डर, भय, भ्रम, तनाव से केसे बाहर निकले !!

  • डर सबसे खतरनाक होता है और इससे अनेक नुकसान हो सकते हैं। दी हुआ इंसान भगवान में दोष देखता है। वैसे डरना नहीं चाहिए। दारा हुआ व्यक्ति मरा हुआ ही होता है। क्योंकि जो डर ज्ञान, समझो मर गया।
  • हर हर हर महादेव कहते हुए नियमित व्यस्त रहें।

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।

  • यही सोच जीवन को सुखमय बना देगी ओर डर हमेशा सोचने से आता है। इससे लडों तो भाग जाता है।
  • जीवन का आरंभ कहीं से करें। बस हिमात, होंसला जरूरी है। घोर गरीबी के दिनों में इस तरह के डर से हम भी बहुत मुश्किल और अभ्यास से निकले हैं।
  • अपने डर को कुछ कर दिखाने में झोंक दो। आपके अंदर जितना भी डर, भय, भ्रम, भ्रांति, चिंता, मान सम्मान, स्वाभिमान और खोखली इज्जत का कुगालता है उसे एक पुरानी अटेची में ताला डालकर बंद कर दो और जब भी डर लगे, तो उसे गाली देकर अटेची में जाने के लिए कहें।
  • डरा हुआ आदमी सोचता है कि सब मुझे ही देख रहे हैं। मेरे बारे में जाने क्या क्या बातें कर रहे हैं। डरे हुए इंसान को अपनी शान बनाए रखने का भारी शोक होता है। ये सब मुकुट उतारकर नंगे आदमी बन जाओ।
  • कहते हैं की नंगे से खुदा भी हारा है। समाज, रिश्तेदार या लोगों की इस बात पर गौर न करें कि नंगा नाएगा क्या? निचोड़ेगा क्या?
  • याद रखें मंजिल के हर मंजर पर हिम्मत की हुकूमत चलती है। जरा भी हिल गए, तो पिल जाओगे और दिल रोता रहेगा।
  • जिद्द करो और दुनिया बदलो। किस्मत, मुकद्दर या भाग्य भी उनका साथ देता है, जिनमें कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो।
  • ध्यान रखना। जुनून से ज्यादा गर्मी न तो ऊन में होती है, न जून में होती है, सुकून और चूंन में एनर्जी होती ही नहीं है। भोलेनाथ ने इस धरती पर कुछ करने के लिए ही भेजा है। इसलिए उलजुलुल चीजों में अपना भेजा खराब न करे। कलेजा फट जायेगा।
  • अभी कैसे हिम्मत हार जाऊं मैं। अभी तो मेरा जितना बाकी है। जितने का जज्बा रखने वालों के साथ हिम्मत सदा संग रहती है। बिना खटखटाए कामयाबी के द्वार नहीं खुलते।
  • बहुत मुश्किल है उस इंसान को हराना, जिसे चलना ही ठोकरों ने सिखाया हो। जो नए रास्ते बनाए, वही इंसान है। लोगों के बनाए रास्ते पर क्या चलना। खाली जेबों में अक्सर होंसले खनकते हैं।
  • जिस दिन आपको सपने सोने नहीं देंगे। बस समझ लेना सारा डर निकल चुका है। मस्ती जेसी सस्ती चीज को अलविदा कहें। अपनी हस्ती अपने हाथों से बनाकर, गृहस्थी बसाएं। दुरुस्ती का भी ध्यान रखें।

तनाव से नुकसान

  • तनाव से केवल तन की नाव डूबती है। तनाव, क्लेश पालने वाले हमेशा कोई न कोई रोग से पीड़ित रहते हैं। तनाव डूबा दे, तन की नाव। ऐसे लोगों को कोई भाव नहीं देता। स्वभाव भी बिगड़ जाता है और पैसे का अभाव बना रहता है।
  • दबाव में रहने वाले लोग कभी मालिक नहीं बन पाते और हमेशा दबाव में रहते हैं। इन्हे बात बात पर ताव यानि क्रोध भी आता है।

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