जबरदस्त व्यंग्य-समझाइश देता-ब्लॉग
फ्रेंडशिप डे (मित्र-दिवस) पर नमन
हर वर्ष अगस्त माह का
“पहला रविवार”
दुनिया में “दोस्तों का दिन”
के नाम से विख्यात है।
अमृतम परिवार के सभी पाठकों,
मित्रगणों,सहयोगियों को
“मित्र दिवस” फ्रेंडशिप डे”
की शुभकामनाएं !
इस भावना के साथ कि-
मित्र का चित्र-चरित्र, हमेशा इत्र
की तरह महकता रहे।
दिल से दोस्ती रखने वाले दोस्त का दर्द…
तुम हो तो बसंत…
नहीं तो बस…अंत..
दोस्त चार तरह के होते हैं-
[1] पेट के यानी खाने वाले
[2] चपेट के अर्थात कंजूस
[3] ठेठ के यानी स्वार्थी।
[4] समेट के मतलब पंच टाइप के दोस्त।
ये केवल सबकी समेटते रहते हैं। इन लोगों
को आपस में समझौता करने-कराने में मजा आता है।
साथियों को शत-शत प्रणाम…
हमारी भी जय-जय, तुम्हारी भी जय-जय।
न तुम हारे, न हम हारे….
¶~ बचपन के यार को प्यार,
¶~ जवानी के दोस्तों को नमस्कार,
¶~ हार्दिक शुभकामनाएं उन मित्रों को,
जो जवानी में हसीनों के और अब बुढापे में हकीमों के चक्कर काट रहे हैं।
¶~ हसीन ओर मशीन के जानकारों को भी सादर अभिवादन।
¶~ बुढ़ापे के साथी, मित्रों को प्रणाम।
¶~ और उन फ्रेंड् को नमन जिन्होनें
कभी दोस्ती का ट्रेंड नहीं बदला।
¶~ उन फ्रेंड को भी फ्री माइंड से आदाब, जो
नाग की तरह दूसरों की नागिन पर नजर रखने वाले नागों को नमन।
दोस्तों की सलाह में समझदारी से काम लें– वो जब मिलती, तो कहती-
आदाब-आ, दाब..…
दोस्त के कहने पर मैंने एक दिन दोनों दबा दिए, तो गुस्सा हो गई। मेरी गाड़ी का हेंडल तुड़वाकर, शेन्डिल अलग से मारी।
कहा गया है कि-
परनारी पैनी छुरी तीन ठौर से खाये
धन छीने, यौवन हरे, मरे नरक ले जाए।
हिंदी साहित्य के सबसे प्राचीन ग्रंथ
भाषा शब्दकोश में “मित्र” को
सखा,साथी,सहायक, संगी,
दोस्त, शुभचिंतक कहा है ।
12 आदित्यों में से एक मित्र भी है ।
सूर्य नमस्कार के समय
।।ॐ मित्राय नमः।।
कहकर सूर्य को मित्र मानकर
प्रणाम किया जाता है ।
49 मरुद्गणों में प्रथम वायु को
भी “मित्र” कहते हैं ।
आर्यों के प्राचीन देवता
“मित्र”नाम से विख्यात हैं ।
श्री रामचरितमानस में कवि तुलसीदास
ने मित्रों के लिए लिखा है कि-
धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी।
आपत काल परखिये चारी।।
इन्हें बुरे समय में परखना चाहिए।
अनेक दोस्तों हेतु कहा-
“कोटि मित्र शूल समचारी”
हिंदी साहित्य की एक पुरानी पुस्तक
“यारों के यार” में लिखा –
“यार वही, दिलदार वही,
जो करार करै औ करार न चूके ।
“यारी”के लिए लिख गये-
को न हरि-यारी करै,
ऐसी हरियारी में ।।
संगी साथी के बारे में कहा-
अजब संगदिल है,
करूँ क्या खुदा ।।
पत्थर दिल महिला मित्रों के लिए,तो
इतना तक लिख दिया कि-
संग दिल को संग लेकर,
संग दिल के संग गए ।
जिनका दिल था संगमरमर
उनके “संग,मर-मर” गए“।।
दोस्ती, यारी प्रेम, इश्क, मोहब्बत
जीवन में बहुत जरूरी हैं
पर पूरी नहीं,अधूरी ठीक है ।
इसमें कहीं न कहीं खटास
आ ही जाती है ।
शायद इसका कारण ये भी
हो सकता है कि-
“प्यार” का पहला अक्षर,
“इश्क” में दूसरा अक्षर
और
“मोहब्बत” में तीसरा अक्षर अधूरा है।
फिर… ज्ञानियों के लिए कहा-
ढाई अक्षर प्रेम का,
पढ़े सो पंडित होये।
कोरोना वायरस का मतलब है
करो-ना, जो वर्षों से चल रहा है।
लेकिन कुछ करना नहीं है।
अन्यथा 14 फरबरी का रोज डे पर रोजगार पर ध्यान देवें। इसको यदि सेज डे बनाया, तो ठीक 9 महीने बाद 14 नवम्बर को बाल दिवस पर तुम्हारे बाल मुड़वा देगी। परेशान कर देगी।
दोस्त की शादी हो जाये, तो वह
शादी से पहले गर्म जोशी में
कुछ दिनों तक मदहोशी में
अंत में खामोशी या बेहोशी में रहता है।
कुछ दोस्त, दोस्ती यारी में
भिखारी होकर लिखते हैं-
तुम्हारी गली से गुजरते,तो कैसे
तगड़ी उधारी है,तुम्हारी गली में ।
मोहब्बत की कैपिटल लुटाते-लुटाते,
भिखारी हो गए,तुम्हरी गली में ।।
आधुनिक यारी का ये हाल है कि-
चले,तो चाँद तक
न चले,तो शाम तक ।
कुछ, तो दिल लगाकर
प्रेम के कारण “फ्रेम” में नजर आते हैं ।
इतना भी किसी प्यारी से यारी
मत करो कि मरना पड़े ।
ये तकनीक का जमाना है।
पहले प्यार में तनिक लीक
होते ही पिटना पड़ता था ।
ऐसी मार पड़ती थी कि
बुखार आ जाता था ।
हीर-राँझा,
लैला-मजनू
जैसी यारी मत करो,
तब मार लैला को पड़ती, तो
दर्द मजनू को होता था ।
फिर वैसा प्रेम-प्यार आज की युवा पीढ़ी
कर भी नहीं सकती,क्योकि
मोहब्बत का आनंद तो
परिवार,समाज
की सख्ती में है ।
आजकल टेक्नोलॉजी वाली
मोहब्बत कुछ इस तरह की हो गई है-
कि कल रात मेरा
सोना हराम हो गया,
पानी में वो भीगी,
मुझको जुकाम हो गया ।
मेरे प्यार का कैसे
इजहार हो गया,
मच्छर ने उसको काटा,
मै बीमार हो गया ।
नारी से यारी हो जाए, तो-
कुछ मसखरे कहते हैं-
मोहब्बत’ के ‘पटवारी’
को जानते हो क्या
मुझे मेरा ‘महबूब’
अपने ‘नाम’ करवाना है !
अभी बहुत कुछ है लिखने को
पढ़ने के लिए
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हिन्दूस्थान की हिन्दी,
भारत की मातृभाषा
बहुत ही अद्भुत,आत्मीय भाषा है ।
इसका सम्मान करें ।
हिन्दी को प्रणाम करें ।
हिन्दी प्यार औऱ यार की भाषा है ।
व्यापार की नहीं ।
हिन्दी साहित्य के परम् विद्वान,
आलोचक श्री रामचन्द्र शुक्ल
मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म
बताते हुए लिखते हैं कि –
हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में
रहना चाहिए,
जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो।
हमसे अधिक ज्ञान हो, विद्वान हो ।
हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना
चाहिए जिस तरह “सुदामा ने श्रीकृष्ण”
का पकड़ा था।
मित्र हों तो प्रतिष्ठित, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों,
एवं शुद्ध ह्रदय के हों। मृदुल और पुरूषार्थी हों !
जिससे हम अपने को, परिवार को उनके
भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सके कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा।”
दोस्त का मतलब-
दोस्त का एक दूसरे में अस्त होना
ही सच्ची दोस्ती है। जब दो लोग
आपस में मस्त व अस्त होने लगे,तो
समझो ये पक्के दोस्त हैं।
क्या कहता है अमृतम आयुर्वेद-
आयुर्वेद की दृष्टि से स्वास्थ्य है,तो
सौ हाथ हैं । बुजुर्ग कहते थे कि
हमारे दोनो हाथ सबसे बड़े मित्र हैं
जिन्हें,जब चाहो मिला लो ..
और फिर ….
“अपना हाथ-जगन्नाथ”
इतना,तो सुना ही होगा ।
स्वास्थ्य हमारा सबसे बड़ा मित्र है, दोस्त है।
अनेक लोग दारू के कारण गहरे दोस्त बन जाते हैं-
थोड़ा गम मिला तो घबरा के पी गए,
थोड़ी ख़ुशी मिली तो मिला के पी गए,
यूँ तो हमें न थी ये पीने की आदत…
शराब को तनहा देखा,
तो तरस खा के पी गए।
स्वस्थ्य व्यक्ति के सौ साथी होते हैं ।
स्वास्थ्य और स्वस्थ जीवन से बढ़कर
दुनिया में कुछ भी नहीं है ।
आयुर्वेद की प्रसिद्ध कृतियाँ
1-चरक,सुश्रुत,वाग्भट्ट,
2-द्रव्यगुण विज्ञान,
3-आयुर्वेद से अमरता
4-आयुर्वेद ही अमृत है
5-स्वास्थ्य के सूत्र
6-अमृतम आयुर्वेद
आदि अनन्त ग्रंथों में
स्वस्थ्य तन,प्रसन्न मन
को प्रधानता दी गई हैं ।
संस्कृत की सूक्तियों, श्लोकों
का हिंदी अर्थ कुछ इस तरह समझाया है-
पहला सुख निरोगी काया,
दूजा सुख पास हो माया !!
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हिंदी के आलोचक रामचंद्र शुक्ल मित्रों के चुनाव को सचेत कर्म बताते हुए लिखते हैं कि – “हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो। हमें उनका पल्ला उसी तरह पकड़ना चाहिए जिस तरह सुग्रीव ने राम का पल्ला पकड़ा था। मित्र हों तो प्रतिष्ठित और शुद्ध ह्रदय के हों। मृदुल और पुरूषार्थी हों, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हों, जिससे हम अपने को उनके भरोसे पर छोड़ सकें और यह विश्वास कर सके कि उनसे किसी प्रकार का धोखा न होगा।
दोस्ती नाम है
शरारत का, मुस्कुराहट का,
उम्रभर की चाहत का।
दोस्ती एक अहसास है,
न भूल सको वो ख्वाब है।
कभी यादों में, कभी ख्वाबों में,
वो हर कहीं मिल जाता है।
कोई आए या ना आए,
दोस्त हर मुसीबत में
दौड़ा चला आता है।
दोस्ती जुनून है,
जिसे पाकर मिलता है
असीम सुख।
दोस्ती सुकून है,
जो हमें हर तकलीफ से
निज़ात दिलाता है।
दु:ख की तपन में दोस्त
शीतल बयार बन आता है।
कभी छेड़छाड़, कभी इकरार,
हर दिन की तकरार,
मगर दिलों में है प्यार।
दोस्ती इसी का नाम है सरकार।
दोस्ती में न टोको, न रोको..
बुजुर्ग बीड़ी पीते देख, पूछा लिया;
“बाबा, बीड़ी क्यों पीते हो? इससे फेफड़े खराब होते हैं, खांसी होती है।”
बुज़ुर्ग बोले! “मैं तो हुक्का भी पीता हूँ, कच्ची पक्की दारू भी और गुटका भी, नोन वैज भी, सब लेता हूँ।” फिर पूछा? “आपको कोई मना नहीं करता?”
बुजुर्ग ने बताया- “जो मना करते थे, वो सब मर गये……
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