प्रवाल भस्म युक्त अमृतम गोल्ड माल्ट भी अत्यंत हितकारी है।

  • इच्छाधारी नागिन होती है, नाग नहीं। सिद्ध नाग केवल मणिधारी होते हैं। कुछ नाग उड़ने वाले होते हैं। जैसे-पदम् नाग आदि।
  • आज तक कोई भी नाग 10 फन के नहीं किसी भी पुराण में नहीं बताए हैं। कुछ ही सिद्ध नाग जैसे-वासुकी, अनंत नाग, तक्षक आदि हजार फन वाले बताए हैं।
  • शेषनाग के केवल 5 फन हैं, जो पंचतत्व या पंचमहाभूतों का प्रतीक है।
  • नागों के फन पर चिह्न…नागों की पहचान के लिए भोलेनाथ ने विभिन्न चिन्ह बनाये हैं।
  • पीत भूतडामर तन्त्रानुसार ….श्वेत नाग बाह्मण जाति के होते हैं। रक्तिम नाग क्षत्रिय होते हैं। वैश्य नाग पीले या पीत रंग के एवं कृष्ण यानि काले नाग शूद्र जाति के होते हैं।
  • ये चार प्रकार के कहे गये हैं और कुल के अनुसार नाग आठ प्रकार के बताए गए हैं । यथा –
  • (i) अनंत नाग जिनके शीर्ष व पृष्ठ भाग पर श्वेत कमल का चिह्न होता है।
  • (ii) कुलिक नाग के शीश पर कमल चिह्न होता है।
  • (ii) वासुकि नाग के पृष्ठभाग पर कमल चिह्न होता है।
  • (iv) कर्कोटक नाग के वक्ष पर त्रिनेत्र का चिह्न होता है।
  • (v) तक्षक नाग के शरीर पर शशकाकृति (खरगोश की आकृति) होती है।
  • (vi) शंखपाल नाग के शीश पर त्रिशूल एवं अर्द्धचंद्र का चिह्न होता है।
  • (vii) महापदम् नाग के पृष्ठभाग पर श्वेत बिन्दु का चिह्न होता है।
  • (viii) पदम् नाग के पृष्ठभाग पर रक्तिम वर्ण के पाँच बिन्दुओं का चिह्न होता है।
  • उपरोक्त चिह्नों को देखकर कोई भी व्यक्ति सर्पो की जाति व कुल जान सकते हैं।
  • ये सभी नाग भयंकर विष भरे तथा मणिधारी होते हैं और प्राचीन शिवालयों में इणक वास होता है।
  • इच्छाधारी नागिन के बारे में अगली बार पढ़े- amrutam

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