- मधुमेह यानि डायबिटीज होने का मुख्य कारण मानसिक तनाव है। इसीलिए सबकी तन की नाव सब रही है। आप केवल ध्यान और श्वास के माध्यम से मधुमेह को मिटा सकते हैं।
- शुगर के मरीजों की इम्यूनिटी बहुत कमजोर होने लगती है। मस्तिष्क में तनाव बना रहता है। आयुर्वेदिक दवाएं रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं। इसलिए यह अत्यंत प्रभावशाली होती हैं। लेकिन लंबे समय लेने के कारण लोग इनसे दूर रहते हैं।
- Diabekey Capsule गुगल पर खोजें और तीन महीने खायेंगे, तो इम्यूनिटी बेहतरीन हो जायेगी। गजब की ताकत मिलने और मानसिक राहत मिलती है। इससे मनोबल बढ़ता है।
- 5 पत्ते गुड़मार, 3 पत्ते वाला बेल पत्र, निम, चिरायता की नई कोपल 5/5 लेकर इसे पीसें ओर इसमें नागकेशर, कालीमिर्च, सेंधानमक तीनों की 500/500 mg मिलाकर गोली बनाएं और सुबह खाली पेट सादे जल से रात सोते समय लेवें। मधुमेह में लाभ होगा।
- Diabekey Capsule amalaearth या अमेजन पर सर्च कर इसे भी 3 महीने ले सकते हैं।
- वसन्तकुसुमाकर रस (स्वर्ण भस्म युक्त) ये आयुर्वेद की अदभुत ओषधि है। सेक्स में स्त्री को सेक्स में पराजित करने और मधुमेह, प्रमेह, गुप्तरोगों, यौन दुर्बलता दूर कर पुनः यौन का संचार करने में लाजबाब है।
- ओषधि गुण धर्म शास्त्र के हिसाब सेव बसंत कुसुमाकर का उपयोग–फायदे जबरदस्त हैं।
- रस तंत्र सार चिकित्सा ग्रंथ के हिसाब से मान्यता, तो ये कि 40 से 45 साल की उम्र होने के बाद नित्य एक गोली रोज दूध के साथ लेने से 80 की आयु तक लस्सी यानि वीर्य में पतला पन नहीं आता। और भी फायदे हैं- जानकर सिर चकरा जायेगा।
बसंत कुसुमाकर रस के चमत्कारी 40 फायदे
- आयुर्वेद सार संहिता के मुताबिक वसन्तकुसुमाकर रस अंडकोष, हृदय, मस्तिष्क, पचनेन्द्रिय, जननेन्द्रिय और फुफ्फुसों यानि फेफड़ों के लिये पौष्टिक है। फेफड़ों का संक्रमण मिटाकर मरम्मत करती है।
- बसंत कुसुमाकर नया शुक्राणुओं का निर्माण करता है। यह विशेष वीर्यवर्द्धक, कामोत्तेजक होता है।
- स्मरण शक्ति मन्द होना, भ्रम, निद्रानाश, मधुमेहघ्न और मानसिक निर्बलता का नाश करने में चमत्कारी ओषधि है।
- डायबिटीज जड़ से मिटाएं पुराने से पुराना असाध्य जीर्ण मधुमेह और उसके उपद्रव रूप हृद्विकार, श्वास, कास, इन्द्रिय दौर्बल्य आदि एवं प्रमेहपिटिका (अदीठ Carbuncle) में लाभकारी है।
- पुरुषों में शुक्रक्षय के पश्चात् की निर्बलता, जरा सा विचार आते ही शुक्रपात होना, सहवास के समय शीघ्र वीर्य निकल जाना, नपुसंकता, मूत्रपिण्ड की विकृति को ठीक कर नवजीवन प्रदान करता है।
- जीर्णरक्तपित्त, हृदय की निर्बलता, शुष्ककास, थोड़ा परिश्रम होने पर श्वास भर जाना, वृद्धावस्था में श्वास, कास, हृदय की कमजोरी दूर करने की बेजोड़ दी है।
- लिवर या यकृत् की विकृति, जीर्ण सर्वांग शोथ मिटाने में कारगर।
- स्त्रियों के नूतन प्रदर, जीर्ण श्वेतप्रदर, पीसीओडी, सबको शमन करने में यह उपयोगी है।
- अति व्यवाय (स्त्री सेवन) या अधिक सेक्स करने से आई कमजोरी, वीर्य कम या पटना होने में लाभदायक है।
- वसन्तकुसुमाकर रस (स्वर्ण भस्म युक्त) मधुमेह या डायबिटीज में अत्यन्त हितकर है। Diabekey Capsule के साथ लेने से ओजक्षय से होने वाले जीर्ण मधुमेह में निर्बलता, मानसिक दौर्बल्य; विशेष कारगर है।
- मधुमेह से उत्पन्न उपद्रव हृद्विकार, श्वास, कास, प्रमेहपिटिका, मूर्च्छा, संन्यास की भावना आदि विकार को भी दूर करता है।
- प्रमेहपिटिका होने पर शिलाजतु के साथ देना चाहिये। मधुमेह के अन्त में उत्पन्न संन्यास यानि नामर्दी और शक्तिपात को दूर करने के लिये यह रस अमृत रूप है।
- दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाला शब्द – स्पर्श आदि गुणों की ग्राहक इन्द्रिय शक्ति का क्षय; जोर की आवाज और अधिक प्रकाश का सहन न होना जेसी समस्यायों का अंत होता है।
- बात-बात में क्रोध उत्पन्न होना; अनिश्चित वृत्ति; विचार करने की शक्ति कम हो जाना, इन्द्रिय शैथिल्य इत्यादि लक्षण प्रतीत होते हों, तो वसन्कुसुमाकर अत्यन्त हितकर है।
- वसन्तकुसुमाकर रस (स्वर्ण भस्म युक्त) के साथ BFearl Gold Malt दूध से सुबह खाली पेट लिया जाए, तो अति व्यवायशोषी यानि कामवासना कारण आईके मनोदौर्बल्य, इन्द्रियशैथिल्य और शारीरिक निर्बलता बढ़ने पर स्त्री दर्शन या आवाज मात्र से मन में विकृति, शरीर निस्तेज हो जाना, जिसमें जननेन्द्रिय बिल्कुल शिथिल हो जाना आदि लक्षण होते हैं, उनमें यह अत्यन्त लाभदायक है।
- अत्यन्त व्यवाय से अर्थात ज्यादा सेक्स करने से हृदयदौर्बल्य, शुक्र का शुष्क होना यानि सूखना त्रासदायक कास, श्वास, थोड़े परिश्रम में श्वास भर जाना, धमनी अथवा हृत्पटलका विकार, क्वचित् मूत्रपिण्ड का विकार, इन सब पर यह उपयोगी है।
- अधिक मगज यानि मानसिक श्रम से शिरदर्द और चक्कर आकर मानसिक निर्बलता बढ़ गई हो; तथा मस्तिष्क, वातवाहिनियां और इनके केन्द्र स्थानों की विकृति के लक्षण विचार करने पर मन का गुम हो जाना, बाहर की आवाज सहन न होना; व्याकुलता बनी रहना, विचार करने में त्राम होना, आदि प्रतीत होते हों; परन्तु रक्तदबाव न बढ़ा हो, तो यह रसायन हितकारक है।
- अनुपान रूप से त्रिज्ञात का क्वाथ या पेठे का रस देना चाहिये। इन लक्षणों के साथ निद्रानाश हो; और निद्रानाश का हेतु विविध विचार कल्पना हो, तो उसे भी यह दूर करता है।
- जब रक्तपित्त नाक, मुँह, गुदा, मूत्रमार्ग आदि से रक्तस्राव अधिक बल पूर्वक होता हो, तो चन्द्रकला (या चन्दप्रभा), प्रवाल, मुका मिश्रण दिया जाता है। परन्तु जब प्रारम्भिक वेग नष्ट होकर रोग जीर्ण हो जाता है, या रक्तपित्त की आदत हो जाती है, अथवा भोजन में किंचित् अन्य होने या सूर्य का ताप लगने पर नाक की शिरायें फूटकर रक्तस्राव होने लगता है; ऐसे रक्तपित्त में पित्त का विदग्धत्व अधिक होता है। इस आदत को मिटाने में यह उत्तम औषधि है।
- कितनी ही स्त्रियों को कहीं भी आघात लगा कि रक्तस्राव होने लगता है; फिर वह जल्दी बन्द नहीं होता।
- महिलाओं की मासिक धर्म में जाने वाला रक्तस्राव सत्वर नहीं रुकता। इतना ही नहीं, कभी सूई लग जाय, तो उससे भी रुधिरस्राव होना; फिर वह भी जल्दी बन्द नहीं होता। इस प्रकार के प्राकृतिक रक्तपित्त (Haemophilia) पर वसन्तकुसुमाकर अति उत्तम कार्य करता है
- अनुपान रूप से मोतिया के फूलों का लेड देखें वसन्तकुसुमाकर का परिणाम अण्डकोष पर बल्य होता है, अतः यह उत्तम वृष्य औषध है।
- छोटी आयु से हस्तमैथुन जेसी दुष्ट आदत हो जाने या युवावस्था में अति व्यवाय यानि अत्याधिक संभोग आदि कारणों से उत्पन्न इन्द्रिय शैथिल्य, मन में कामविकार उत्पन्न होने के साथ वीर्यस्खलन, स्त्री सम्बन्धी विचार आने अथवा नूपुर (पायल) और कंकण (स्त्री के कंगन) की आवाज सुनने मात्र से वीर्यस्खलन आदि लक्षण हों, या नपुन्सकता आई हो, तो यह अति उपयोगी है।
- बुढ़ापे या वृद्धावस्था में उत्पन्न जरा काम में यह औषध उत्तम उपयोगी है।
- जरावस्था में यह स्वाभाविक काल परिणाम है, यह एक पक्ष है। वृद्धावस्था में भी यह रोग ही है, यह दूसरा मत है। यह दूसरा मत आयुर्वेद को मान्य है।
- बुढ़ापा, जरावस्था के कारण अनेक हैं। इनमें सब अवयव समूहों को विशेषतः अन्तःस्रावक पिण्डों की शक्ति कम कम होती जाना, यह भी एक कारण है । फिर अन्तस्थ अवयव समूह अशक्त हो जाता है। इसका परिणाम हृदय और फुफ्फुसों पर होकर श्वास-कास होते हैं । इस पर वसन्तकुसुमाकर के साथ Bferal Gold Capsule उपयोगी है।
- सर्वाङ्ग शोथ यानि पूरे शरीर में सूजन, वातज (हृदय – विकृतिजन्य), पित्तज (यकृद्विकृतिजन्य), कफज (वृक्कविकारजन्य) और सर्वज (व्याधि संकर होकर तीनों स्थान दुष्ट होने), इस तरह ४ प्रकार के शोथ आयुर्वेद में कहे हैं।
- इनमें पुनः तीव्र और जीर्ण, ऐसे दो भेद हैं। इनमें से तीव्र विकार में इसका उपयोग नहीं होता। परन्तु जीर्ण विकार में विशेषतः वातज और पित्तज पर, इसका बहुत अच्छा उपयोग होता है।
- स्त्रियों की जननेन्द्रिय के विकार में इसका उपयोग होता है। यह औषधि छोटी आयु की अपेक्षा बड़ी आयु में विशेष लागू होती है।
- व्यवाय अधिक सहवास करना के अतियोग से उत्पन्न प्रदर, सर्वाङ्ग शैथिल्य, हृदय की अशक्तता, वातवाहिनियां और वातवह मण्डल की शिथिलता, क्रोधी स्वभाव आदि लक्षण होने पर यह अति उत्तम लाभ पहुंचाती है।
- स्त्री प्रदर रोग दीर्घकाल पर्यन्त चालू रहता है । तब निरुत्साह, कृशता, निस्तेजता, शक्तिपात आदि हो जाते हैं। इस पर यह अच्छा उपयोगी है।
- संक्षेप में वसन्तकुसुमाकर रस बल्य, वृष्य, मधुमेहघ्न, मानसिक निर्बलता तथा वातवहमण्डल, सहस्रार और वातवाहिनी केन्द्र की अशक्ति को वाला है।
- सेवन विधि और मात्रा – एक गोली बसंत कुसुमाकर रस था एक बी फेराल गोल्ड कैप्सूल सुबह और एक रात को दूध-मिश्री, मलाई या मक्खन मिश्री के साथ।
सूचना–
- BFeral Gold Malt और वसन्तकुसुमाकर रस अत्यन्त कामोत्तेजक होने से बढ़ी हुई कामोत्तेजना वाले को नहीं देना चाहिये, अन्यथा उसके मन पर बहुत खराब असर होकर शुक्रक्षय अधिक करने की प्रवृत्ति हो जायेगी ।(रसतन्त्रसार व सिद्धप्रयोग)
विशेष अनुपान –
(१) क्षय टीबी में कालीमिर्च का चूर्ण और Madhu Panchamrit शहद के साथ सेवन करें।
(२) नपुंसकता, शीघ्रपतन में BFERAL Gold Malt के साथ।
(३) रक्तपित्त में चन्दन का चूर्ण और मिश्री या अडूसे का रस, मिश्री और शहद अथवा मोगरा या सेवती (गुलाब पुष्प) का रस।
(४) पुष्टि के लिये चातुर्जात या अगर और सफेद चन्दन का चूर्ण १ माशे के साथ मिला शहद के साथ लेवें।
(५) वमन या उल्टी होने पर शङ्खपुष्पी का रस के साथ
(६) अम्लपित्त में शतावरी का स्वरस, शक्कर और शहद।
(७) प्रमेह पिटिका में शिलाजीत के साथ
(८) मानसिक निर्बलता में त्रिजात का क्वाथ।
(९) मस्तिष्क की निर्बलता पर BRAINKEY Gold माल्ट के साथ दूध से सेवन करें
(१०) वीर्य को गाढ़ा करने और शुक्रवृद्धि के लिये BFERAL Gold Capsule के साथ लेवें।
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