नारियल को हमेशा चांदी या तांबे के बर्तन पर ही रखें। जाने क्या है विधि विधान नारियल- भगवान शिव, मां दुर्गा, श्रीगणेश और श्रीकृष्ण को बहुत प्रिय है।
नारियल में इन देवताओं की सूक्ष्म लहरियों को आकर्षित करने और आवश्यकतानुसार उन्हें प्रक्षेपित करने की भी क्षमता होती है।
इसीलिए देव-पूजन में नारियल का इतना महत्व है। नारियल का फल सब फलों से अधिक सात्विकता प्रदान करता है।
नारियल में अनिष्टकारी शक्तियों को भी नष्ट करने की क्षमता होती है । इसीलिए किसी व्यक्ति के कष्ट दूर करने के लिए अनेक जगह नारियल से नजर उतारने का प्रचलन है।
नारियल ब्रह्माण्ड का भी प्रतीक है।
पूजा घर में या कलश पर नारियल रखने की स्थिति पूजा घर में पूजा की थाली में अथवा कलश पर नारियल हमेशा खड़ा रखें।
अर्थात् नारियल की चोटी ऊपर हो। यह बहुत सामान्य बात है कि चोटी का स्थान सर्वोपरि ही होता है।
नारियल और मन्दिर का आकार सोचें। दोनों में बहुत समानता है। मिस्र के पिरामिड त्रिशंकु होते हैं।
विचारणीय बात है कि मिस्र के पिरामिडों और मन्दिरों त्रिशंकु आकार नारियल के आधार पर ही बनाया गया। इसका सीधा सा अर्थ है कि त्रिशंकु आकार में आकाशीय उपद्रवों को शान्त करने की क्षमता होती है।
इसीलिए हमारे भारत के ऋषियों ने देव शक्तियों आकर्षित करने और दुष्ट शक्तियों को विकर्षित (आकाश की दुष्ट शक्तियों को आकाश में ही वापस) करने की शक्ति का अनुसन्धान करके देव पूजन में नारियल का उपयोग प्रारम्भ किया।
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