पत्नी का पिता स्वसुर और प्रेमिका का पिता को असुर कह सकते हैं। क्योंकि प्रेमी का कभी भी गर्लफ्रेंड के बाप से सुर में सुर नहीं मिलता।
प्रेमिका के फादर को महिषासुर कहने से कुछ अनादर हो सकता है। वो कभी आपको आदर नहीं देगा। चाहें उसे आप कितना ही सादर प्रणाम करें। आपको चादर उड़ाकर मुक्तिधाम में मरा देखना चाहेगा।
बाप अगर ब्लागर होगा, तो क्योरा पर सवाल पूछ कर अथवा ज़बाब देकर ज्ञान का सागर भर देगा।
पावरफुल प्रेमिका ही ऐसे बाप को राजी कर सकती है और नहीं कर पाती, तो फिर यही बात होगी कि मियां बीबी राजी, तो क्या करेगा काजी। फिर पाजी वकील भी बाप के विरोध में अपना पक्ष कोर्ट में रखता है।
एक बार जब कानून से हरी झंडी मिलने के बाद निरोध का उपयोग बंद हो जाता है।
हौद में प्यार की गर्मी के कारण किसी को भी परिवार, संस्कार का बोध नहीं रहता और पिता भी कुछ दिनों तक क्रोध करके शांत हो जाता है।
समाज के शोध करने वालों को भी चर्चा का मौका मिल जाता है।
गर्लफ्रेंड से शादी करने के बाप असुर रूपी बाप स्वसुर बनकर सम्मान करता है। जमाई की यदि ज्यादा कमाई हो या बहुत पैसे वाला हो, तो कुछ बाप ऐसे भी होते हैं कि दामाद के खुर भी चाट लेते हैं।
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