सन्सार के सभी धर्म-शास्त्र के प्रत्येक
पात-पात पर लिखा है कि- स्वस्थ्य शरीर,
मन को मजबूत कर मनोबल बढ़ाता है।
इसके लिए अकेले दवा ही नहीं, दुआ और
दम लगाकर कसरत, मेहनत करना भी
जरूरी है। कफ-पित्त-वात के नाश होने
से ही इम्युनिटी में वृद्धि होती है।
कहने का आशय यही है यदि शरीर साथ दे,
तो बात बनती चली जाती है अन्यथा व्यक्ति
दर-दर की लात खाकर अपने दिन-रात एवं हालात बिगाड़ लेता है। क्योंकि अच्छा
स्वास्थ्य 100 हाथ के बराबर है। निरोगी पर श्रीनाथजी भी अपनी कृपा की बरसात करते रहते हैं। कोई भी विकार, चार पुरुषार्थ में बाधक है।
च्यवनप्राश के आदि अविष्कारक महर्षि चरक द्वारा लिखे गए ग्रन्थ चरकसंहिता सूत्रस्थानम् – १/१४ में एक विशेष स्वास्थ्य वर्द्धक श्लोक का हवाला दिया है-
धर्मार्थकाममोक्षाणाम् आरोग्यं मूलमुत्तमम्! रोगास्तस्यापहर्तारः श्रेयसो जीवितस्य च!!
अर्थात-
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का मूल (जड़)
उत्तम या उन्नत स्वास्थ्य और आरोग्य ही है। अर्थात् इन चारों की प्राप्ति हमें देह को
स्वस्थ्य रखे बिना नहीं मिल सकती।
स्वास्थ्य क्या है-जाने अथर्ववेद से....
वात अर्थात वायु एवं आकाश,
पित्त अर्थात अग्नि एवं जल,
कफ अर्थात जल एवं पृथ्वी।
ये सब एक निश्चित अनुपात में हों, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है। यदि शरीर में इन तीनो का संतुलन बिगड़ जाए, तो लोग अनेक तरह
आधि-व्याधि, विकारों और संक्रमण या
वायरस से घिर जाते हैं।
आँवला, गिलोय, त्रिकटु, दालचीनी, चतुर्ज़ात, अष्टवर्ग, हरीतकी, द्राक्षा आदि ओषधियाँ त्रिदोष नाशक होने के साथ-साथ कई प्रकार के संक्रमण, ज्वर, वायरस से शरीर की रक्षा करने में सहायक हैं।
रोगप्रतिरोधक क्षमता, बढ़ाने वाली उपरोक्त जड़ीबूटियों का मिश्रण है-अमॄतम च्यवनप्राश
शरीर का इम्युनिटी पॉवर इतना स्ट्रांग बना
देता है, जिससे कभी कोई संक्रमण अथवा
बीमारी उत्पन्न ही नहीं होती।
अमॄतम च्यवनप्राश
वात, पित्त, कफ को
विषम नहीं होने देता। त्रिदोष को जड़ से
दूर करने में सहायक है।
इसके अलावा अमृतम च्यवनप्राश – उम्ररोधी (एंटीएजिंग) ओषधि भी है।
एक प्राचीन हर्बल मेडिसिन…..
5000 वर्ष पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ
महर्षि चरक द्वारा रचित “चरक सहिंता”
के मुताविक 54 से अधिक जड़ीबूटियों, रस -रसायनों से युक्त “अमृतम च्यवनप्राश” पूर्णतः शास्त्रोक्त विधि से निर्मित किया जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।अमॄतम च्यवनप्राश उन लोगों को अधिक पसन्द आएगा जो शुद्धता की तलाश में हैं।पैकिंग – 400 ग्राम काँच के जार में
ग्राहक मूल्य – ₹- 1849/-
अमृतम च्यवनप्राश के बारे में आदिकालीन
दुर्लभ जानकारी जुटाने के लिए हमारे बहुत से आर्टिकल्स गूगल पर सर्च कर सकते हैं।
स्वस्थ्य शरीर हरेक मनुष्य के लिए जरूरी है।
कवि कालिदास ने भी लिखा है
!!शरीरमाद्यं खलुधर्मसाधनम्!!
अर्थात्-
धर्म की सिद्धि में सर्वप्रथम, सर्वप्रमुख साधन (स्वस्थ) शरीर ही है। अर्थात् कुछ भी करना हो, तो स्वस्थ शरीर पहली जरूरत है।
अमृतम च्यवनप्राश कोशिकाओं को क्रियाशील बनाये रखता है। शरीर को शिथिल नहीं होने देता। आलस्य, प्रमाद, सुस्ती, थकान, कमजोरी मिटाने में यह बेजोड़ है।
एक विशेष जानकारी
फेफड़ो के लिए फायदेमंद….
अमॄतम च्यवनप्राश फेफड़ों को शक्ति
प्रदान करता है क्योंकि इसमें एंटीऑक्सीडेंट आंवला शरीर गहरे उतकों तक ऑक्सीजन पहुँचाकर शरीर की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को क्रियाशील बनाता है।
अमॄतम च्यवनप्राश श्वसन तंत्र के रोगों में
सीमित सर्दी-जुकाम से लेकर जीवाणुजन्य न्यूमोनिया जैसे घातक रोगों को दूर करने में सहायक है, जिससे बुढ़ापा जल्दी नहीं आता।
अमृतम च्यवनप्राश का मुख्य घटक आंवला
होने से यह वीर्य-बल-बुद्धि शक्तिवर्द्धक है।
यह शुक्र प्रवर्तक यानि नवीन शुक्र (वीर्य) को उत्पन्न और बढ़ाने में उपयोगी है।
पूरे परिवार को स्वस्थ्य रखे..
अमृतम च्यवनप्राश सभी आयु वर्ग जैसे-बच्चे, स्त्री-पुरुष, बड़े-बुजुर्गों के लिए अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक सप्लीमेंट है एवं शरीर की रक्षक ओषधि है, जो हर तरह के रोगों
से लड़ने में मदद करता हैं।
रसतन्त्र सारः व सिद्धप्रयोग संग्रह आदि अनेक आयुर्वेदिक शास्त्रों में च्यवनप्राश की बड़ी महत्ता बताई गई है। यह एक ऐसा त्रिदोषनाशक आयुर्वेदिक योग है, जो सम्पूर्ण परिवार को संक्रमण से बचाकर निरोगी बनाता है।
इसके नियमित सेवन से तन-मन का
“कायाकल्प” हो जाता है।
इसमें मिलाये गए रसायन “जरा” अर्थात वृद्ध-अवस्था यानी बुढापे को रोककर अनेकों व्याधियों-बीमारियों के आक्रमण से शरीर की रक्षा करते हैं।
आयुर्वेद सार-संग्रह , भैषज्य रत्नावली
भावप्रकाश आदि पुस्तकों के अनुसार
अमृतम च्यवनप्राश अनेक ज्ञात-अज्ञात
तथा असाध्य 40 तरह के रोगों में उपयोगी है।
जैसे-
■ रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर
कोरोना जैसे वायरस से देह की रक्षा करता है।
■ सर्वांगिक पौष्टिक (General tonic)
■ अमाशय पौष्टिक (Stomachies)
■ आंत्र पौष्टिक (Intestinal tonic)
■ नाड़ी पौष्टिक (Nervines tonic)
■ ह्रदय पौष्टिक (Cardiat tonic)
■ रक्त सञ्चालक (Vascular tonic)
■ अपक्षय रोधक और कीटाणुनाशक
(Antisepitic & Parasetiside)
■ बेहतरीन बाजीकरण (Aphrodeciacs)
■ त्रिदोष वात-पित्त-कफनाशक
■ दीपन (भूख की इच्छा उत्पन्न करना)
■ पाचन (भोजन तुरन्त पचाता है)
■ अनुलोमन (कोष्ठबद्बुता को दूर करता है ■ भेदन (मल को सड़ने नहीं देता)
■ विरेचन (कब्ज साफ करता है)
■ शोधक (खून साफ करने वाला)
■ वर्णप्रसादन (रंग निखारकर सौन्दर्य बढ़ाता है)
■ छेदन (अज्ञात विकार को नष्ट करने वाला)
■ ग्राही (कभी भी उपयोगी)
■ स्तम्भन (पुरुषार्थ शक्तिवर्द्धक)
■ रसायन (बुढापा रोकने में सहायक)
■ बाजीकरण (कामेच्छा वृद्धिदायक)
■ शुक्रल (वीर्य की वृद्धि करता है)
■ शुक्रप्रवर्तक (नया वीर्य निर्माता)
■ सूक्ष्म दुषिता द्रव्य, जीवाणुओं का नाशक
■ विकाशी (antispasmodic)
■ तन और बुद्धि का विकास करे
■ दमा-अस्थमा, श्वास एवं कफ नाशक
■ विषनाशक (टॉक्सिन नहीं रहने देता)
■ वातविकार नाशक
(हाथ-पैर, कमर, जोड़ों के दर्द और
चमक, कम्पन्न आदि 88 तरह के
वातरोगों से राहत दिलाता है।)
■ ग्रंथिशोथ (थायराइड) नाशक
■ ग्राही, वृर्ण्य, कृष्टार्तव, श्वेत-रक्तप्रदर।
■ रक्तातिसार, गर्भाशयशिथिलताहर।
■ प्रमाथी अर्थात-आँतों में चिपके सूक्ष्म मल
को बाहर निकल दे, उसे प्रमाथी कहते हैं।
■ कंडूध्न (antipsoric, antiprurigmous, antipreeitics) खुजली, त्वचारोग नाशक।
■ वीर्यस्तम्भक (वीर्य को देर तक रोकता है)
■ मांसपौष्टिक (flesh tonic)
■ योगवाही,
■ जिह्वाकण्ठविशोधन, कुष्ठ, पाण्डु,
■ शीतपित्त, रक्त पित्त नाशक
■ यकृत, प्लीहा, उदर, अर्श, विबन्ध,
■ आमवातहर, शोथहर
■ स्निग्ध (शरीर में चमक लाता है।)
■ प्रदर, लिकोरिया, पीसीओडी में उपयोगी।
■ महिलाओं हेतु आर्तवजनक ओषधि है
ध्यान देवें –
ताउम्र फिट रहने के लिए अमृतम च्यवनप्राश सर्वोत्तम ओषधि है। जिन लोगों को साल भर कोई न कोई विकार सताता हो या रोगों से पीड़ित रहते हों, उन्हें अपने भोजन का हिस्सा बनाकर रोजाना 1 से 2 चम्मच 2 या 3 बार दूध या पानी से अथवा ब्रेड, रोटी, पराँठे पर लगाकर सेवन अवश्य करना चाहिए।
अमृतम च्यवनप्राश के चमत्कारी फायदे…
● बीमारियों को जड़ से समाप्त करके,
द्वारा पनपने नहीं देता।
● संक्रमण से बचाता है।
● जीवनीय शक्ति में वृद्धि करता है।
● सर्दी-खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया, कास
पैदा ही नहीं होने देता।
● फेफड़ों के सभी नये व पुराने विकार
और देह के सभी मल को जड़ से साफ करने में सहयोग करता है।
● इम्युनिटी पॉवर में बेशुमार वृद्धि करता है।
● कफ को पतला करता है, अतः कफ द्वारा हुआ स्रोतो रोध, समाप्त होने लगता है।
● फेफड़ों की सफाई कर प्राणवायु का
सर्कुलेशन करता है।
● कब्ज के कब्जे से करे मुक्त…
जीर्ण मलावरोध (कब्ज)
में लाभकारी है-अमृतम च्यवनप्राश।
रोज-रोज की कब्जी से परेशान जीर्ण मलावरोध का रोगी सदैव सम्यक् मल प्रवृत्ति के लिए चिन्तित रहता है। पेट साफ न हो पाने की चिन्ता में रात को वह ठीक से सो भी नहीं पाता है।
अत: चिन्ता से अनिद्रा, अनिद्रा के कारण प्रात: देर से उठना इससे शौच का प्राकृतिक समय निकल जाने के कारण अनियमित मलत्याग, मलवद्धता और मलोत्सर्ग न होने से चिन्ता का दुष्चक्र बन जाता है।
यह पखाना खुलकर लाने में सहायक है।
च्यवनप्राश के और भी फायदे ऊपर लिखे
गए हैं। कोरोना से बचाने में यह विशेष
सहायक ओषधि है।
सर्वरोग नाशक दवा के रूप
में अमृतम च्यवनप्राश का इस्तेमाल
निसंकोच पूरा परिवार 12 महीने
कर सकता है।
अमृतम च्यवनप्राश के घटक-द्रव्य व लाभ
अमॄतम च्यवनप्राश सभी तरह के संक्रमण/वायरस जड़ से मिटाने में सहायक है।
इसमें मिश्रित 54 मूल घटक–
आँवला, त्रिकटु, दालचीनी, सौंठ, कालीमिर्च, अंजीर, मुनक्का, अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, शतावरी, ब्राह्मी, जटामांसी, मुलेठी, अकरकरा, बिल्व, छोटी हर्र (हरीतकी), बिदरीकन्द, सफेद चन्दन, वसाका, कमल केशर, गोखरू, बेल, कचूर, नागरमोथा, लौंग, पुश्करमूल, काकडसिंघी, दशमूल, जीवन्ती, पुनर्नवा, के पत्ते, मीठा नीम, सौंठ,
ये सभी सामान संसाधन सामग्री शरीर के
समस्त बीमारियों का स्थाई समाधान है।
अमॄतम च्यवनप्राश के चमत्कारी लाभ…
श्वसन तंत्र के सभी नये एवं पुराने रोग
जैसे- फेफड़ों में संक्रमण, सांस फूलना,
जल्दी हाफनी भरना, बार-बार होने वाला सर्दी-निमोनिया होना तथा श्वासनली के रोग सहित इस तंत्र के अन्य रोग जड़ से
मिटाकर शरीर में रस-रक्त और रोगप्रतिरोधक क्षमता वृद्धिदाता है।
इसका भी ध्यान रखें.…
@ मीठा खाना बिल्कुल न त्यागें दिन भर में 20 से 25 ग्राम गुड़ या अमृतम च्यवनप्राश लेने से कभी जोड़ों में दर्द सूजन नहीं होगा। मीठा त्यागने से वातरोग होने की संभावना ज्यादा रहती है
@ रात में दही, अरहर की पीली दाल न लेवें।
स्वस्थ्य रहने के लिए आयुर्वेद में 28 सूत्रों
का पालन करें।
जानने हेतु नीचे लिंक क्लिक कर सकते हैं-
https://amrutampatrika.com/28swasthwardhaksutra/
@ कोरोना के भय से डरें नहीं-
https://amrutampatrika.com/indiafightscovid19/
@ मन को प्रसन्न रखने के लिए जाने ॐ के रहस्य-
https://amrutampatrika.com/omamrutam/
अमृतम च्यवनप्राश केवल ऑनलाइन उपलब्ध है। आर्डर करने के लिए हमारी वेवसाइट www.amrutam.co.in सर्च करें।
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