क्या भोजन सही दिशा में करने से सुख समृद्धि बढ़ती हैं?

दिशा से दशा बदलिए….
दिशाओं का हमारे जीवन में सर्वाधिक महत्त्व है। सही दिशा में चलनेवाले जहाज, वाहन अपनी मंजिल तक पहुंचते हैं, गलत दिशा में चलनेवाले समय का अपव्यय करने के साथ ही साथ अपनी मंजिल को भी खो बैठते हैं और अनावश्यक कष्टकठिनाइयों को झेलते हैं।
यह अलग बात है कि चतुरगण परिस्थितियों को भांपकर दिशाओं का परिवर्तन करके अपना अभीष्ट प्राप्त कर लेते हैं और आनंदित होते हैं ।
दिशा परिवर्तन से सुख-शांति केसे मिले….
अपने जीवन के दीर्घकालिक अनुभव के आधार पर मेरा यह मानना रहा है कि मानव जीवन में अनेक कष्ट कठिनाइयां केवल दिशाओं के गलत उपयोग के कारण ही आती है।
घर भवन या दुलार में गलत दिशा होने से धन की कमी होने लगती है।
अधिकांश लोग मकान निर्माण के समय ईशान कोण को भारी कर देते हैं जबकि वह जितना खाली होगा, उतना ही लाभकारी सिद्ध होगा। ये मेरा अनुभव है।
मात्र दिशाओं का परिवर्तन कर ही जीवन में सुख-शांति का समावेश किया जा सकता है।
भोजन करने की सही दिशा....
भोजन के विषय में स्पष्ट शास्त्रीय निर्देश हैं कि किस कामनावाला व्यक्ति किस दिशा की ओर मुख करके भोजन करे ?
आयुर्वेदिक शास्त्र कहते हैं कि आयुष्य आरोग्य की कामना रखनेवाले व्यक्ति पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करें।
अनुभव सिद्ध बात यह है कि रोगी व्यक्ति को यदि पूर्व की ओर मुख करके पथ्य-आहार दिये जाते हैं, तो उसे तेजी से स्वास्थ्य लाभ होता है।
यश-प्राप्ति की कामना रखनेवाले को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए । दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से मान-सम्मान की असाधारण वृद्धि होती है किंतु जिनके माता-पिता जीवित हों उन्हें दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन नहीं करना चाहिए।
आर्थिक स्थिति और पश्चिम दिशा….
जिनकी आर्थिक स्थिति चिंतनीय है, जिन्हें धन प्राप्ति की इच्छा हो उन्हें पश्चिम दिशा की ओर मुख करके भोजन करना चाहिए। इस दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे किंतु स्थायी सुधार होता है।
उत्तर दिशा में भोजन न करें.
किंतु उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करने का सर्वथा निषेध किया गया है। कारण स्पष्ट करते हुए ऋषि कहते हैं कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करनेवाला ऋण का भोजन करता है अर्थात् उत्तरोत्तर ऋणी होता जाता है।
 इस विषय पर मैंने पर्याप्त लोगों से साक्षात्कार करने के उपरांत पाया कि अच्छे-खासे समृद्धिशाली व्यक्ति भी उत्तर दिशा की ओर मुख करके भोजन करते-करते उत्तरोत्तर हानि को प्राप्त होते चले गये।
जब उनसे कहा गया कि भोजन की दिशा परिवर्तित कर लो, तो बार-बार प्रयास करने पर भी स्वभावतः उत्तराभिमुख भोजन करने लगते।
कुछ दिनों के उपरांत जब पश्चिमाभिमुख भोजन करने का अभ्यास दृढ़ हो गया तो ऐसा करते-करते लगभग एक वर्ष के उपरांत आर्थिक समृद्धि का जो दौर प्रारंभ हुआ तो शीघ्र पूर्वावस्था से आगे की अवस्था में पहुंच गये।
शयन की दिशा…
शयन करते समय शयनकर्ता का सिर पूर्व की ओर होने से अच्छी निद्रा आती है, मस्तिष्क तरोताजा एवं शरीर स्वस्थ रहता है।
धार्मिक, आस्थावान एवं आध्यात्मिक लाभ की कामनावाले व्यक्तियों को हमेशा पूर्व दिशा की ओर सिर करके सोना चाहिए।
दक्षिण दिशा की ओर सिर करके शयन करने से निद्रा अच्छी आती है एवं आय में वृद्धि होती है।
पश्चिम दिशा की ओर सिर करके शयन करने से चिंताएं उत्पन्न होती हैं। उत्तर दिशा की ओर सिर करके शयन करने एवं तनाव उत्पन्न होता है।
उत्तर दिशा की तरफ सिर करके सोने से आयु का क्षय होता है तथा तनाव बना रहता है।
 अपने घर में शयन करते समय पूर्व दिशा की ओर सिर करना चाहिए।
ससुराल में दक्षिण दिशा की ओर सिर करके शयन करें एवं यात्रा में पश्चिम की ओर सिर करके शयन करें। किंतु कभी भी उत्तर दिशा की ओर सिर करके शयन नहीं करना चाहिए।
घर में ईशान कोण (पूर्व-उत्तर कोण) में उपासना गृह बनाकर पूर्व दिशा की ओर मुख कर उपासना करने से शीघ्र ही ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है, इसमें संदेह नहीं।
जीवन में परेशानी दिशा का गलत उपयोग के कारण ही आती हैं!

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