परमात्मा या धन, दौलत, सम्पदा, सिद्धि, समृद्धि चमत्कारों से नहीं आती। प्रचण्ड प्रयास ओर मेहनत से आती है।
- अमृतम पत्रिका यह आर्टिकल आपके अंधकार, अज्ञानता का नाश कर सारा भय भ्रम मिटाकर आंखे खोलने में मदद करेगा।
परमात्मा के बारे में विशेष 24 बातें आपका दिमाग खोल सकती हैं।
- ऐसा प्रश्न स्वाभाविक है, क्योंकि परमात्मा के संबंध में हमने जो धारणाएं बना रखी हैं, वे बड़ी बचकानी हैं।
- कथा वाचकों ने हर इंसान को भगवान से बहुत दूर कर दिया। अगर खोजें, तो भोलेनाथ हमारे अंदर ही वास कर रहे हैं।
- कोई आकाश में बैठा हुआ चला रहा है सारे जगत को! ऐसी हमारी व्यक्तिगत–अनेक-अनेक तरह की धारणाएं हैं कि परमात्मा व्यक्ति है।
- दिमाग से भय भ्रम मिटाकर केवल एक बात याद रखों कि संसार सृष्टि की सारी वस्तुओं के इस सारे जोड़ का नाम परमात्मा है ओर उस जोड़ का रातिक शिवलिंग है। सब कुछ शिवलिंग से ही प्रकट होत है और अंत में उसी में समा जाता है।
- शिवलिंग के नीचे जो जलहरी है वह शक्ति है। परमात्मा तो समग्र के जोड़ का नाम है। यह जो सारा अस्तित्व सब देख रहे हैं वही ईश्वर है और देखने वाला प्राणी ईश्वर का प्रतिरूप।
- परमात्मा व्यक्ति नहीं है; परमात्मा या यह सारा वविश्व अलग-अलग खंड-खंड तो नहीं है– इतना तुम्हें भी समझ में आता है। एक दूसरे से सब जुड़ा है।
- हर एक चीज दूसरी चीज से जुड़ी है। अगर जुड़ी न होती, तो हम बिखर गए होते, गिर गए होते। चांद-तारे जुड़े हैं। सूरज पृथ्वी जुड़ी है।
- वृक्ष जमीन से जुड़े हैं। हम जमीन से जुड़े हैं; हम हवा से जुड़े हैं। हवा से सारे पशु-पक्षी जुड़े हैं। हम सूरज से जुड़े हैं। सूरज से सारे वृक्ष जुड़े हैं। । क्योंकि वृक्ष पूरे समय ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ताड़ी वे प्राणवायु न छोड़ें, तो सब इंसान समाप्त हो जाएंगे।
- हम सब एक दूसरे से जुड़े हैं; हम सब एक साथ हैं। हममें से कोई भी अकेला नहीं हो सकता।
- अगर जमीन पर एक भी वृक्ष न रह जाए, तो आदमी भी -तुम जो श्वास से कार्बन डाइआक्साइड छोड़ते हो, पेड़ उसको पी जाते हैं और उसको पीने के बाद शुद्ध कर के ऑक्सीजन बना कर छोड़ देते हैं। उस ऑक्सीजन को तुम पीते हो; वह तुम्हारा जीवन है।
- अब यह बड़े मजे की साझेदारी चल रही है! वृक्ष तुम्हारे लिए हवा तैयार कर देते हैं; तुम वृक्षों के लिए हवा तैयार कर देते हो। तुम्हारे बिना वृक्ष भी न जी सकेंगेऔर मनुष्य मर जाएं, तो सभी वृक्ष मर जाएंगे; क्योंकि उनके लिए फिर कोई कार्बन डाइआक्साइड बनाने वाला न होगा।
- वह वृक्षों का भोजन है; कार्बन उनका भोजन है। इसलिए तो बन जाता है; कोयला यानी कार्बन वह उनका भोजन है।
- जब हम लकड़ी को जलाते हैं, तो कोयला बन जाता है।
- हमारा भोजन है ऑक्सीजन, उनका भोजन है कार्बन। आपस में वृक्ष ओर इंसान की गहरी मित्रता है।
- ! इसलिए तो वृक्षों के पास जाकर तुम ताजा अनुभव करते हो, क्योंकि वहां ताजी हवा है।
- पहाड़ जाकर एक तरंग आ जाती है, स्वच्छता आ जाती है। वृक्ष की हरियाली को देख कर ही आंखें तृप्त होने लगती हैं। क्या हो जाता है ?
- यह कुछ ऊपर की हरियाली की ही बात नहीं है। वृक्ष के पास ताजी हवा है, स्वच्छ हवा है, जो तुम्हारा प्राण है।
- हम वृक्ष से जुड़े हैं; वृक्ष जमीन से जुड़ा है। और हमारी भी जड़ें दिखाई नहीं पड़तीं, लेकिन हम भी जमीन से जुड़े हैं।
- जमीन के बिना तुम न हो सकोगे। जब तक जमीन जैसी स्थिति न हो किसी चांद-तारे पर, तब तक वहां कोई जीवन नहीं हो सकता। ठीक जमीन जैसी स्थिति होनी चाहिए, तो ही जीवन हो सकता है। यह बड़ा जाल है जीवन का ।
- इतने चांद-तारे हैं, लेकिन भोजन तुम करते हो, वह मिट्टी है। चाहे फल, चाहे गेहूं, चाहे शाक-सब्जी- वह सब मिट्टी है; वह सब मिट्टी से आ रहा है और इसलिए एक दिन फिर तुम जब मर जाओगे, तो मिट्टी में गिर जाओगे; मिट्टी मिट्टी में मिल जाएगी।
- आज तुमने सुबह नाश्ता किया फलों का। लेकिन तुम्हें पता है– एक दिन तुम जमीन में गिर जाओगे और वृक्ष तुम्हारा नाश्ता करेंगे! वे तुम्हें चूस लेंगे–तुम्हारा रस।
- भगवान शिव का सीधा सा नियम है, जो भी आप प्रकृति से ले रहे हो, उसे वापस भी करना पड़ेगा। यह हम पर शिव कल्याणेश्वर का कर्ज है।
- ईश्वरोउपनिषद की एक बात और ध्यान रखें कि पाप की कमाई से किया गया कोई भी धर्म, दान आदि का लाभ हमेशा पीड़ित व्यक्ति को मिलता है, जिससे दगा या बेईमानी की होती है।
- शिवलिंग पर बेलपत्र, पुष्प या शमी पत्र कुछ भी अर्पित करने का फल तभी मिलेगा, जब अपने वृक्ष लगाए हों अन्यथा जिसने भी ये वृक्ष लगाएं हैं, लाभ उसको मिलेगा।
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