सभी तरह के संक्रमण या वायरस से बचाव के लिए आयुर्वेद अपनाये-
मलेरिया कैसे फैलता है? क्या ये संक्रामक बीमारी है?
इससे बचने के उपाय क्या हैं?
ज्वर-मलेरिया, संक्रमण, वायरस, सर्दी-खांसी-जुकाम का पूर्णतः आयुर्वेदक उपचार घर बैठे कैसे करें?…
जाने मलेरिया के बारे में 48 खास जानकारी-
- मलेरिया की उत्पत्ति देह में मल वृद्धि और मच्छरों के संक्रमण से फैलता है।
- पुराने वैद्य चिकित्सक का कहना हैं कि……ज्वर के समय स्वर बिगड़ जाता है।
- जब शरीर में बढ़ जाता है मल का एरिया, तो हो जाता है मलेरिया ।
- नियमित पेट साफ नहीं होने से मल यानि गन्दगी, रोगादि की वृद्धि होकर तन में संक्रमण होने लगता है।
- आयुर्वेद चन्दोदय नामक ग्रन्थ में भी ऐसा लिखा है कि- जब शरीर से पूरी तरह मल बाहर नहीं निकलता है
- यानी जिन लोगों का पेट साफ नहीं रहता, कब्ज बनी रहती है, तो तन में मल सड़ने लगता है।
- मलेरिया का सीधा सम्बन्ध देह के मल से है, उदर से गन्दगी का साफ होना जरूरी है अन्यथा इससे शरीर में अनेक बीमारियां जन्म लेने लगती है।
- पित्त असंतुलित रहता है। रक्त अशुद्ध होने लगता है। त्वचा विकार, स्किन प्रोब्लम परेशान करने लगती है।
- आयुर्वेदिक शास्त्रों के अनुसार रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी कमजोर होने से तन-मन जल्दी संक्रमित होता है।
- जीवनीय शक्ति की कमी अनेक रोगों का कारण बनता है।
- कोरोना संक्रमण से उन्हीं लोगों को आत्याधिक जनहानि अथवा मृत्यु की वजह इम्युनिटी की कमी थी।
- लिवर की खराबी, कमजोर मेटाबोलिज्म भी रोगप्रतिरोधक क्षमता को क्षीण करता है।
- अगर चिकित्सकीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो यह एक वाहक-जनित संक्रामक रोग है, जो प्रोटोज़ोआ परजीवी द्वारा फैलता है।
- मच्छर काटने से इसकी लार से परजीवी व्यक्ति के रक्त में मिलकर मलेरिया के कारक होते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह एनोफिजिया मच्छर के काटने से फैलता है।
- ज्वर-मलेरिया के लक्षण….
- अचानक सर्दी या ठंड लगना।
- कॅंपकॅंपी लगना।
- ज्यादा रजाई कम्बल ओढना।
- कभी गर्मी कभी सर्दी लगकर तेज बुखार और लगातार छींकें आना।
- अधिक पसीना आना।
- बुखार कम होना।
- कमजोरी महसूस करना।
- भूख खत्म हो जाना।
- कब्ज रहना, पेट साफ न होना।
- कुछ भी खाने का मन न होना, अनिच्छा
- किसी भी कम में मन न लगना।
- आलस्य, सुस्ती बनी रहना।
- बदलते मौसम में अक्सर सर्दी-जुकाम, ज्वर, मलेरिया हरेक मनुष्य को जरूर संक्रमित करता है।
- बदलते मौसम में लेवें यह दवा, तो सालभर रहेंगे स्वस्थ्य-तन्दरुस्त और मस्त पूरे वर्ष स्वस्थ्य-तन्दरुस्त रहने के लिए खाएं 100 फीसदी कारगर यह औषधि।
- आयुर्वेदिक औषधि अमृतम फ्लूकी माल्ट… महासुदर्शन काढ़ा, अमृता चिरायता, नीम अर्क,
- तुलसी, मुस्ता, पिपली, शुण्ठी, पटोल पत्र, कुटकी, आँवला मुरब्बा, गुलकन्द, हरीतकी, सेव मुरब्बा आदि अदभुत और असरकारक प्राकृतिक जड़ीबूटियों एवं ओषधियों से निर्मित है।
- फ्लूकी माल्ट संक्रमण और प्रदूषण की वजह से उत्पन्न बुखार, मलेरिया आदि को जड़ से मिटाकर रोगप्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी पॉवर बढ़ाता है।
- फ्लूकी माल्ट…..90 प्रकार के ज्वर, पुराना मलेरिया, डेंगू फीवर, चिकिनगुनिया आदि सभी प्रकार के विषम ज्वर में बेहद लाभकारी है।
- पीलिया के कारण आई कमजोरी, खून एवं भूख की कमी दूर कर बार-बार ज्वर- मलेरिया का आना तथा अनेक अंदरूनी तकलीफों को मिटाने में सहायक है।
- आयुर्वेद शास्त्रों की एक पुरानी सूक्ति है कि-
- मौसम और मुकद्दर की मार से कोई नहीं बच सकता।इसलिए मौसम की मार से बचाव के लिए अमृतम फ्लूकी माल्ट का उपयोग करें और मुकद्दर की मार से बचने हेतु मेहनत और प्रार्थना करें।
- अमृतम दवाएँ-स्वस्थ्य बनाएं
- अमृतम आयुर्वेदिक दवाएँ ताउम्र स्वस्थ्य रखते हुए, प्राणी को पूर्ण आयु प्रदान करती हैं।
- स्वस्थ्य शरीर को ज्वर… जर्जर बना सकता है-
- बदलते मौसम की वजह से वर्तमान में महामारी के रूप में प्रकट ज्वर, जो जीवन का स्वर बिगाड़कर तन को तार-तार कर देता है।
- ज्वर, बुखार, मलेरिया पुराना हो जाने से तन-मन को खोखला कर देता है।
- आयुर्वेदिक इलाज-
- अमृतम फ्लूकी माल्ट में कुटकी, चिरायता, गिलोय, तुलसी आदि अनेकों असरकारक प्राकृतिक जड़ीबूटियों को मिलाया गया है,
- जो रोगों से लड़ने की अंदरूनी शक्ति प्रदान करती है।
- आयुर्वेद के अनेकों प्राचीन ग्रन्थ भावप्रकाश, भैषज्य रत्नावली, आयुर्वेद सार-संग्रह के अनुसार
- फ्लूकी माल्ट में मिश्रित द्रव्य-घटक डेंगू तथा स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया, मोतीझरा, टायफायड आदि दुष्ट से दुष्ट,
- जानलेवा और खतरनाक बुखार-विकारों, ज्वर को जड़ से निकाल फेंकता है।
- असाध्य रोगों से मुक्ति के लिए आयुर्वेद दवाएँ पूर्णतः सक्षम है।
- रोगप्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में यह शर्तिया इलाज है,
- फ्लूकी माल्ट के सेवन से मौसमी बीमारियों और वायु प्रदूषण या संक्रमण से उत्पन्न तकलीफों से बचाव रहता है।
- फ्लूकी माल्ट…. बार-बार होने वाले नजला, सर्दी-खाँसी, जुकाम से यह रक्षा करता है।
- इसमें महासुदर्शन चूर्ण, प्रवाल पंचामृत रस, मोती भस्म आदि सौ से अधिक गुणकारी औषधियों का समावेश है।
- मलेरिया की रोकथाम और बचाव का तरीका ….
- घर के अन्दर डीडीटी जैसी कीटनाशक केमिकल का छिडकाव कर, मच्छरो का सफाया करें।
- घर के आसपास गड्ढे, नालियो, बेकार पडे खाली डिब्बो, पानी की टंकियो, गमलो, टायर टयूब में दूषित जल एकत्रित न होने दें।
- सप्ताह मे एक बार पानी से भरी टंकियो मटके, कूलर आदि खाली करके सुखायें।
- खिडकियो, दरवाजो मे जालियां लगवा लें। मच्छर दानी इस्तेमाल करें या मच्छर निवारक क्रीम, सरसों का तेल आदि इस्तेमाल करे।
- घर के कमरों में तुलसी, पत्र, नीम के पत्ते, दोना बरुआ के पत्ते किसी मिट्टी के बर्तन में रखें।
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