एक बहुत ही प्रेरणादायक ब्लॉग

             पिछले से शेष——

एक बहुत ही प्रेरणादायक ब्लॉग
जो जागा, वही भागा । सोया, तो रोया।

हमारे दादा-दादी समझाते भी थे कि-

बचपन खेल में खोया, 

जवानी नीँदभर सोया, 

बुढ़ापा देखकर रोया। ये सब हमारी लापरवाही का परिणाम होता है।
सीधा सूत्र है जिंदगी का – भाग-भागकर,
भागम-भाग द्वारा सोया भाग्य जगाया जा
सकता है ।
एक पुराने गीत का अन्तरा है
भोर भई और सांझ ढली रे,
समय ने ली अंगड़ाई ।
ये जग सारा नींद से हारा,
मोहे नींद न आई ।

जीवन में कुछ करने की ललक है, तो
नींद भी बींद यानि रुक जाती है

महान वैज्ञानिक, अपनी धरती के
पूर्व राष्ट्रपति जनाब अब्दुल कलाम
के शब्दों में – सपने वे नहीं जो
सोने पर आते हैं । सपने साधक
को सोने नहीं देते। हां सत्य भी है।
दुर्भाग्य को दूर भगाने वाला व्यक्ति
सब कुछ साधते-संभालते साधक ही
बन जाता है। फिर, एक दिन सिद्धि-
सम्पत्ति गाजे-बाजे के साथ दरवाजे
पर आ खड़ी होती है ।
ये तन तसने-कसने के लिए बना है।
तन को जितना कसोगे, तो ही संसार
में बचोगे। शरीर श्रम-कड़ा परिश्रम
चाहता है । तपा डालो तन को तप(मेहनत)
की अग्नि से।

शिवःसङ्कल्पमस्तु
जवानी में ठहराव की बात ठीक नहीं।
भाग-भाग कर संकल्प की शक्ति से ही
जीवन को भाग्यशाली बनाया जा सकता है ।लोग दुर्भाग्य से दूर भागते हैं, परन्तु इसे भागम-भाग से दूर नहीं भगा पाते, तो तत्काल के हाल जानने हेतु जन्मपत्री लेकर ज्योतिष के पास जाकर बुरे काल  (समय) के मायाजाल से निकलना चाहते हैं।

100 तरफ भागने से बनता है-सौभाग्य

जबकि सौभाग्य का अर्थ हुआ कि 100
तरफ भागकर परम् प्रयास से जीवन को
स्थिरता देवें। 100 बार भी असफल
होने के बाद भाग-भागकर पुनः प्रयास करें।
ईश का अर्थ आत्मा है। ज्योति अर्थात
अग्नि, ऊर्जा। मतलब सीधा सा हुआ कि
आत्मा की ज्योति कड़ी मेहनत,लगातार लग्न
से जलेगी। अंदर धधक रही ऊर्जा,उमंग
के अनुसार ही ज्योतिषी भाग्य का निर्धारण
कर पाते हैं । वे भाग्य जगाने हेतु उर्जाकारक
उपाय सुझाते हैं ।
आखिर धन आये कैसे

दूर दृष्टि, पक्का इरादा और उद्देश्य सामने रख भाग-भाग कर हालात बदले जा सकते हैं । धैर्य एक दिन इंसान को शेर बना देता है । ठोकर व्यक्ति को ठाकुर बनाती है।

हिम्मत न हार फकीरा, चल-चला चल। ये
विश्वास एक दिन विश्व के नाथ को भाग्य
बदलने के लिए विवश कर देगा। बिना भाव
(फल) के प्रयास अभाव मिटा देंगें।  ये अनुभव की बात है।
दर्द है, तो दवा भी है

सृष्टि में  सब सम है।
दुःख है, तो सुख भी है। सुबह और शाम,
हानि-लाभ, जीवन-मरण भी है। हरेक दो हैं ।
हर चीज के दो पहलू हैं। किसको कोनसा पहलू पहले मिले, कह नही सकते। पहले सुख मिल गया, तो बाद में दुख मिलते हैं । यह प्रकृति का नियम भी है। इसे झुठलाया नहीं सकता और पहले दुःख, तो अंत में सुख मिलता है। यह किस रूप में मिले, पता नहीं।

फिर एक बात पूर्णतः सत्य है –

 अंत भला, तो सब भला। सतत संघर्ष के सहारे चलते हुए, जो हारे नहीं, जयंती उन्हीं की मनायी जाती हैं ।
परम्  सरगम साधक किशोर का एक गीत या
समझाइश है-
जब दर्द नहीं है सीने में,
तो, खाक मजा है जीने में

अबकी शायद हम भी रोएं

सावन के महीने में।

किसी गीतकार ने भारी तकलीफ के बाद ही लिखा होगा । खैर—

मुरैना की मानसिकता
बहुत साल पहले मुरैना मप्र के घने एकांत
में स्थित गांव ढोंढर के एक बुजुर्ग ने
मसकरा करते हुए कहा था कि-
गरीबी और बीबी दोनों ज्ञान चक्षु खोलकर
अनुभवों की आधारशिला रखती हैं ।
ये दोनों हीं मूर्ख व्यक्ति को विद्वान बनाती हैं ।
अच्छे समय मे लोग गरीबी का गाना, तो
गाते हैं। लेकिन बीबी के सहयोग को भुला देते हैं।

……….
नारी का साथ औऱ बीमारी को लात जवानी में  सफलता, सरलता में सहायक है ।
‎हालांकि जीवन में कुछ करने हेतु  नारी प्रेरित, परेशान जरूर करती है औऱ बीमारी बर्बाद कर देती है।

कष्ट-क्लेश के अनुभव ही हमारी अमूल्य धरोहर
है। खुद से भागोगे, तो जागोगे कैसे ।
समाज-संसार के लिए भागना और जागना
हमारी  प्राथमिकता होनी चाहिए ।
जागोगे, तो रुक नहीं पाओगे ।
हर निदान-समाधान भागने में ही है ।
इसलिये भी कि अंत में आत्मा-परमात्मा को
यह कहकर दोष दें कि-
मेरा जीवन कोरा कागज,
कोरा ही रह गया ।

या फिर प्रकृति व परम सत्ता अथवा खुद को कलंकित करे यह सोचकर कि
मेरा जीवन कोई काम न आया
बिना भागम-भाग के सहज, सरल होना नामुमकिन है । रोज डर-डरकर, मर-मरकर
खुद से भागकर कहाँ जाओगे। फिर परेशान
वे ज्यादा हैं, जिनके पास धन, तो है पर
काम नहीं।  अधिक आराम जीना हराम कर देता है । फिर रामभी क्या करे ।
मेरा नाम जोकर का ये गाना, तो स्मरण
होगा ही—
जीना यहां, मरना यहां,
इसके सिवा जाना कहाँ ।

जीना तो चढ़ना ही पड़ेगा, मंजिल पाने हेतु ।
अतः धन के अभाव में कोई भाव (सम्मान)
नहीं देता। दुनिया उन्हें नोकर समझती है या जोकर यही भाग्य का सत्य है। इसलिए इतना भागो, जब तक भागो, तब तक भाग्योदय
का सूर्यौदय न हो जाये ।
अभी और ब्लॉग बाकी है, आगे जारी है
इस लेख के अध्ययन से चेतन्यता चेती हो,
मानसिक जागरण हुआ हो या कुछ करने का
जज्बा जागृत हुआ हो तो इसे शेयर जरूर करें

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आगे दौलत क्या है, देखिए

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शब्दों से साक्षात्कार कराना हमारा कर्म है,
लाइक, शेयर करना आपका धर्म ।
इन्हीं विनम्र भावनाओं के साथ ।
शेष जारी है……..

        ।। अमृतम।।
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