बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि
दशानन रावण भोलेनाथ के मुख्य
पार्षदों में से एक हैं।
जिस तरह जय और विजय विष्णु के पार्षद हैं उसी तरह
बाण, रावण, चंड, नंदी, भृंगी
आदि शिव के पार्षद हैं।
शस्त्रों में लिखा है कि इन पार्षदों के
अपमान और आलोचना करने से
धन का धीरे-धीरे नाश होकर घोर गरीबी
आने लगती है।
परम् शिवभक्त रावण के बाबा ऋषि
पुलत्स्य की बहिन महानन्दा ने
महादेव की घनघोर तपस्या के
फलस्वरूप यह वरदान मांगा था
कि जो भी कोई मेरे वंश की बुराई
करे, उसके घर में लक्ष्मी का वास न
हो।
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