- सूर्य की गरमी से सागर तथा अन्य जलाशयों का जल भाप में परिवर्तित होकर हवा में मिल जाता है और यह वाष्प हलकी होने के कारण काफी ऊंचाई तक पहुंच जाती है।
- आसपास के तापमान में थोड़ी-सी भी कमी होने से ये वाष्पकण संघनित होकर बादल बन जाते हैं और बरस पड़ते हैं।
- अधिक ऊंचाई पर जब इन बादलों का एकत्रीकरणा (न्युक्लिएशन) होता है तो तूफानी हवाओं से इन पर भारी दबाव पड़ता है जिससे निचुड़कर एकदम से बरस पड़ते हैं। यही बादल का फटना होता है।
Amrutam से आभार
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