★★ॐ★★★
!!हर-हर-हर महादेव!!
धिक्कार है….धिक्कार है!
शिवमहापुराण के अध्याय २३ में भस्म, त्रिपुण्ड के श्लोक का उल्लेख “भगवान विष्णु” ने स्वयं किया है-
धिम्भस्म रहितं भालं,
धिग्ग्राम-मशिवलय।
धिगनीशार्चनं जन्म,
धिग्विद्या-मशिवा-श्रया !!४५!!
अर्थात-
हिंदुओं के उस मस्तिष्क को धिक्कार है,
जो भस्म रहितं हैं, अर्थात जो लोग अपने माथे पर त्रिपुण्ड नहीं लगाते। ऐसे लोग हमेशा रोग-भोग के पाप और तीन तरह के तापों से घिरे रहते हैं।
उस गाँव को धिक्कार है,
जिस ग्राम में शिवालय नहीं है।
उस प्राणी के जन्म को धिक्कार है,
जो शिव की पूजा नहीं करता और उस विद्या या ज्ञान को धिक्कार है, जिसने
भगवान भोलेनाथ का आश्रय नहीं लिया।
आगे लिखा है कि.. एक मात्र महादेव ही हैं, जो बड़े से बड़े कष्टों का हरण कर देते हैं।
जीवन में स्थाई आनंद, सुख-सम्पदा की कामना हो, तो सावन के महीने में शिंवलिंग पर रुद्राभिषेक अवश्य करें।
महर्षि अगस्त्य के अनुसार..
संसार के सारे भय-भ्रम दुुःख
महादेव की उपासना से मिट जाते हैं।
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