स्वास्थ्य के बारे में आचार्यों के विचार
“ज्यों की त्यों धर दीन्ही चदरिया“ अभ्यास पहली आवश्यकता है । दूसरी बात है —– रुक गए,तो कुछ नहीं-– दृढ़ निश्चय-पक्का इरादा । “राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त” ने अपने संस्मरणों में लिखा है— मैंने साहित्य रचना शुरू की । मेरा निश्चय,दृढ़ सकंल्प था कि मैं साहित्यकार बनूंगा,पर मेरी कविताएं कोई छापने को राजी न … Continue reading स्वास्थ्य के बारे में आचार्यों के विचार
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