दुनिया में सुख है, समय नहीं। साधन हैं, साधना नहीं। लोग शिव के प्रति समर्पण न कर के संघर्ष कर रहे हैं, तो परम शांति कैसे मिलेगी और केसे रोग, बीमारी, डिप्रेशन दूर होगा।
- अवधूत अघोरी संत, संत मलुकदास जी, तेलंग स्वामी, परमहंस विशुद्धनंद, महर्षि रमण, गुरु विद्यारण और आदि शंकराचार्य इन सबके कहने का सार यही था कि
तू शिव को अगर बिसरा देगा, तो दर दर ठोकर खाएगा।
शिव नाम का अमृत पाए बिना, तू मुक्ति केसे पाएगा।।
- अमृतम पत्रिका के शिव की सत्ता अंक से कुछ अंश हमने लिख दिए हैं आगे इस आर्टिकल को क्योरा के विद्वान बहुत मार्मिक तरीके से आगे बढ़ाएं।
- बस इतना आग्रह है, ताकि लोग भोलेनाथ की शक्ति, सत्ता को समझें, समझाएं।
- जब तक दुनिया इस बात को नहीं मानेगी, तक तक वो भयंकर दुःखी, द्दरिद्र, गरीब, बीमार और परेशान रहेगी। ध्यान रहे..
शिव ही विधाता, शिव ही विधान।
शिव ही ज्ञानी और शिव ही ज्ञान।।
- आगे आप अमृतेश्वर की अलख जगाने के लिए सादर आमंत्रित हैं। संपादक अमृतम
Leave a Reply