- सिरदर्द के कारण याददाश्त कमजोर होती है?तन तन्त्र का सीधा असर मानव मस्तिष्क पर होता है। इस कारण दिमाग की नाड़ियां या सेल क्रियाहीन होकर शिथिल होने से तन-मन विचलित होने लगता है। याददाश्त कमजोर हो जाती है ।
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- आरोग्य प्रकाश और आयुर्वेदिय क्रिया शरीर पुस्तकानुसार सिर ही सारी बीमारियों की जड़ है। रोग कोई भी हो, सर्वप्रथम मस्तिष्क में अनुभव होता है। असंख्य बीमारियां सिर में सोचने से उत्पन्न होती हैं।
सिरदर्द आज सारे संसार की सबसे विकराल समस्या है माधव निदान शास्त्र के मुताबिक अधिक सोने, आलस्य, सुस्ती और कभी नींद पर्याप्त न होने से भी सिरदर्द बना रहता है। आइए जानते हैं सिरदर्द भव्य भ्रम विकार की वजह, लक्षण और धार्मिक, आयुर्वेदिक उपचार से जुड़ी जानकारी।
शिर:शूल के पनपती हैं अनेक बीमारियां
- सिरदर्द, अवसाद, तनाव, भय भ्रम आदि मानसिक विकारों की प्राकृतिक, अध्यात्मिक, आयुर्वेदिक चिकित्सा यदि ठीक वक्त पर नहीं की जाए, तो यह कई दूसरे मानसिक और शारीरिक विकारों को जन्म दे सकता है।
- जैसे मनोरोग या मनोदशा बिगड़ना (बाइपोलर डिसऑर्डर), मनोविकृति (डेमेंटिया या सिजोफ्रेनिया) आदि। इन बीमारियों के दौरान व्यक्ति असल में उन चीजों को सच मान लेता है, जो सच हैं ही नहीं।
- अध्यात्मिक ज्ञान से भरपूर यह लेख हमेशा के लिए सिरदर्द के अलावा अनेक रोग दुर कर तंदुरुस्ती प्रदान करेगा।
- तन, मन मस्तिष्क के अनेकों रहस्यों को उजागर करने वाली यह जानकारी सभी को एकाग्रता से पढ़ना चाहिए।
- मन मस्तिष्क को मद मस्त और दिमाग के दुःख दर्द मिटाएगी यह जानकारी।
बुद्धिमान, ज्ञानी बच्चों की कामना से मां करती थी ये उपाय
- प्राचीन काल में बच्चों के सुखी, स्वस्थ्य जीवन के लिए समृद्ध परिवार की गर्भवती माताएं ब्राह्मी, अखरोट, तगर, शंखपुष्पी, जटामांसी, मालकांगनी, चंदन, हरड़ एवं आंवला मुरब्बा, स्मृतिसागर रस, स्वर्ण भस्म, प्रवाल पिष्टी,सारस्वतरिष्ट, वंग भस्म आदि आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित अवलेह/माल्ट, गोली का सेवन करती थीं।
आयुर्वेद के प्राचीन और प्रसिद्ध ग्रंथ
- वृन्दमाधव
- आयुर्वेद स्मृतियां
- निघण्टु भावप्रकाश
- भैषज्य रत्नाकर
- आयुर्वेद एक खोज
- आयुर्वेद अर्कप्रकाश
- सौन्दर्यलहरी
- मन्त्र महोदधि
- आयुर्वेद व स्मरण शक्ति
- मस्तिष्क तन्त्र विज्ञान
- आयुर्वेद फार्मूलेशन ऑफ इंडिया (AFI)
- आदि अनेक आयुर्वेदिक कृतियों में बताया है कि पाचन तंत्र के बिगड़ने से वायु, गैस बनती है। फिर सिरदर्द की समस्या तथा उदर की बीमारी तन के तन्त्र को कमजोर कर देती है।
भाग्योदय में सहायक होता है सिर
- अधिकांश व्यक्तियों को देखा होगा की जब कभी किस्मत, मुकद्दर, भाग्य, Luck, की बात आती है, तो वह अपना हाथ सिर पर ठोकते हैं या सिर पीटते हैं। परंपरागत भरोसा है कि मानव का मुकद्दर मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है।
हमारा शरीर-हमारी तक़दीर
- धार्मिक और वैज्ञानिक सत्य यही है कि मानव मस्तिष्क में ही हर इंसान का भाग्य छिपा होता है। सिरदर्द, माइग्रेन, डिप्रेशन, तनाव, मानसिक अशांति यह सब दिमागी बीमारियों के कारण लोगों का भाग्य अवरोध होकर व्यक्ति को दुर्भाग्य की खाई में गिरा देता है। भाग्योदय नहीं हो पाता है।
- आयुर्वेद में सिरदर्द/शिर:शूल नाशक दवाएं नीचे चित्र में देखें
सिरदर्द क्यों होता है
- जब शरीर में प्राणवायु पूरी तरह नहीं पहुंचती है, तो अक्सर सिरदर्द होने लगता है। सिरदर्द दूर करने का श्रेष्ठतम उपाय है -गहरी गहरी श्वास नाभि तक ले जाकर रोकें और धीरे से छोड़ें। जिन लोगों को सिर में दर्द रहता है उनकी सूर्य नाड़ी यानि दाईं (Right Nose) अक्सर बंद रहती है।
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- सिर दर्द से पीड़ित रोगी को हमेशा सीधी नाक से सांस लेकर सीधी से ही छोड़ना चाहिए। सारे संसार के शरीर, श्वास से ही चलायमान है।
- दुनिया में बीमार लोगों की संख्या बढ़ने की बहुत बड़ी वजह, लोगों का गहरी सांस न लेना ही है, इससे देह की सभी नाड़ी तंत्र, कोशिकाएं शिथिल होकर मृतप्राय: होने लगती हैं।
- ध्यान रखें भोजन से भी ज्यादा मनुष्य की सांसे होती हैं। सब रोगों की जड़ शरीर में ऑक्सीजन की कमी है।
- आयुर्वेद सहिंता के अनुसार जब श्वास शरीर के सभी हिस्से में नहीं पहुंच पाती, तो दिमाग सदैव अशांत रहकर सिरदर्द बना रहता है।
- शरीर में ऑक्सीजन की कमी से नींद नहीं आती, भय, भ्रम, चक्कर आना आदि परेशानी बनी रहती है। सूर्य की नियमित उपासना से सिरदर्द ही नहीं, डिप्रेशन, वातरोग आदि अनेक विकार दूर होते हैं।
- सिरदर्द या मस्तिष्क विकारों से पीड़ित ज्यादातर लोगों की सीधी नाक से सांस बहुत कम आती जाती है। एक तरह से बन्द ही रहती है।
सिरदर्द होने का धार्मिक कारण
आयुर्वेदिक ग्रन्थों में सिरदर्द की वजह लोभ, मोह, लालच, मत्सर आदि 7 विकार बताए गए हैं।
- क्रोध रोग, प्रेम रोग, बदनीयती रोग, द्वेष-दुर्भावना, जलन, कुढ़न आदि व्याधियों का कोई उपचार सृष्टि की किसी चिकित्सा पद्धति या पेथी में उपलब्ध नहीं है। यह स्वयं के मंत्र जाप, योगाभ्यास तथा ध्यान, तप तथा आयुर्वेदिक उपचार द्वारा ही मिटते हैं।
अमॄतम- करे रोगों का काम खत्म
- सुश्रुत संहिता में आयुर्वेद को अथर्ववेद का उप-अंग कहा गया है-अथर्ववेद मानव की उत्पत्ति से भी पहले उपजा होने के कारण- हिन्दू धर्म के चारों वेदों में यह चौथा पवित्र ग्रन्थ है। इसमें गृहस्थ-आश्रम अर्थात वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी, परिवार का पालन, कर्त्तव्यों विवाह के नियमों तथा मान-मर्यादाओं का उल्लेख है। इसे ब्रह्म वेद भी कहते हैं।
!!ये त्रिषप्ताः परियन्ति!!
- अथर्ववेद का प्रथम मंत्र है। अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का वर्णन होने से अथर्ववेद ने ही आयुर्वेद का विश्वास बढ़ाया।
- दिनोदिन दिमागी या शारीरिक परेशानी दूर करने के लिए तुरंत लाभ चाहते हैं। दवाई के अलावा अन्य कोई उपाय नहीं आजमाते। वेद में स्वस्तययन, व्रत, बलि, ध्यान, साधना, उपासना, मंत्र जाप, मंगल, होम, नियम, प्रायश्चित और उपवास। तंदुरुस्ती हेतु ये सभी विषय आयुर्वेद ग्रंथों ने बताए हैं।
!!मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना!! रोग इसलिए भी बढ़ रहे हैं।
आयुर्वेद का बिना अध्ययन किए थोथा, झूठा ज्ञान रखने वाले नीम हकीम जान खतरे में डलवा देते हैं। आयुर्वेद में चिकित्सा का आधार मात्र दवा नहीं, दुआ तप, योग भी है।
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- शारीरिक और मानसिक (आधि-व्याधि) दोनों प्रकार के रोगों से मुक्त रखने के कारण महर्षि चरक ने आयुर्वेद को जीवन शास्त्र बताया है। आयु की वृद्धि करने वाला वेद ही आयुर्वेद कहलाता है। वेद-आयुर्वेद के अनुसार सबका स्वास्थ्य, आत्मशक्ति पर आधारित है।
- शिव स्वरोदय के सत्रहवें श्लोक के अनुसार मानव शरीर पंचतत्व से बना है। देह में इन तत्वों के कम या ज्यादा होने से वैसी ही पीड़ा पनपने लगती है अर्थात रोग उत्पन्न होने लगते हैं।
पंचतत्व का संतुलन भी जरूरी है
- अग्नि तत्व की कमी से चिड़चिड़ापन, क्रोध, सिरदर्द, माइग्रेन, मानसिक अशान्ति, नींद न आना, अनिंद्रा, भूख, प्यास, आलस्य, शरीर का तेज, पाचनतन्त्र की खराबी और शरीर का तापमान का एहसास किया जाता है।
- आकाश तत्व कम होने से काम, क्रोध, मोह, लोक, लज्जा, खालीपन, अवसाद, डिप्रेशन, आत्महत्या के विचार, दुख, चिन्ता, जीवन से अरुचि आदि का ज्ञान होता है।
- ज्योतिष संहिता ग्रंथ के अनुसार यदि किसी मनुष्य के साथ ऐसा हो, तो कुण्डली/पत्रिका में केतु कमजोर दर्शाता है। केतु आकाश तत्व और पितृदोष का कारक ग्रह है। राहु-केतु विषय पर पूरा एक लेख अलग से दिया जाएगा।
- पृथ्वी तत्व मानव शरीर में अस्थि/हड्डियों की कमजोरी, ग्रंथिशोथ या थायराइड,, त्वचा/स्किन, मासपेशियां, नाखून, केश का प्रतिनिधत्व करता है।
- जलतत्व से रक्त, मल, मूत्र, मज्जा, पसीना, कफ, लार का प्रतिनिधत्व पता चलता है।
- वायुतत्व का कार्य है-सिकोडना, फैलना, चलना, बोलना, धारण करना, उतारना, चिन्तन, मनन, स्पर्श, का ज्ञान होता है। जब शरीर में वायु तत्व की रुकावट होने से भुंकार वात रोग, लकवा, पैरालाइसिस, थायराइड आदि की गंभीर समस्या उत्पन्न होने लगती है
- इन पंचमहाभूतों की महानता और फायदे के बारे में बताना लाखों शब्दों में सम्भव नहीं है। ऐसे दुर्लभ रहस्य पढ़ने के लिए अमॄतम पत्रिका का ऑनलाइन अध्ययन करते रहें।
- बीमारी की वजह भगवान के इसी ज्ञान-विज्ञान के मुताबिक सम्पूर्ण चराचर जीव-जगत एक दूसरे के पूरक घटक बनकर आपस में जुड़े हैं। यदि इन पंचमहाभूतों का संतुलन बिगड़ जाता है तो हमारे अंदर भिन्न-भिन्न प्रकार के विकार उत्पन्न होने लग जाते हैं।
विश्व में विश्वास पर बल देते हुए लिखा:-
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्।
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।।
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- अर्थात-हे भोलेनाथ! मेरी छोटी सोच मिटाकर, तन-मन में लोच (बड़प्पन) पैदा करो। “अपना-पराया” यह विचार छोटे मन एवं बुद्धि वालों का है। उदार चरित्र वालों के लिए, तो पूरी पृथ्वी ही परिवार है। विश्व भर में सदा से बाबा विश्वनाथ के विश्वास का ही डंका बजता रहा है। अतः स्वस्थ रहने के लिए शिव को साधो।
सन्सार स्वांसों का खेल है
भगवान ने सबको सांस दी है, जब तक श्वासा, तब तक आसा!! -92 करोड़ साँसों का गणित जानने के लिए अमृतम पत्रिका गुगल पर सर्च करें http://amrutam.co.in
अमॄतम-क्यों करता है-रोगों का काम खत्म…
- अमॄतम दवाएँ वैदिक परम्पराओं से निर्मित की जाती है। उन्हें मन्त्रो से सम्पुट कर ऊर्जावान बनाया जाता है, ताकि रोगी के रोगनाश के साथ-साथ उसका मन-मस्तिष्क भी मस्त-प्रसन्न और शान्त हो जाए।
- अमॄतम द्वारा आयुर्वेद की हजारों वर्ष प्राचीन पध्दति के मुताबिक संस्कारों से युक्त केवल शुद्ध जड़ी बूटियों के काढ़े से दवाइयों का निर्माण किया जा रहा है।
- अमृतम औषधियों में किसी भी प्रकार एक्सट्रेक्ट नहीं मिलाया जाता क्यों इनमें काफी मात्रा में रसायनिक प्रिजर्वेटिव शरीर को अत्यधिक हानि पहुंचाते हैं।
- दवाई खरीदते वक्त ध्यान देवें अतः आयुर्वेद की किसी भी दवा को खरीदते समय उसके लेबल पर अगर फार्मूला एक्सट्रेक्स्ट युक्त हो, तो ऐसी दवाओं से हमेशा दूर रहें।
- वेद हो या आयुर्वेद इसमें तन-मन-अन्तर्मन और आत्मा के बारे में अनेक रहस्य भरे हैं। इन भारतीय पुरातन पुस्तकों में ज्ञान का खजाना दबा हुआ है।
- समुद्र मन्थन में निकले 14 रत्न समाधिस्थ शरीर की चौदह विधुत धारायें/नाड़ियों की प्रतीक है।
- तंत्र महोदधी ग्रंथ में लिखा है कि हमारा शरीर भी समुद्र स्वरूप है। इसमें से भी ध्यान द्वारा 14 रत्न प्राप्त कर त्रिकाल दर्शी, मुनि, महर्षि बना जा सकता है।
- सूक्ष्म शरीर में प्रमुख प्राण-संचारिणी चौदह नाड़ियों के नाम इस प्रकार हैं…
- सुषुम्ना
- इड़ा
- पिंगला
- गांधारी
- हस्ति जिह्वा
- कुहू
- सरस्वती
- पूषा
- शंखनी
- वारुणी
- अलंबुषा
- विश्वोधरा
- यशस्विनी
- पयस्विनी
- उपरोक्त नाड़ियों का सीधा संबंध सिर से ही है, जो गहन साधना के दौरान जागृत हो जाती हैं। अवधूत या परमहंस सिद्धि पाने के लिए यही प्रक्रिया अपनाते हैं। पूर्व में बच्चियों के नाम भी इन्हीं में चुने जाते थे।
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- दर्शनोपनिषद में 72 प्रधान नाड़ियों को सरस्वती, कुहू, गंधारा, हस्ति, जिह्वा, पूषा, यशस्विनी, विश्वोदरा, वरुणा, शंखिनी, अलंबुषा आदि नाम दिए गए हैं और उनके भीतर काम करने वाली शक्ति धाराओं को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, पुषत्, वायु, वरुण, सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि आदि देवताओं के नाम से संबोधित किया गया है।
इनमें तीन प्रधान सिद्धि दायक नाड़ियाँ हैं –
- दृष्टि नाड़ियाँ (ऑप्टिक नर्व्स) यानि देखने की शक्ति। त्रिकालदर्शी ऋषि इससे सिद्धि प्राप्त करते हैं।
- श्रवण नाड़ियाँ (ऑडोटरी नर्व्स) इस क्रिया में साधक के कानों में चारो तरफ !!ॐ!! का गुंजायमान होता रहता है।
- घ्राण नाड़ियाँ (ऑल्फेक्ट्री नर्व्स) ध्यान द्वारा सूंघने की क्षमता से प्रकृति की हलचल का ज्ञान प्राप्त होता है।
देशी दवा से मिटाएं दुर्भाग्य
- आयुर्वेद २८ प्रकार की दिमागी दुःख, रोग दूर कर हमारी तकदीर बदल सकता है। क्योंकि तकदीर बदलने के लिए तजवीर या नित्य नवीन खोज, नई सोच की जरूरत है।
- नया आईडिया ही अब- इंडिया या भारत के बाहर आपको पहचान दिला सकता है, इसके लिए मस्तिष्क का दुरुस्त रहना जरूरी है।
- कैसे मिले सफलता इसके लिए बहुत तेज़-तर्रार दिमाग जरूरी है। अच्छी याददाश्त वाला व्यक्ति ही बादशाहत पाता है। इन सबकी प्राप्ति के लिए तत्काल ब्रेन की गोल्ड माल्ट & टैबलेट 3 से 6 माह तक निरन्तर लेना जरूरी है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट के 19 चमत्कारी लाभ
19 Magical Gains of Brainkey Gold Malt
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- यह एक प्रकार का अवलेह है, जो कई तरह के मुरब्बे, मेवा-मसालों, प्राकृतिक जड़ीबूटियों के काढ़े से निर्मित है।
सभी सिरदर्द दूरकर दिमाग को तेजी से तेज करता है
- यह दुनिया का पहला हर्बल जैम है, इसे आयुर्वेद में माल्ट कहा जाता है। ब्रेन की गोल्ड माल्ट मन-सिरदर्द, डिप्रेशन, डिमेंशिया आदि की समस्या से निजात दिलाता है।
- मस्तिष्क को मद-मस्त,प्रसन्न पूरी तरह शान्त रखने वाली स्मृति वर्द्धक हर्बल दवाई है, जो अतिशीघ्रता से याददाश्त वृद्धिकारक है ।
तकदीर की तासीर
- सृष्टि के आरम्भ से आज तक स्वस्थ्य शरीर को ही “तकदीर” कहा गया । वर्तमान में जिसका स्वास्थ्य अच्छा है वही भाग्यशाली है। जीवन में सफलता,समाज में प्रतिष्ठा, परिवार में पकड़, दैनिक नियम-धर्म का मुख्य आधार स्वस्थ शरीर है ।
आयुर्वेदानुसार शरीर का धर्म
- तन-मन को स्वस्थ्य-पवित्र बनाये रखना, अपने कर्तव्यों को निभाना तथा प्रकृति के हिसाब से चलकर स्वयं को सदा स्वस्थ बनाये रखना, हमेशा हँसते-मुस्कराते रहना, सबको खुश रखना, किसी का दिल न दुखाना, द्वेष-दुर्भावना रहित होना, किसी का हक न मारना, सभी के प्रति दयाभाव रखना आदि इन सबको आयुर्वेद, यूनानी सहित सभी चिकित्सा ग्रंथो में तन-मन का कर्म व धर्म बताया गया है ।
- धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष इन चार पुरुषार्थो में इसलिए ही धर्म सर्वप्रथम है। सबसे पहले ये समझें कि स्वस्थ्य-तंदरुस्त कैसे रह सकते हैं?
- स्वस्थ रहना ही धर्म है –अच्छा स्वभाव, सद्गुण होना स्वस्थ शरीर की पहली आवश्यकता है। प्रमुख सद्ग्रन्थ “गीता” में कहा कि
।।धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।।
अर्थात मानव तन-मन,मस्तिष्क कुरुक्षेत्र है, इसमें सदा युद्ध (महाभारत) चलता ही रहता है। इस कारण स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं।
- आयुर्वेदिक योग चंद्रिका ग्रंथ के मुताबिक सिरदर्द आदि मस्तिष्क या मनोरोग , मनःस्थिति/मानसिक मनोदशा के बिगड़ने से होते हैं।
- सृष्टि के सभी धर्मों में मन की गति सर्वाधिक बताई है। मन में अमन की कमी तन का पतन कर देती है।
- अतः खुश रहने तथा तंदरुस्ती हेतु ऐसे जतन (प्रयास) करें कि मन प्रसन्न रह सकें। मन के खराब होने से मानसिकता विषैली हो जाती है ।
क्यों जरूरी है ब्रेन की गोल्ड माल्ट-
- काम की अधिकता से थकान
- रात दिन की भागमभाग,
- विपरीत जीवन शैली
- अनियमित खानपान,
- न समय पर सो पाना,न जागना,थकान,
- हमेशा पेट खराब रहना,
- भूख न लगना
- पाचन तन्त्र की खराबी,
- लंबे समय तक कब्जियत का बना रहना ।
- मेटाबोलिज्म का दिनोदिन बिगड़ना,
- लगातार चिन्ता, तनाव,
- नकारात्मक विचारों का आवागमन होते रहना
- ज्यादा एलोपैथिक दवाओं का सेवन,
- लम्बे समय तक भूखे रहना,
- शरीर में गर्मी रहना,
- पितृदोष की परेशानी
- यौन समस्या, नपुंसकता की चिंता
- शारीरिक अतृप्ति,
सेवन करने का तरीका
- इत्यादि इन सब आधि-व्याधि की बर्बादी से बचने के लिए ब्रेन की गोल्ड माल्ट/Brainkey Gold Malt सुबह खाली पेट और रात को खाने से एक घंटे पूर्व नियमित 1 से 2 चम्मच गुनगुने दूध से 3 महीने तक लगातार सेवन करें।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट के फायदे
- सिरदर्द से उत्पन्न अवसाद या डिप्रैशन,
- बार बार भूलने की आदत,
- मानसिक क्लेश या मन दुखी रहना
- हीनभावना,
- आत्मविश्वास में कमी,
- अनिद्रा,भय-भ्रम, चिंता-तनाव,
- याददास्त की कमी,
- काम में मन न लगना,
- बच्चोँ का पढ़ाई में मन नहीं लगना उपरोक्त सभी समस्याओं का समाधान करने में यह हर्बल ओषधि पूरी तह सक्षम है।
- तीन महीने के लगातार उपयोग से आप जीवन में विशेष परिवर्तन का अनुभव करेंगे। एक बार के पढ़ने या समझने से याद होने लगेगा।
दिमाग की डिम आग को प्रज्जलित करने में लाभकारी ब्रेन की गोल्ड माल्ट (अवलेह) या जैम के रूप में यह पहली हर्बल मेडिसिन है।
मन और गणित
- गणित के हिसाब से एक मन 40 किलो का होता है। पहले कभी सदा प्रसन्न रहने वाले, मनमौजी लोग कहा करते थे कि वजन के हिसाब से 2 मन मिलने से या,तो 80 किलो होता है या फिर, विवाह होता है।
विवाह सफल, तो जीवन चमन हो जाता है, तो तन-मन को अमन मिलता है, लेकिन मानव-मन, वजन रहित होने के पश्चात भी सदियों से सृष्टि में तहलका मचा रखा है ।
मन-मस्तिष्क की मरम्मत करें
मन के अमन हेतु ज्ञानी गण ज्ञान देते हैं कि-
मन के ‘मत’ से मत चलियो, ये जीते जी मरवा देगा।विश्वप्रसिद्ध ग्वालियर के तानसेन समारोह में कभी एक संगीतकार मन के लिए बड़े मन से-मोह-राग रहित होकर, कोई राग गा रहे थे, जिसका मुखड़ा था कि-
अरे मन समझ-समझ पग धरिये,
इस जीवन में कोई न अपना परछाईं सौं डरिये।
रिश्ते-नाते,कुटुंब-कबीला
इनसे ‘नेह’ न धरिये।। अरे मन…………
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- वेद वाक्य है-संकल्प शक्ति से ही मन काबू में किया जा सकता है, इससे बढ़कर कुछ भी नहीं है। मनः संकल्प शक्ति
भक्त रैदास कहते हैं-
“मन चंगा, तो कठौती में गंगा“
कठौती अर्थात जिस चमड़े में चर्मकार पानी भरकर रखते है ।सार तत्व यही है कि तन-मन स्वस्थ है,तो चमड़े के पात्र में भी गंगा है। तभी,तो कहावत है कि
मानो, तो मैं गंगा माँ हूँ, न मानो, तो बहता पानी।
फिर,मन के लिए कबीरदास जी ने लिखा कि- मन स्वस्थ्य है,तो सब मस्त है। मलिनता रहित मन तीर्थ बन जाता है।
तीरथ गये,तो तीन जन,
चित्त,चंचल,चित्तचोर।
श्री तुलसीदास ने लिखा कि-
“मन माना कछु तुमहिं निहारी“
- समूचे ब्रह्मांड में बस मन ही एक ऐसा है जिसे जीव स्वयं नियंत्रित कर सकता है। मन ही मस्तिष्क को मस्त और तेज़ बना सकता है।
भिंड, मुरैना , ग्वालियर की ग्रामीण कहावत है-
मन-मन भावै, मुड़ी हिलावे।
कभी माला फेरने से भी मन कब्जे में आ जाता है, कभी किसी का नहीं भी आता, तभी कहा- मन का मनका फेर के!
- अतः मन माना, तो पार है या नहीं माना या मनमाना किया, तो बेकार है। इसीलिए अमृतम ने मन-मस्तिष्क को मद-मस्त बनाये रखने मन की स्थिरता के लिए ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी, अखरोट, तगर युक्त ब्रेन की गोल्ड माल्ट व टेबलेट का निर्माण किया है।
पूर्णतःतनाव मुक्त कर, आयुर्वेद की ये सदियों पुरानी सिद्ध व सदगुणी जड़ीबूटियों/ओषधि मिलाकर बनाया गया है ।
- ब्राहमी, शंखपुष्पी,, जटामांसी, नागरमोथा,, भृङ्गराज अखरोट, बादाम, तगर, स्मृतिसागर रस
- ये सब स्मृतिवर्द्धक प्राकृतिक दवाएँ स्मृतियों को जिन्दा बनाये रखने में बेहद कारगर है और मेटाबोलिज्म, पाचन तंत्र को मजबूती देने हेतु इसमें
- आंवला मुरब्बा,
- सेव मुरब्बा,
- हरड़ का मुरब्बा
- गाजर मुरब्बा,
- बादाम पाक
- गुलकन्द
- अमलताश
सहस्त्रवीर्या आदि घटक द्रव्य दिमाग को तेज और ऊर्जावान बनाती हैं। याददाश्त, एकाग्रता बढ़ाकर मन-मस्तिष्क को खुश,प्रसन्न रखने में सहायक होती हैं।
क्यों फायदेमंद है ब्रेन की गोल्ड माल्ट
- पाचन तन्त्र को क्रियाशील बनाता है।
- अंदरूनी उदर रोगों का सर्वनाश करने में सहायक है।
- बहुत दिनों से बिगड़े हुए मेटाबोलिज्म ठीक करने में मददगार है।
- शरीर में बन रहे यूरिक एसिड नष्ट करने में हरड़, आंवला, सेव मुरब्बे महत्वपूर्ण ओषधि के रूप में प्राचीनकाल से प्रसिद्ध हैं। यह वात पित्त कफ को संतुलित करने वाली त्रिदोष, त्रिशूल नाशक भी है।
- गुलकन्द पित्त नाशक है। यह पाचनतंत्र प्रणाली को ठीक रखती है। मन मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करती है।
बादाम सिर के भारीपन को कम करता है
अखरोट और नगर गहरी नींद लाने में कारगर है।
- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, जटामांसी ब्रेन को तेज और शार्प करने वाली अमृतम आयुर्वेद की ख्याति प्राप्त सबसे विश्वशनीय ओषधियाँ है,जो ब्रेन की शिथिल, मरी हुई या क्रियाहीन कोशिकाओं को तत्काल जाग्रत कर दिमाग को ऊर्जा, एनर्जी, शक्ति, सकरात्मक सोच से लबालब कर देती हैं।
- याददाश्त बढ़ाने वाली यानि मेमोरी शार्प करने वाली इन जड़ीबूटियों को इसीलिये बहुत अध्ययन व अनुसन्धान के कारण ब्रेनकी गोल्ड माल्ट मिलाया गया है।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट से २० चमत्कारी कार्य
- यह पाचनतंत्र को ठीक करता है
- पेट एक बार में साफ होता है
- कब्जियत कभी नहीं होती
- नाड़ी संस्थान को क्रियाशील बनाता है
- भूख खुलकर लगने लगती है
- बल,बुद्धि,वीर्य वृद्धि में सहायक है
- मन-मस्तिष्क को शांति प्रदाता है
- दिमाग के मृतप्रायः सेल (Cell) जाग्रत करे
- शरीर को फुर्तीला व ऊर्जावान बनाता है
- दिमाग में हमेशा सुकून शान्ति देता है
- तन-मन को हल्का व प्रसन्न रखता है
- मष्तिष्क को तनाव रहित रखता है
- क्रोध,चिड़चिड़ापन नहीं होने देता
- बिगड़े हुए मेटाबोलिज्म को
- सुचारू रूप से संचालित करता है
- अवसादग्रस्त पीड़ितों को हितकारी है
- डिप्रेशन, डिमेंशिया हीनभावना मिटाता है
- आत्मविश्वास में वृद्धिदायक है
- दिमाग की गर्मी में राहतकारी है
- समय पर गहरी नींद लाना इसका प्रमुख्य कार्य है
- हमेशा रखे तरो-ताज़ा
- स्वस्थ-तंदरुस्त व फिट बने रहने के लिए इसे जीवन भर लिया जा सकता है। इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है। यह शुद्ध हर्बल ओषधि है, जो शरीर व दिमाग को हर-बल प्रदान करती है ।
- कमजोर दिमाग वालों को यह बहुत ही लाभकारी है। बुढ़ापे में याददाश्त मजबूत रखता है। इसे लेने कभी डिप्रेशन नहीं होता। इसे बिना किसी रोग,बीमारी के भी जीवन भर ले सकतें हैं।
ब्रेन की गोल्ड माल्ट अन्य सेवन विधि
- ब्रेड,रोटी,पराँठे पर जैम की तरह लगाकर भी लिया जा सकता है।
- जब ज्यादा सिरदर्द, तनाव या मानसिक अशांति या बैचेनी हो, तो तत्काल 1 से 2 चम्मच खाकर ऊपर से चाय,दूध या जल पी सकते हैं।
- बहुत ज्यादा भूख लगने पर भी इसे कभी भी जल के साथ लेने पर प्रोटीन, विटामिन व मिनरल्स की पूर्ति करता है, जिससे पाचन तन्त्र ठीक रहता है ।
- कब्ज के कब्जे से मुक्ति के लिए बहुत ज्यादा कब्ज होने या पेट खराब हो,तो सुबह खाली पेट दो चम्मच गर्म गुनगुने दूध के साथ दिन में 2 से 3 बार 7 दिन तक लगातार लेना चाहिए।
- तनाव, भयँकर सिरदर्द या माइग्रेन होने पर एक से दो चम्मच गर्म चाय के साथ लें।
परहेज सावधानी– स्वस्थ जीवन हेतु 10 काम न करें?
- रात को दही युक्त पदार्थ न लेवें ।
- रात्रि में फल, जूस, सलाद के सेवन से बचें
- सप्ताह में एक बार मूंग की दाल जरूर खाएं
- रात्रि में ज्यादा गरिष्ठ या तला भोजन न लें।
- रात को सोते समय पूरे शरीर को ढीला छोड़ें।
- सोते समय गंदे, चित्र, ब्लूफिल्म आदि न देखें।
- ॐ शंभुतेज्से नमः शिवाय का जप करते रहें।
- सुबह 2 से 5 किलोमीटर टहलना चाहिए।
- बिना स्नान-ध्यान के अन्न ग्रहण न करें, तो शरीर में विशेष ऊर्जा का संचार होता है तथा फुर्ती बनी रहती है। कभी बेचेनी महसूस नहीं होती।
- सुबह उठते ही कम से कम 3 से 4 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए और दिन भर में 5 से 7 लीटर पानी अवश्य पीयें।
आयुर्वेद के एक ग्रंथ “जल चिकित्सा” में बताया है कि अधिक पानी पीने से कभी चेहरे पर कील,मुहाँसे,दाग-धब्बे,झुर्रियां नहीं पड़तीं । बुढापा जल्दी नहीं आता। स्नायु तंत्र मजबूत होता है।व्यक्ति युवा बना रहता है ।
- पर्याप्त पानी पीने से महिलाओं को मासिक धर्म बिना किसी तकलीफ के समय पर होता है। पीसीओडी से छुटकारा मिलता है।
Brainkey Basket- Brainkey Gold Malt & Tablet
- ऑनलाइन उपलब्ध है।
MRP ₹ 2,248 (Inclusive of all taxes)
- Amrutam’s Brainkey Gold Malt contains Shankhpushpi, Brahmi, Jatamansi and Ashwagandha. One of the best herbal jams for your mental health, Brainkey Gold Malt helps in boosting immunity and improving memory and concentration. This health care malt by Amrutam also aids in fighting stress.
- Amrutam’s Brainkey Tablets boost your mental strength and improve your memory. These Medhya Rasayanas or powerful herbals – Brahmi, Ashwagandha and Chandi Bhasm helps cure vertigo, anxiety, headache, psycholepsy, and age-related memory loss.These tablets for mental health treat mental fatigue and improves mental concentration.
- How To Use Brainkey Gold Malt
- Mix one or two (100-200 gms) tablespoons of Amrutam’s natural malt for memory in milk or warm water and then consume twice a day.
- Brainkey Gold Malt is not advisable for diabetic patients.
- Should be taken as directed by your physician.
- Take one Brainkey tablet by Amrutam twice a day.
Benefits
- An Ayurvedic malt for mental immunity from Amrutam is beneficial in the treatment of anxiety disorders and mental fatigue.
- It is a 100% natural malt that helps to boost your mental strength, fight stress, improve concentration and enhance your memory.
- Brahmi improves IQ levels, as well as behavioural patterns and mental concentration in children. It is also a key factor in treating vertigo, anxiety, headache, psycholepsy, and age-related memory loss. It has antioxidant and neuroprotective properties to improve memory.
- Shankh Pushpi is considered one of the best Medhya Rasayanas (a rejuvenating herb) that strengthens the mind and builds mental immunity. Its properties are beneficial in balancing the three doshas.
- Jatamansi is known as a calming herb in Ayurveda, that improves learning and memory, besides imparting vigor and vitality to the body. The herb has the power to reduce stress and anxiety, and is effective in treating insomnia. It is used in strengthening the nervous system and in clearing Pitta, calming Vatta and reducing Kapha.
- Ashwagandha in Amrutam’s herbal jam for memory has anti-aging properties.
- Brahmi in Amrutam’s Brainkey Tablets has antioxidant and neuroprotective effects to boost memory.
- Shankh Pushpi is considered one of the best Medhya Rasayanas or powerful herbs to strengthen the mind.
- and build mental immunity. It is beneficial in balancing the tridoshas or the three doshas.
- Jatamansi calms the nervous system because of its tridosha balancing properties.
- Ashwagandha alleviates stress, boosts the immune system and has anti-ageing propertiesproperties.
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