प्रत्येक व्यक्ति किसी शो से एक दूसरे से भिन्न होता है ..
सभी के दिमाग में भी विचारों की चेन चलती रहती हैl
एक विचार के पीछे इससे जुड़े उसी तरह के कई विचार दिमाग में स्वता ही आते हैं..
विचार चाहे सकारात्मक या नकारात्मक जिसकी सोच ऐसी होती है…
उसके वैसे ही विचार भाव कर्म आदत चरित्र व्यवहार एवं व्यक्तित्व बनता है…
किसी की सफलता के लिए 85% कर्म शाली सोच कर्मठ क्रियाशीलता एवं15% खाने असंभव योग्यता का महत्व होता है …
जिसकी जैसी सोच जीवन में ऐसे लोच अर्थात सोच के अनुसार ही विचार कर्म आदतें चरित्र व्यवहार एवं व्यक्तित्व का निर्माण होता है…
हर व्यक्ति अपने ही मान्यताओं पारिवारिक सुधारो विश्वासों और विचारों की दुनिया में जीता है विचारों में परिवर्तन करते ही सोच बदलती है…
सोच बदलने से ही जीवन दशा और दिशा दोनों बदल जाती हैं ..
भगवान कृष्ण के अनुसार परिवर्तन संसार का नियम है…
परिवर्तन करते हैं जीवन आनंद उत्साह प्रेरणा उल्लास से भर जाता है…
सोच को बदलना आसान नहीं होता है..
यहां सबसे कठिन दुर्लभ और संघर्षपूर्ण है ..
अर्थात अपने आप से लड़ना अपने ही विचारों व दिमाग को जीतना उससे ठाठस बांधना लेकिन प्रभाव भी नहीं है …
थोड़ी सी लगन धैर्य विश्वास और साहस के साथ दृढ़ निश्चय से इसे बदला जा सकता है ..
हमेशा यही सोच कि मैं सकारात्मक सोच का मालिक हूं ..
नकारात्मक बातें और सोच मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते यही विचार से हमारा अचेतन मन मैं शक्ति स्पूर्ति की तरंगे गूंज उठेगी टेलीविजन पर गंदा साहित्य देखने से सबसे ज्यादा नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है
इनसे दूर रहें…!
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