आप वे तीन कारण जानकर हैरान हो जाएंगे…..
【1】22 मार्च,2020 रविवार को
शाम 4-30 से 6 बजे के बीच राहुकाल है-
【2】चंद्रमा राहु के नक्षत्र शतभिषा में संचरण कर रहे हैं।
【3】इस दिन मास शिवरात्रि भी है।
अब जाने
ताली-थाली बजाने से चमत्कार….
● ताली बजाने से पूरे शरीर में स्पन्दन
होने लगता है।
● सुप्त नाड़ियाँ जागृत होकर शरीर में रक्त का संचार करने लगती हैं।
● संक्रमण का नाश होने लगता है।
मुझे महादेव पर पूर्ण विश्वास है-
मोदी का ये प्रयोग काम करेगा।
22 मार्च 2020 शाम 5 बजे का ही
समय क्यों चुना?
कोई तो जानकर, ज्ञानी व्यक्ति या ज्योतिषाचार्य है, जो मोदी जी का
मार्गदर्शन कर रहा है।
श्री मोदीजी बहुत ईश्वरवादी इंसान हैं। ज्योतिष और सनातन संस्कृति पर उनका अटूट विश्वास है। आपने सुना होगा कि-पिछले 50 वर्षों से वह हरेक नवरात्रि के दौरान 9 दिन का व्रत केवल नींबू पानी
पर रखते हैं।
श्री मोदी जी अक्सर विश्वनाथ
काशी, केदारनाथ आदि ज्योतिर्लिंगों
पर जाकर रुद्राभिषेक भी करते हैं।
भोलेनाथ पर अटूट आस्था होने की
वजह से वे, देश या दुनिया में कहीं भी
जाते हैं, तो वहां प्राचीन तीर्थो के दर्शन
करना नहीं भूलते।
राहु के रहस्य और रासलीला…
बहुत लोग जानते हैं कि- राहु के साथ
अमॄत बंटबारे के समय छल हुआ था।
लेकिन कैसे भी राहुदेव ने अमॄतम पान
कर लिया। चूंकि राहु परम शिवभक्त था
और राहु के साथ अन्याय भी हुआ
क्योंकि समुद्र मंथन में नाग रूप दैत्य
राहु का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
वैसे भी कुंडली में राहु की मजबूत स्थिति
व्यक्ति को यांत्रिक बनाती है तथा अनेक भाषाओं का ज्ञाता भी।
कालसर्प की कहानी….
राहु ही कालसर्प के कारक ग्रह हैं।
कुंडली में राहु एवं केतु के बीच जब
सारे ग्रह आ जाते हैं, तो ऐसी पत्रिका
कालसर्प युक्त मानी जाती है।
शिव कल्याणेश्वर की भक्ति से ही
कालसर्प दोष दूर हो पाता है।
राहु की अटूट शिव भक्ति, त्याग एवं
योग्यता को देखते हुये महादेव ने नाग
के रूप में अपने गले
में स्थान देकर, 90 मिनिट
हर दिन अलग-अलग समय राहुकाल
के रूप में निश्चित किया।
राहुकाल में महादेव की पूजा करने से
व्यक्ति को सिद्धि-समृद्धि, सम्पन्नता की निश्चित प्राप्ति होती है। राहु की क्रूरता,
दोष दूर होने लगते हैं।
56 दिन के नियमित प्रयोग से
कालसर्प दोष, गरीबी मिटने लगती है।
केतुकाल का समय भी निर्धारित है-
मन्त्रमहोदधि केतु तन्त्र के हिसाब से
राहु का सिर काटने से नीचे का धड़ या हिस्सा केतु कहलाया और केतु रहस्यमयी विधा का दाता, कारक ग्रह है। जिस दिन या वार को जिस समय राहुकाल, जो कि हमेशा दिन में ही होता है तथा रात्रि में बिल्कुल वही समय केतुकाल कहलाता है। जैसे रविवार को राहुकाल हमेशा शाम 4.30 से 6 बजे यानि डेढ़ घण्टे का होता है।
ठीक रविवार की सुबह 4.३० से प्रातः 6 बजे तक का समय केतुकाल होता है। यह समय
जानकर तांत्रिकों, अघोरियों के लिए महत्वपूर्ण है।
केतुकाल में की गई शिव भक्ति या गुरुमंत्र के जाप से जातक को रहस्यमयी सिद्धियां अचानक प्राप्त होने लगती है।
22 मार्च- रविवार को शाम 5 बजे राहुकाल में ताली, घण्टी, बजाने से होंगे चमत्कारी फायदे-
राहु को पाताल का स्वामी माना जाता है।
ये पाताल में बैठकर प्रकृति, पृथ्वी एवं सन्सार ओ चलायमान रखते हैं। इन्हें स्पंदन या बाइब्रेसन अति प्रिय है। क्योंकि ये नाग हैं। नाग को सपेरों के बीन की धुन इतनी प्यारी लगती है कि यह धुन में तल्लीन या मस्त होकर सपेरे के वश में आ जाता है।
राहु को डमरू, ताली का स्पंदन अतिप्रिय है।
अग्नि पुराण , स्कन्ध पुराण के चौथे खण्ड में लिखा है कि- घण्टे-घण्टी, ताली, थाली,डमरू, बजाने से संक्रमण दूर होते हैं और पवित्रता आती है।
ब्रह्माण्ड का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
यह एक विज्ञान भी है।
आयुर्वेदिक ग्रंथो के हिसाब से रोज 10 मिनिट ताली बजाने से बुढापा जल्दी नहीं आता। ऐसे लोग कभी बीमार नहीं पड़ते।
एक हिसाब से
विज्ञान, भगवान और ज्योतिष से सम्बन्ध
स्थापित कर हम सन्सार के बहुत से अनसुलझे रहस्यों को आसानी से सुलझा सकते हैं।
22 मार्च शाम 5 बजे गोचर में चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र के चौथे चरण में
संचरण कर रहे होंगे।
यह तो आप सभी जानते हैं कि सूर्य चंद्रमा द्वारा चुगली करने के कारण राहु दोनो से भयंकर बैर या दुश्मनी रखते हैं और सूर्य-चन्द्र को ग्रहण लगाते हैं।
कोरोना वायरस का कारक ग्रह भी मूल रूप से राहु है। वर्तमान में यह मिथुन राशि के आद्रा नक्षत्र में हैं। मिथुन राशि वायु तत्व राशि है।
राहु खुद भी वायु तत्व ग्रह है इसलिए यह वायु संक्रमण है, जिसे राहु तेज गति से फैलाते जा रहे हैं।
घण्टा- घंटी, ताली और थाली बजाने से होगा यह लाभ…
इनके बजाने से संचयी कंपन शरीर में रक्त परिसंचरण ब्लड सर्कुलेशन को प्रोत्साहित कर, नियमित करेगा। रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करेगा।
घण्टे आदि वायु तत्व का प्रतीक हैं।
सभी धार्मिक परम्पराओं में प्राचीन काल से ही
राहु की प्रसन्नता के लिए पहाड़ों पर पुराने शक्ति मंदिरों में विशाल, घंटा जैसी घंटियाँ रखते थे।
मंदिरों में आज भी राहु-केतु को खुश करने के लिए ढोलक, तबला, हारमोनियम आदि वाद्य यंत्र बजाये जाते हैं। इसके पीछे यही रहस्य है कि-,जब तक राहु की कृपा नहीं होगी, तब तक इस भौतिक सन्सार में सुख असम्भव है।
22 मार्च 2020 को कृष्ण चतुर्दशी अर्थात मास शिवरात्रि भी है।
ताली घण्टी की गूंज से महादेव के रुद्र प्रसन्न होकर रहस्यमयी रोगों का नाश करते हैं।
यह एक महीने में सबसे काला दिन होता है।
इस रात को चंद्रमा दिखते नहीं हैं।
तन्त्रसार, रहस्योउपनिषद के मुताबिक फाल्गुन मास की शिवरात्रि पितरों की प्रसन्न हेतु विशेष मानी जाती है।
इसलिए शिवरात्रि के दिन ताली-थाली, घण्टी-झांजर बजाने से प्रकृति के सभी वायरस, बैक्टीरिया, नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियों की क्षमता तथा शक्ति क्षीण हो जाती है।
5 PM- एक ही समय में 130 करोड़ लोगों द्वारा ताली बजाना, शंखनाद करना आदि इतने स्पंदन पैदा करेंगे कि वायरस अपनी शक्ति खो देंगे। इस विनम्र प्रयास में सभी देशवासियों को सहयोग करना चाहिए।
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