- गुरु ग्रह के कमजोर होने और राहु से निर्मित ग्रहण योग के कारण पेट में अकसर बीमारी बनी रहती है।
- राहु के नक्षत्र में जन्मे और राहु की महादशा वाले जातक कभी कभी पेट रोग के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं।
- राहु को सर्वाधिक भय कालमेघ से लगता है और कलरम से निर्मित आयुर्वेदिक लिवर टॉनिक सेवन करना लाभकारी रहता है।
- अम्लपित्त, खट्टी डकार, एसिडिटी, वमन जेसी जब कोई भी बीमारी समझ न आये, तो केवल पेट को ठीक करने वाली चिकित्सा करना बेहतर रहता है।
- कालमेघ, मुनक्का, अमृतम गुलकन्द, घर के मसालों का काढ़ा, लिवर टॉनिक, केवल दिन में फलों का जूस, फल, मेवा आदि लेना चाहिए। निराहार रहना भी श्रेष्ठ उपचार है।
- कीलिव स्ट्रांग सिरप सुबह खाली पेट 20 से 25 ml एक गिलास पानी में मिलाकर लेवें।
- आयुर्वेद में मान्यता है कि जब कोई रोग पकड़ में नहीं आये, तो पेट, लिवर उदर सम्बन्धित दवा हितकारी है।
राहु के दुष्प्रभाव और गुरु की कमजोरी से होते हैं पेट रोग !!
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