- जिनके नाम से मंगल या मांगलिक दोष का प्रभाव मिट जाता है। उन्होंने आयुर्वेद के सबसे महंगे तेल कुम – कुमादि तेल का अविष्कार महारानियों की सुंदरता बरकरार रखने के लिए किया था।
- उन महान आत्मा का नाम था महर्षि अंगारक। स्कंध पुराण में मंगल की शांति के सारे उपाय इनकी खोज है। जैसे मार्केंडेय ऋषि ने चंद्रमा की प्रसन्नता के लिए महामृत्युंजय मंत्र का अविष्कार किया था।
- दीपावली के 16 दिन पहले दुनिया में महिलाओं द्वारा करवा चौथ का विधि विधान महर्षि ही बताया है। आइए इन महा पुरखों को नमन, प्रणाम करते हैं।
- विश्व का सर्वाधिक बहुमूल्य तेल इतना कारगर और महंगा क्यों है। ये कोनसा फेस ऑयल है?
- ये तेल केशर यानि कुमकुम, मंजिष्ठ, चंदन, रक्त चंदन आदि 56 जड़ी बूटियों के मिश्रण से 40 से 45 दिन में तैयार होने के कारण आयुवेद का सबसे बहुमूल्य फेस ऑयल कहलाता है।
- इस तेल का अविष्कार 5000 साल पहले महर्षि अंगारक ने किया था। इसकी जानकारी संस्कृत के श्लोक में योग रत्नाकर ग्रंथ में मिलती है।
- अमृतम कुंकुमादि तेल त्वचा को चमकाता है और निखार लाता है। यह हाइपरपिग्मेंटेशन रंग बदलने में सहायक है।
- रासायनिक आधारित क्रीम की तुलना में त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमद है।
- यह आयुर्वेद का एक उत्तम प्रोडक्ट है और इसका हमारे चेहरे पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता है।
- आयुर्वेद के माध्यम से Fast Forward अर्थात प्राचीन यानि पुरानी परंपरा को आगे बढ़ाओ। ओल्ड सदैव गोल्ड रहता है।
- अमृतम कुंकुमादि तेलम भी आयुर्वेद की 5000 साल प्राचीन पध्दति के अनुसार निर्मित है! इसमें नेचुरल सनस्क्रीन गुण होते हैं।
- आयुर्वेद का यह बहुमूल्य फेस ऑयल रोम-रोम की मरम्मत कर, चेहरे की त्वचा को चमका देता है।
- अपनी खास उपयोगिता के कारण हैदराबाद, चेन्नई, बैंगलोर, मुम्बई के अखबारों में फीचर हुआ!!!
- अमृतम कुंकुमादि तेल सोलह श्रृंगारों में से एक है। इसके 16 चमत्कारी काम….और कहानी
- अमृतम कुंकुमादि तेल का यह योग आयुर्वेद के “योगरत्नाकर” नामक प्राचीन ग्रन्थ” के क्षुद्ररोगाधिकार तथा चरक सहिंता के त्वचा रोगाधिकार और भैषज्य रत्नाकर के “सुन्दरता वृद्धि योग” से लिया गया है।
- आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आयुर्वेदिक फार्मूलेशन ऑफ इंडिया (AFI) आयुर्वेद की सबसे विश्वसनीय पुस्तक है। एएफआई में केशर से निर्मित के फार्मूले का संस्कृत में एक श्लोक लिखा है….
कुंकुम चन्दनं लोध्रं पतंग रक्तचन्दनम् !
कालियकमुशीरं च मजिंष्ठा मधुयष्टिका !!१!!
पत्रकं पद्मकं पद्मकुष्ठंगोरोचनं निशा !
लाक्षा दारूहरिद्रा च गैरिकं नागकेशरम् !!२!!
पलाशकुसुमं चापि प्रियंगगुश्च वटाअंकुरा !
मालती च मधूच्छिष्टम सर्षपा: सुरभिवर्चा !!३!!
अर्थात–
कुंकुमादि तेल में मिले घटक द्रव्य, जड़ी बूटी हैं-
- केसर, चंदन, लोध्रं, पतंग काष्ठ, रक्त चन्दन, लाख (लाक्षा) मंजिष्ठा, यष्टिमधु (मुलेठी), दारुहल्दी, उशीर, पद्मक, नील कमल, बरगद (वट वृक्ष) पाकड़/पाखर, कमल केसर, बिल्व अग्निमंथ, श्योनाक, गंभारी, पाटला, नागकेशर, वट अंकुर, पलाश, प्रियंगुमंजरी, शालपर्णी पृश्नपर्णी, गोखरू (गोक्षुर) बृहती कंटकारी या भटकटैया, मालती और मधु आदि
- उपरोक्त सभी मिलाकर इसे 16 गुने पानी में 8 दिनों तक उबालते हैं। उसके बाद शेष बचे उबले जल/काढ़े को छानकर निकाल लेते है और इस काढ़े को तिल्ली, बादाम, चंदनादि तेलों में15 दिनों तक मंदी आंच में पकाते हैं, तत्पश्चात 40 से 50 दिनों में कुम-कुमादि तेल तैयार हो पाता है।
- अमृतम कुंकुमादि तेल का उपयोग आमतौर पर चेहरे के निखार लाने, झुर्रियां मिटाने के लिए किया जाता है। यह त्वचा से सबंधित सभी रोगो को ख़त्म करता है।
- यह शुष्क त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जिसकी त्वचा रूखी है, स्किन शुष्क है वह इसे रात में लगाकर सो जाये और सुबह उठाकर धो ले। इसे हम मॉइशर के तोर पर भी उपयोग में लाते है।
- चेहरे के ऊपर से काले धब्बे और आखो के नीचे होने वाले काले घेरे को ख़त्म करने का काम करता है।
- मुँहासे मिटाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- यह एंटी एन्जाक का काम करता है। जिससे स्किन जवां दिखती है।
- इस तेल का उपयोग नाक के लिए भी किया जाता है। नाक में इसके ३-४ बून्द डालने पर पित्त को ठीक किया जा सकता है।
- इस तेल से चेहरे पर मालिश करने से रक्तसंचार यानि ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है।
- यह त्वचा में होने वाली सूजन को रोकता है।
- इसे हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
- मस्से को ख़त्म करने के लिए भी इसका यूज़ किया जाता है।
- घाव के निशान को ठीक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- गाल पर भूरे रंग के चकते को भी ठीक करता है।
- इसका उपयोग सदियों से ब्यूटी आयल के तोर पर किया जा रहा है।
- यह एक हर्बल और वानस्पतिक आयुर्वेदिक तेल होता है।उपयोग 20 से 30 दिन तक नियमित करके देखें।
हजारों साल पुरानी मुख मंडल चिकित्सा कुम-कुमादि के ४१ फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे… आप
- रोम-रोम की मरम्मत करने में सहायक
- त्वचा को कोमल, मुलायम और
- ग्लोइंग बनाएं
- जगमगाता गोरापन लाएं
- चेहरे की चमक बढ़ाये
- ऑयल कंट्रोल करे
- खोया निखार वापस लाये
- दाग-धब्बों से राहत दे
- झुर्रियां कम करे
- चेहरे पर बेहतर रंगत दे
- आत्मविश्वास बढ़ाये।
- कुमकुमादि तेलम के नियमित उपयोग से आंखों की रोशनी भी बढ़ सकती है।
- अमृतम कुंकुमादि तेल के उपयोग से कालापन दूर होकर त्वचा सतेज, सुन्दर, खूबसूरत और चमकदार लगती है।
- कुम-कुमादि तेलम नारी सौन्दर्य का सम्पूर्ण समाधान है। ढ़ीली त्वचा टाइट होने लगती है।
- कील-मुँहासे, पिम्पल्स, आंखों के नीचे के काले निशान जड़ से मिटाता है।
- एंटीऑक्सीडेंट,
- एंटी-ह्यपरपिगमेंटशन,
- मॉइस्चराइजर,
- डेमल्सेण्ट,
- एंटीबैक्टीरियल,
- एंटी-इंफ्लेमेटरी,
- एंटी-माइक्रोबियल,
- एंटी-प्रुरितिक, नेचुरल सनस्क्रीन गुण हैं।
- कुंकुमादि तेल की मालिश से त्वचा की सारी सूक्ष्म गन्दगी बाहर निकल जाती है। कुछ ही दिनों में चेहरे पर खूबसूरती का एहसास आप स्वयं करने लगेंगे।
- अमृतम कुंकुमादि तेल त्वचा को चमकाता है और निखार लाता है। यह हाइपरपिग्मेंटेशन रंग बदलने में सहायक है।
- केमिकल आधारित क्रीम की तुलना में त्वचा के लिए बहुत ही फायदेमद है।
- यह आयुर्वेद का एक उत्तम प्रोडक्ट है और इसका हमारे चेहरे पर कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता है।
- अमृतम कुंकुमादि तेल का उपयोग आमतौर पर चेहरे के निखार लाने, झुर्रियां मिटाने के लिए किया जाता है। यह त्वचा से सबंधित सभी रोगो को ख़त्म करता है।
- यह शुष्क त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जिसकी त्वचा रूखी है, स्किन शुष्क है वह इसे रात में लगाकर सो जाये और सुबह उठाकर धो ले। इसे हम मॉइशर के तोर पर भी उपयोग में लाते है।
- चेहरे के ऊपर से काले धब्बे और आखो के नीचे होने वाले काले घेरे को ख़त्म करने का काम करता है।
- मुँहासे मिटाने में भी इसका उपयोग किया जाता है।
- यह एंटी एन्जाक का काम करता है। जिससे स्किन जवां दिखती है।
- इस तेल का उपयोग नाक के लिए भी किया जाता है। नाक में इसके ३-४ बून्द डालने पर पित्त को ठीक किया जा सकता है।
- इस तेल से चेहरे पर मालिश करने से रक्तसंचार यानि ब्लड सर्कुलेशन ठीक हो जाता है।
- यह त्वचा में होने वाली सूजन को रोकता है।
- इसे हाइपरपिग्मेंटेशन के इलाज में भी उपयोग किया जाता है।
- मस्से को ख़त्म करने के लिए भी इसका यूज़ किया जाता है।
- घाव के निशान को ठीक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
- गाल पर भूरे रंग के चकते को भी ठीक करता है।
- इसका उपयोग सदियों से ब्यूटी आयल के तोर पर किया जा रहा है।
- यह एक हर्बल और वानस्पतिक आयुर्वेदिक तेल होता है।
V की प्राचीनता-
- अर्कप्रकाश, स्कन्दः पुराण, ईश्वरोउपनिषद आदि पुरानी किताबों से पता लगता है कि- इसका उपयोग कोमल, निखरती त्वचा और चेहरे को चमकदार बनाने एवं खूबसूरती के लिए किया जाता रहा है।
कुंकुमादि तेल अमीर, राजे-रजवाड़ों की पसंद है
- कुंकुमादि तेल का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है। यह बहुत बहुमूल्य होने के कारण इसे केवल राजे-रजवाड़ों एवं रानी-महारानी के अलावा अमीर-रहीस लोग ही इसका इस्तेमाल करते थे।
- कुंकुमादि तेल बुढापे को रोकता है इसलिए उम्ररोधी यानी एंटीरेजिंग
भी होता है। - सदियों में या किसी भी मौसम में हाइपरपिगमेंटेशन के लिए कुंकुमादि तेल काफी लाभदायी माना गया है।
पिगमेंटेशन होने का क्या कारण है
- इस समय दुषित आवो-हवा की वजह से पूरे विश्व के युवा स्त्री-पुरुषों को त्वचा संबंधी इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
- पिगमेंटेशन या हायपरपिगमेंटेशन त्वचा की एक सामान्य समस्या है। जो प्रदूषण और प्रदुषित वातावरण के चलते 10 में से 7 महिला या मर्द चेहरे की स्किन खराब होने के भय से पीड़ित है।
पिगमेंटेशन/हायपरपिगमेंटेशन
- के कारण त्वचा का कोई-कोई भाग सामान्य से गहरा रंग का होकर, त्वचा पर दाग-धब्बे पड़ने लगते हैं। जिससे सुन्दरता क्षीण हो जाती है। त्वचा में यह समस्या त्वचा में मेलानिन का स्तर बढ़ने से होती है।
- amrutam कुंकुमादि तेल नियमित उपयोग से काले धब्बे, काले घेरे, निशान तथा चेहरे पर होने वाली अन्य समस्याओं से भी निजात दिलाता है।
अमृतम कुंकुमादि तेल बनाने की विधि
- उपरोक्त 56 सब जड़ीबूटियों को जौकुट करके 16 गुने पानी में 24 से 36 घण्टे तक गलकर छोड़ दिया जाता है। फिर, 5 से 7 दिनों तक कम अग्नि पर इसको चौथाई भाग रहने तक उबालते हैं।
- इसके बाद ठंडा होने पर छानकर काढ़े को 15 के 20 दिन तक मंदी आंच पर तिली आदि तेलों में पकाकर, जैतून, बादाम, मालकांगनी मिलाकर अमृतम कुमकुमादि तेल 45 दिनों में तैयार हो पाता है।
राजा- रहीस और अमीरों की खूबसूरती का रहस्य
- आज से हजारों वर्ष पहले इसका उपयोग केवल राज्य-परिवार की रानियां और धनाढ्य लोग ही किया करते थे।
- चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने हेतु इसमें मिलाया गया चन्दन, केशर की वजह से कुमकुमादि तेल त्वचा के लिए काफी गुणकारी होता है।
- केशर पूरे प्रेशर से त्वचा की पूरी गन्दगी बाहर निकालकर, चेहरे के कलेवर को बदल देता है।
- लटकती ढ़ीली त्वचा, झुर्रियां, बुढापे के लक्षण आदि समस्याओं का स्थाई हल है- कुम-कुमादि तेलम
- क्योंकि इसमें केशर का पर्याप्त समावेश है, जो प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक पदार्थ या यौगिक है, जो त्वचा के जिद्दी जीवाणु को मार डालता है ये स्किन में पैदा होने वाले अज्ञात कृमि- कीटाणुओं के विकास को रोकता है।
कुमकुमादि तेल की विशेषता
- प्रतिजैविक रोगाणुरोधी यौगिकों का व्यापक समूह होता है, जिसका उपयोग कवक और प्रोटोजोआ सहित सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जाने वाले जीवाणुओं के कारण हुए संक्रमण के इलाज के लिए होता है।
- अमृतम कुमकुमादि तेल पुराने से पुराने कील-मुंहासे, झुर्रियां, दाग-धब्बे, कालापन एवं चेहरे की समस्याओं से पीड़ित स्त्री-पुरुषों के लिए अति उत्तम आयुर्वेदिक ओषधि है।
- मुरझाए हुए मुख मंडल के लिए ये पूर्णतःहानिरहित, बिना साइड इफ़ेक्ट के प्राकृतिक उपाय है।
क्यो चली जाती है-चेहरे की चमक…
- चिकित्सा चंद्रोदय ग्रंथ तन में तनिक सी विटामिन्स की कमी, चेहरे के निखारने, मेकअप या खूबसूरत बनाके लिए सिंथेटिक तथा निम्न दर्जे के उत्पादों का उपयोग, और अधूरी नींद, कब्ज, अपचन, मानसिक अशांति, हार्मोनल चेंजेज आदि अनेक वजहों से चेहरे की त्वचा फीकी पड़ने लगती है।
केमिकल्स की क्रूरता
- बिना जांचे-परखे केमिकल युक्त रसायनिक पदार्थ के इस्तेमाल करने के फलस्वरूप धीरे-धीरे फेस पर फुंसियां, कील-मुँहासे, काले धब्बे, झुर्रियां, होने से चेहरा निस्तेज हो जाता है। कम उम्र में आकर्षण कम होकर बुढ़ापे के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
- इन सब समस्याओं से बचने के लिए आयुर्वेद में हानिरहित अनेकों उपाय हैं। जिसमें बहुत ही बहुमूल्य ओषधि है।
- अमृतम द्वारा निर्मित कुमकुमादि तेल, जो केशर आदि 35 जड़ीबूटियों के रस तथा काढ़े से निर्मित है। बस इसे सुबह स्नान के पहले या पश्चात और रात सोने से पहले 4 से 8 बून्द एक माह तक निरन्तर लगाना है।
- अत्यधिक ठंड के मौसम में त्वचा सूखी और बेजान Dry skin हो जाती है। इसकी उचित देखभाल हेतु यह बेहतरीन ट्रीटमेंट अमृतम कुंकुमादि तेलम अत्यंत कारगर है, ताकि आपकी त्वचा अस्वस्थ ना हो।
कुछ खर्चीला काम
- यदि आप अधिक धन व्यय कर सकें, तो एक महीने पूरे शरीर में एक बार में 25 से 30 मि.ली. लगाकर अभ्यंग मालिश कर सकते हैं।
- कुमकुमादि तेल पूर्णतः साइड इफ़ेक्ट रहित हर्बल ऑयल है।आयुर्वेद टेक्स्टबुक के मुताबिक इसके हजारों साइड बेनिफिट हैं। नुकसान कुछ भी नहीं।
बुढ़ापे से बचाये-समृद्धि बढ़ाये….
- बुढ़ापे से बचने के लिए प्रत्येक शुक्रवार को पूरे शरीर की मालिश करने से विशेष भाग्योदय भी होने लगता है। क्योंकि भौतिक सम्पदा के दाता शुक्र ग्रह हैं, जो इस बहुमूल्य तेलम के अभयंग या मालिश से बहुत प्रसन्न होते हैं
- यह प्रयोग भी एक बार आजमा कर देखें।
सम्मोहन शक्ति के लिए–
- बड़े-बड़े महात्मा, सन्त, अवधूत कुंकुमादि तेल को घिसे हुए चन्दन में अच्छी तरह फेंटकर इसका लेप का माथे पर त्रिपुण्ड या टीका लगाते हैं, जिससे उनमें विशेष आकर्षण आने लगता है।
- शिव रहस्योपनिषद और भविष्यपुराण के तिलक-टीका अध्याय में सम्मोहन विद्या प्राप्ति के कुछ दुर्लभ प्रयोग बताये गये हैं।
- कुंकुमादि तेलम में मूल घटक केसर है, जिसका आयुर्वेद के ग्रन्थ योगरत्नाकर, भावप्रकाश, चरक सहिंता, ऋग्वेद आदि में इसके आलौकिक औषधीय गुणों और अद्भुत विशेषताओं का विस्तार वर्णन किया है।
केशर का दम
- बताया गया है कि- त्वचा को निखारने के लिए केशर के मुकाबले सृष्टि में अन्य कोई दूसरी ओषधि है ही नहीं।
- केशर शरीर के सभी अवयवों, नाड़ियों एवं त्वचा की देखभाल, पोषण, रक्षण तथा सौन्दर्यवर्धन के लिए प्रतिपादित किया गया है।
- आयुर्वेद में केशर यानि कुमकुम को अत्यंत उपयोगी माना है। जिनके चेहरे पर बड़े मस्से हों, तिल हो, दाग हों ओंठ अटपटे या मोटे हों इन सब खामियों को कम कर वर्ण को निखारकर और रंग साफ करता है।
- केशर/कुमकुम चेहरे की गौरा बनाने में सहायक है।
अमृतम कुंकुमादि तेल लगाने का तरीका
- योगरत्नाकर ग्रन्थ के मुताबिक इसे सुबह और रात्रि में सोने से पहले चेहरे पर लगाकर 20 से 25 मिनिट तक लगा रहने दें।
- जरूरी समझे, तो हल्के गुनगुने पानी से चेहरा साफ करें अथवा रुई के फोहे से पोंछ लेना चाहिए।
कुंकुमादि तेल के नुकसान/ साइड इफ़ेक्ट
- अगर काफी समय से केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो शुरू में कुंकुमादि तेल का उपयोग करने से पहले इसके एलर्जी के बारे में पता कर लेना चाहिए।
- पाचन तंत्र के गड़बड़ी, प्रदूषण एवम रक्त की खराबी होने या स्किन प्रोब्लम के कारण इसके कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते है जो निम्नलिखित है-
चेहरे पर खुजली होना।
गाल पर लाल चकते
कुंकुमादि तेल का उपयोग करने से पहले इसके एलर्जी के बारे में पता कर लेना चाहिए कि- यह आपके स्किन पर उपयोग करने लायक है या नहीं।
यदि इसका यूज़ करने पर आप के शरीर पर खुजली या लाल चकते हो रहे हो तो इसका यूज़ करना बंद कर दे और रक्त साफ करने वाली आयुर्वेदिक औषधियाँ
- Skinkey Malt
- लिवर को दुरुस्त करने में कारगर
- कीलिव माल्ट, Keyliv Strong Syrup, कीलिव कैप्सूल का 2 महीने सेवन करें
- कुंकुमादि तेल का वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। जिसकी स्किन ऑइली है उसे इस तेल का इस्तेमाल करने से पहले, अमृतम फेस वॉश से मुहँ धो लेना चाहिए।
- इस बहुमूल्य तेल का यूज़ करने से त्वचा सुन्दर और निखरती है।कुंकुमादि तेलम के इस्तेमाल से अब आप भी खुश रह सकते हैं।
- आयुर्वेद हमें सेहत सम्बन्धी अनेक तरह की तकलीफों से बचाता है। कुंकुमादि तेल का उपयोग केवल बाहरी यूज़ के लिए किया जाता है।
पैकिंग-
12 ML 1599/ 25 मिलीलीटर मूल्य- ₹ 3249/–
घरेलू उपायों से सावधान रहे
- कुछ महिलाएं बरगद के पत्ते का, कुछ सफेद अकौआ का दूध पिम्पल्स ओर काले धब्बे मिटाने के लिए करती हैं।
- आयुर्वेद के भावप्रकाश निघण्टु में चिरौंजी, रोहिष घांस, अनंतमूल, बादाम, बड़ी इलायची के छिलके, कालीमिर्च आदि से घर में त्वचा रोगों का इलाज करना मना किया है।
- एलोवेरा, आलू का स्टार्च, नीबू का रस, खीरे का जूस, संतरे, अनार का छिलका भी पिम्पल्स एवं काले निशानों को शुरू में तो मिटाता है। लेकिन कच्ची ओषधियां चेहरे के लिए काफी नुकसान दायक होती हैं।
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