विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी
दी है कि-कोरोना हमारे साथ लम्बे समय
तक रहेगा बाद में और भी ऐसी महामारी
फैलने की आशंका रहेगी।
स्वस्थ्य-मस्त, तन्दुरुस्त रहने के लिए….12 बाते याद रखना चाहिए।
【1】जीने के लिए अपनी इम्युनिटी बढ़ाये।
【2】 मलावरोध होने से बचाएं।
【३】अनियमित मल त्याग की आदत से बचें। पेट एक बार में साफ हो।
【4】अगर बीमार हैं, तो स्वीकारना ही सादगी-सरलता है-
【5】कोई बीमारी दबाएं या छुपाएं नहीं,
तुरन्त प्राकृतिक चिकित्सा और
आयुर्वेदिक उपचार करें।
【6】 मनोबल आत्मशक्ति को कमजोर
कम नहीं होने देवें।
【7】जिस उपचार से फायदा हो उसे अन्य
लोगों को भी बताएं।
【8】किसी भी तकलीफ में सर्वप्रथम घरेलु, देशी, प्राकृतिक इलाज तलाशें।
【9】पेट में कब्ज न होने दें, कब्ज ही कफ का जन्मदाता है, जो वात-पित्त-कफ को विषम बनाकर इम्युनिटी खत्म कर देता है।
【10】वात-पित्त-कफ के विषम होने से प्रकट होती है ये परेशानियां….
त्रिदोष के कारण दांतों में संचित मल,
नाक में बार-बार जमने वाला किट्ट
(पपड़ी), नाक का (शुष्कता) सूखापन
संगृहीत होने लगता है, जिससे
मुख में दुर्गंध रहती है।
【12】त्रिदोष के कारण होने वाली बीमारियां….उनके लक्षण
[] अग्निमांध, [] अरुचि, [] अजीर्ण,
[] अन्नअल्पता, [] अन्न उबकाई,
[] भोजन न पचना, [] कमजोर मेटाबोलिज्म, [] पाचनतंत्र की खराबी आदि अनेक उदर रोग की विकृति होने पर देह की वृद्धि पर प्रतिबन्ध हो जाता है।
समस्त शरीर गले हुए बैगन की तरह
शक्तिहीन और नरम-कमजोर सा भासता है। अंगुलियाँ मोटी, पैर छोटे, तन बेडौल तथा
मन भारी सा प्रतीत होता है।
शरीर को शक्तिमान बनाने के ज्ञानवर्धक वैदिक उपाय जानना हो, तो लिंक क्लिक करके पढ़ सकते हैं-
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प्रतिरक्षा प्रणाली यानि शारीरिक शक्ति का अभाव हो जाने से स्त्री-पुरुषों को युवावस्था प्राप्त होने पर भी जवानी के लक्षण दिखाई न देना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आयुर्वेद शास्त्र °द्रव्य-गुण विज्ञान° में वर्णन
है कि- जब तक शरीर त्रिदोष रहित नहीं
होगा, तब तक जीवनीय शक्ति या इम्युनिटी में बढोत्तरी नहीं हो सकती।
“आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान” के मुताबिक…
शरीर में जब तक वात, पित्त, कफ सम
नहीं होते, तब तक रोग कम नहीं होते।
इन्हीं कारणों से रोगप्रतिरोधक शक्ति कमजोर होती चली जाती है और दवाइयां असर नहीं करती।
अमृतम टेबलेट से करें इलाज...
अमॄतम टेबलेट मल का संचय एवं अवरोध
नही होने देता, जिससे त्रिदोष आदि अनेक
तरह की बीमारियां उदर में पनप नहीं पाती।
वेद और आयुर्वेद के अनुसार–
अमॄतम टेबलेट विविध व्याधियों के मूल
कारण त्रिदोष-विकृति तथा पचनेन्द्रीय
संस्थान की अशक्ति को दूर करती है।
“रसतन्त्रसारःसिद्धप्रयोग संग्रह”
तथा भावप्रकाश नामक आयुर्वेदिक ग्रन्थ-
(अमॄतम टेबलेट का फार्मूला इसी पुस्तक से लिया गया है।) में लिखा है-
“बहुनात्र कि मुक्तेन सर्वरोगेषु शस्यते”
और
‘सर्वरोग-प्रशमनी’
अर्थात-अमॄतम टेबलेट का सेवन सब
बीमारियों में किया जा सकता है।
क्योंकि यह वात-पित्त-कफ (त्रिदोषों) को जड़मूल से हटा देती है। इसे लगातार लेने
शरीर में शक्ति का संचय होने लगता है।
रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए
डाइजेशन सही रहना, मेटाबोलिज्म
ठीक होना एवं वात, पित्त, कफ का सम
होना जरूरी है।
अमॄतम टेबलेट– 1 से 2 गोली सुबह-शाम
2 से 3 माह तक नियमित लेवें, तो शरीर
के सभी दोष हर लेती है।
निम्नलिखित रोगों के उपचार में
अमॄतम टेबलेट अत्यन्त लाभकारी है-
■ बार-बार मुहँ में जल छूटने से कण्ठ में
भयंकर जलन होना।
■ झागयुक्त बड़ी-बड़ी वमन (उल्टी, कै) होना।
■ उदर में जड़ता, ■ पेट फूलना,
■ पेट की नाड़ियों का कड़क होना,
■ क्षुधामांद्य यानि पानी पीने की इच्छा न होना।
■ भोजन के तुरन्त बाद वमन होना या उबकाई जैसा मन होना।
■ कब्ज की अधिकता होते हुए भी खांसते
समय कफ न निकलना।
■ चिपचिपा कफ गिरना आदि लक्षण
■ मलमूत्रोत्सर्ग सम्यक न होना
अर्थात पेशाब और मल का साफ न उतरना
जैसी तकलीफों को 7 से 10 दिन में कम
करके तन से त्रिदोष का सर्वनाश कर देती है।
मोटापा-चर्बी-थोन्द घटाए.…
अमॄतम टेबलेट 8 से 10 महीने तक
एक से दो गोली सुबह-शाम सादे जल
से लेने पर पेट की चर्बी घटने लगती है।
दीर्घकालीन उपयोग से मेदवृद्धि
(मोटापा, चर्बी,) रुक जाती है।
मेदवृद्धि दो प्रकार से होती है। प्रथम है…..
{{१}} रुधिरवाहिनियों
(blood vessels, capillaries)
में कठोरता आकर रक्त बल कम होने पर
मोटापा तेजी से बढ़ता है।
रुधिर वाहिनियाँ तीन प्रकार की होती है:-
● धमनियाँ – जो रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों की ओर ले जाती हैं। पल्मोनरी धमनी के अतिरिक्त इनमें शुद्ध रुधिर बहता है।
●● शिराएँ – ये वे रुधिर वाहिनियाँ हैं जो रुधिर को विभिन्न अंगों से हृदय की ओर वापस ले जाती हैं। पल्मोनरी शिराओं के अतिरिक्त इनमें अशुद्ध रुधिर बहता है।
●●● कोशिकाएँ – ये धमनियों और शिराओं
को आपस में जोड़ने वाली सूक्ष्म वाहिनियाँ हैं, जिनका शरीर के विभिन्न अंगों व ऊतकों में जाल बिछा रहता है।
{{२}}दूसरा-निकष्ठमणि (बाल ग्रैवेयक ग्रन्थि Thymus Gland) जो कि-
थाईमोसीन नामक हार्मोन का स्राव करती हैं। इससे निर्बल या कमजोर होने पर पाचन क्रिया मंद होकर मेदोत्पत्ति अर्थात शरीर की चर्बी फैलकर देह मोटी हो जाती है।
इस वजह से मोटापा तीव्रगति से बढ़ने
लगता है; परन्तु शरीर को बल नहीं मिलता। थोड़ी सी मेहनत या परिश्रम से सांस भर आती है।
भूख-,प्यास के वेग को रोकने से
शरीर कंपकपाने लगता है। ऐसे मनुष्य भूखे
रहने पर चिड़चिड़ाने लगते हैं, उन्हें क्रोध बहुत आता है।
समय पर भोजन न मिलने से विविध
प्रकार के वात-प्रकोप के लक्षण उपस्थित
होने लगते हैं। अमॄतम टेबलेट इन सब
समस्याओं को शान्त करती है।
मोटापा बढ़ने के सामान्य कारण…
पेट में मलशुद्धि और विरेचन सही समय
पर न हो, तो उत्साह में कमी आकर सुस्ती, आलस्य बना रहता है, जिस कारण मेदवृद्धि यानि पेट बाहर निकलकर, भयंकर रूप से मोटापे में वृद्धि होने लगती है।
अमृतम टेबलेट...
पेट को कब्ज के कब्जे से मुक्त करती है। गृहिणी-संग्रहणी रोग (आईबीएस) दूर कर पाचनतंत्र एवं मेटाबोलिज्म मजबूत बनाती है।
मलावरोध की आदत नष्ट कर मलशुद्धि करने में अमॄतम टेबलेट अत्यन्त कारगर है।
द्रव्य-घटक (फार्मूला) और गुणधर्म…
€ सनाय, € हरड़, € यष्टिमधु, € त्रिफला,
€ अजवायन, € सौफ € कालानमक,
€ सज्जिक्षार, € निशोथ, € जायफल,
€ एरंड सीड आयल,
सौंफ, कालानमक, सज्जिक्षार
से होने वाले फायदे…..
त्रिदोष का नाश कर इम्युनिटी बढ़ाती है-
अमृतम टेबलेट यह कफ को ढ़ीला करने
में अत्यंत कारगर ओषधि है।
मधुयष्ठी या मुलेठी से लाभ…
फेफड़ों का संक्रमण दूर करने में सहायक है।
यह श्वास नलिकाओं को शुद्ध कर प्राण वायु संचार करती है, इसके सेवन से सांस लेना
संभव जाता है।
अमॄतम टेबलेट में मिश्रित हरड़–
दुर्गन्धयुक्त विकारों को मिटाकर मलयुक्त
चिकनी आंतों की शुद्धि करता है, ताकि
शरीर की प्रत्येक कोशिकाओं, अवयवों
में रक्त, वायु और अग्नि नियमित संचार
हो सके।
हरड़ के बारे में विस्तार से जानने हेतु
नीचे लिंक क्लिक करें…
https://www.amrutam.co.in/amrutamharad/
अजवायन ….वायु के दोष को हरण करने वाली होती है व कुष्ठ, विष, दुर्गन्ध, उदर रोग, गुल्म, कृमिरोग, कास, विबन्ध, प्लीहोदर तथा अग्निमांद्य नाशक है।
सनाय (सेना अलेक्सन्ड्रिना) के गुणधर्म…
यह सर्वश्रेष्ठ कब्जनाशक बूटी है।
उदर में जमे पुराने मल और गन्दगी को
साफ करने इससे अधिक अन्य कोई ओषधि
नहीं है। मंदाग्नि, कब्ज, लिवर और पेट
के रोग, अपच, विषमज्वर, कामला
उपयोगी है।संस्कृत में सनाय को
मार्कण्डिका, भूमिवल्ली, मार्कण्डी,
स्वर्णपत्री, मृदुरेचनी कहा गया है।
सौंफ के फायदे….
याददाश्त एवं आंखों की रोशनी बढ़ाती है।
इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन और पोटेशियम।
पर्याप्त पाया जाता है।
अफारा, मुंह में पानी आना, खट्टी डकारें,
पाचनतंत्र की कमजोरी आदि लक्षणों में
भी इसका उपयोग किया जाता है।
सौंफ भोजन पचाने तथा
कफ को ढ़ीला करने में सहायक है।
उदर रोग, मरोड़, दर्द और वायु-विकार
(गैस्ट्रिक डिस्ऑर्डर) में विशेष उपयोगी है।
अमृतम त्रिफला चूर्ण…
त्रिफला का नियमित निराहार उपभोग
तन को दोषरहित, निरामय, सक्षम व
फुर्तीला बनाता है। त्रिफला कब्ज
का निर्माण नहीं होने देता।
हरड़, बहेड़ा, आँवला के समभाग से
निर्मित यह चूर्ण रसायन कहलाता है।
त्रिदोष नाशक त्रिफला शब्द का शाब्दिक
अर्थ है-तीन फल। इसके सेवन से 20
प्रकार के प्रमेह, विविध कुष्ठरोग,
विषमज्वर व सूजन आदि विकार
हाहाकार कर पलायन कर जाते हैं।
हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नेत्ररोग,
पेट के रोग, मेदवृद्धि (मोटापा) आदि होने
की संभावना नहीं होती।
अमृतम त्रिफला
अस्थि, हड्डी, केश(बाल, हेयर), दाँत व पाचन-संस्थान को बलवान बनाता है।
निरोग बनाये-निशोथ….
कंठ,गले से उत्पन्न समस्या, तिल्ली विकार,
खून की कमी, घाव-जख्म आदि रोग
नाशक है। पेट की बीमारी, ह्रदय रोग,
कब्ज के कारण पेट के फूलने की समस्या में लाभ होता है।
जायफल-शरीर के दूर करे मल…
सर्दी-खांसी, जुकाम, तन दर्द लकवा में उपयोगी। एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी।
मोटापा, चर्बी और डायबिटीज कम करने
में सहायक। जायफल के औषधीय गुण
मस्तिष्क की कोशिकाओं को क्रियाशील करते है।
सज्जिक्षार-मूत्र के विकार से मुक्त करे..
यह आयुर्वेदिक औषधीय नमक है।
भूख और को पेशाब के स्त्राव को बढ़ाता है।
कालानमक–
कब्ज कांस्टिपेशन, अम्लपित्त,एसिडीटी ,
उदर की ऐंठन, मतली
उल्टी नाशक। खून को पतला कर
धमनियों रक्त का संचार करता है।
कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ने देता।
दही के साथ हमेशा कालानमक हो लेना लाभकारी है। यह पित्त शान्त करता है।
एरण्ड शीड-
उदर में भोजन को सड़ने से रोकता है। आंतों को साफ रखता है। अल्सर, आंतों व पेट के घाव आदि समस्याओं को पैदा नहीं होने देता। यह गर्भरोधक भी है। चर्बी को नहीं पनपने देता। बालों का रक्षक है। चमक बनाये रखता है।
अनियमित मल त्याग यानि संग्रहणी (आईबीएस) रोग से परेशान रोगियों के लिए यह चमत्कारी है। त्रिफला के साथ लेन पर मल को गलाकर प्रेशर बनाकर एक बार में पेट साफ कर देता है।
यकृत रोग यानि सम्बन्धी कोई पुरानी बीमारी हो, तो अमृतम द्वारा निर्मित कीलिव माल्ट का 3 महीने तक सेवन करें- जानने के लिए नीचे लिंक क्लिक करें-
https://amrutampatrika.com/piliya-keyliv/
निष्कर्ष इतना ही कि अकेले अमॄतम टेबलेट केे साथ कीलिव माल्ट का सेवन सपरिवार करके आने रोगों से बचा जा सकता है।
भविष्य में अभी कोरोना जैसे विषाणु विश्व को तहस-नहस कर देंगे। इन संक्रमण से बचाव के लिए इम्युनिटी का मजबूत होना आवश्यक है।
अमृतम टेबलेट त्रिदोष का नाश करके रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि कर शरीर की
पूरी तरह सुरक्षा करेगी। यह पूर्णतः आयुर्वेदिक ओषधि है। इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। इसे लम्बे समय तक 2 से 5 वर्ष या जीवन भर बच्चों से लेकर स्त्री-पुरुष, बुजुर्ग परिवार के सभी सदस्य ले सकते हैं। इसे भोजन के पहले या बाद में कभी भी लिया जा सकता है।
रात्रि में भोजन से पूर्व 1 या 2 गोली सादे जल से लेना अत्यन्त हितकारी है। सुबह भी खाली पेट ले सकते हैं।
सावधानी–
@ ध्यान रखें कि अमृतम टेबलेट लेने के
2 घण्टे बाद तक गर्म पानी, चाय या दूध महीन लेना चाहिए।
@ रात्रि में दही, अरहर की दाल, सलाद का सेवन न करें।
अमृतम टेबलेट निरापद योगों से निर्मित है।
ओनली ऑनलाइन उपलब्ध
पेकिंग 50 टेबलेट
www.amrutam.co.in
वेवसाइट पर आर्डर करें अथवा
व्हाट्सएप्प 9926456869 पर मेसेज करें
अमृतम पत्रिका के विशेष ब्लॉग पढ़ने के लिए 500 रुपये वार्षिक सदस्यता शुल्क देकर मेम्बर बनें।
केवल पत्रिका के सदस्यों को ज्योतिष, आयुर्वेद, वेद-विज्ञानवकी वैज्ञानिकता, धर्म-ध्यान की प्रक्रिया आदि की विशेष ज्ञानवर्द्धक जानकारी मुहैया कराई जाती है। यह लेख दुर्लभ होते हैं।
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