समान होती है। जिससे यह छतरीनुमा आकार हो जाता है। इसका तना गहरे हरे रंग का स्लेटी की आभा लिये होता है। इन पर 5-10 सें.मी धागे के आकारनुमा मुलायम पत्तियाँ होती है। आगे की तरफ सफेद व हल्के गुलाबी रंग के छोटे-छोटे फुल अम्बेल के आकार के होते है।
जलवायु
जीरा के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है। जीरे की फसल शुष्क व ज्यादा ठण्डे मौसम की आवश्यकता नही होती है। ज्यादा वायुमण्डलीय नमी रोगो को और कीडे़ पनपने में सहायक है।
जीरे की फसल
जीरा का प्रयोग हम मसाले के रूप करते है इसकी खेती राजस्थान व गुजरात में होती है। जीरा की खेती के लिए सुखा, बुलई मिटटी ज्यादा अच्छी होती है। जीरे की खेती के लिए नंबवर और दिसबंर का समय उपयुक्त होता है।
जीरे के फायदे
जीरा हमारे खाने का स्वाद तो बढ़ाता ही है लेकिन साथ-साथ यह हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इफ्लेमेटरी, एंटी-फ्लैटुलेंट गुणों की खान है। इसके अलावा इसमें डाइटरी फाइबर और लौह, तांबा, कैल्शियम , पोटेशियम, सेलेनियम, मैग्नीज, जिंक, विटामिन्स और मैग्नीशियम का बहुत अच्छा स्त्रोत है।
1. जीरा गुणो का खान होता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट होते है। जो हमारे पाचन तंत्र को मजबूत बनाते है। हमारा इम्युनि सिस्टम को बढ़ाता है।
अमृतम गैसाकी चूर्ण
इसको खाने से खाना तो अच्छे से पचता है साथ ही पेट से संबंधित बिमारियो को ठीक करता है। पेट में ऐठन नही बनती और गैस की समस्या से मुक्ति मिलती है।
2. जिन लोगो को भूख नही लगती जीरा उनके लिए एक अच्छा विकल्प है।
अमृतम गैसाकी माल्ट
गैसाकी माल्ट खाने से खाने की इच्छा होने लगती है और खटटी डकारें, सीने की जलन में भी फायदा करता है।
3. जीरा का उपयोग बुखार में भी लाभदायक है। इसका इस्तेमाल गुड़ के साथ खाने से बुखार में लाभ मिलता है।
अमृतम का फेवकी माल्ट
फेवकी माल्ट के सेवन से बुखार, मलेरिया, स्वाइन फ्लु, डेंगु, में फायदेमंद है सर्दी, जुकाम में भी लाभकारी है।
4. जीरा में प्रचुर मात्रा में आयरन होता है। जिन लोगों में आयरन की कमी होती है जीरा लेने से उन्हें फायदा मिलता है। गर्भवती महिलाओं के लिये जीरा फायदे मंद होता है।
5. महिलाए प्रसव के बाद जब दूध न उतरने की समस्या सें ग्रसित होती है। उन महिलाओं के लिए जीरा का उपयोग लाभकारी होता है।
6. जीरा मे विटामिन्स भी पाए जाते है। जो त्वचा संबंधि रोग और धाग धब्बे मे फायदेमंद है। जीरा को पानी में उबालकर उसे ठंडा करके उससे चेहरा धोले। इससे चेहरे पर चमक आ जाती है। जीरा के पाउडर का पेस्ट लगाने से धाग धब्बों में राहत मिलती है।
जीरे की तासार ठंडी होती है इसके उपयोग से शरीर को ठंडक मिलती है। ये हमारे शरीर के विषाक्त तत्वो को बाहर निकलता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है।
जीरे के नुकसान
कहते है कि किसी चीज का इस्तेमाल अगर संतुलित ढ़ंग से किया जाए तो उसके लाभ से लेकिन अधिक इस्तेमाल की जाए तो नुकसान भी होता है। जीरे के उपयोग से एलर्जी और चकते हो सकते है। गर्भवती स्त्रियो को इसका ज्यादा नही करना चहिए गर्भपात संभावना हो सकती है। महिलाओ और लडकियों को मासिक धर्म इसका उपयोग कम करना चाहिए क्योकि ज्यादा इस्तेमाल से ब्लीडिंग ज्यादा होता है।
लम्बे समय तक जीरे का ज्यादा सेवन करने से किडनी और लीवर को नुकसान हो सकता है।
[recent_products]
Leave a Reply