!!अमृतम वचन!!
लक्ष्मी, पत्नी और माँ ये बहुत पछताते हैं जब उनके साथ यह होता है..
दौलत पछतानी जहाँ
धर्महुँ को लेश नहीं।
विद्या पछतानी घर नीचन के जायें से।
माता पछतानी सुत, कुल धर्म माने नहीं
पत्नी पछतानी अति मूर्ख पति पाये से।
रह्यति (प्रजा) पछतानी
जहां नृपत (राजा) से भय भयो
भावी (देवइच्छा) पछतानी
दुःख सज्जनहूँ सुनाए तें।
कहवैकूँ पुरुष जन कर्म करें नीचन के
देवी पछतानी ऐसे ढिढन में आये तें।
ये 200 साल पुरानी कहावतें हैं।
गाँव के अशिक्षित कभी इन कहावतों
से तंज कसा करते थे।
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!!अमृतम!!
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