गुणकारी अंजीर लिवर और गुप्त रोगों में चमत्कारी है !!

खाने की मात्रा

  • २ से 3 नग दूध या जल में उबालक ही सेवन करें ! सूखे अंजीर खाने से मल कठोर होकर सूखने लगता है और बवासीर, पाइल्स की समस्या हो सकती है।
  • द्रव्यगुण विज्ञान के मुताबिक 1 या 2 अंजीर और 8 मुनक्के रात को 100 ml जल में भिगोकर सुबह उसमें 200 ml दूध मिलाकर आधा रहने तक उबालें। फिर अंजीर मुनक्का खाते हुए दूध पीते रहें। यही सर्वश्रेष्ठ तरीका है।

अंजीर के फायदे-गुण

  • अंजीर भारी, शीतल, मधुर, वातनाशक, रक्तपित्तहारी, रुचिकारी, पाक में मधुर, आमवात कारक, रुधिर विकार को दूर करता है।
  • यूनानी मत–पहली कक्षा में गर्म दूसरे दर्जे में तर है।

कुष्ठ रोग मिटाती है अंजीर की जड़

  • अंजीर की जड़ पौष्टिक तथा धवलरोग (श्वेत कुष्ठ) नाशक और दाद पर उपयोगी है।
  • श्वेत कुष्ठ में अंजीर के पत्तों के रस लगाने से उसका बढ़ना बंद हो जाता है।
  • यूरोप के अंदर इसके प्रलेप को फोड़े के ऊपर लगाते हैं। इसी प्रकार अंजीर श्वास, प्रदर इत्यादि रक्त के रोगों में यह फायदेमंद है।

अंजीर पथरी को दूर करने वाली मेवा है

  • अंजीर का फल मीठा, ज्वरनाशक, पौष्टिक, विषनाशक, सूजन में हितकारी और कमजोरी, लकवा, प्यास, यकृत वा तिल्ली की बीमारी वा सीने के रोगों को दूर करता है।

अंजीर रासायनिक संगठन विश्लेषण

  • ६२ % प्रतिशत अंगूरी शक्कर और बाकी निर्यास, बसा वा अल्ब्यूमिन और लवण का भाग होता है ।
  • अंजीर का वर्णन–यह उदुम्बर की जाति की वनस्पति है। वन उदुम्बर के वर्णन में इसको देखिए। इसके झाड़ अरब, ईरान, टर्की, अफ्रीका वा भारतवर्ष में पाये जाते हैं।

अंजीर वृक्ष ऊंचाई… ६-९ फीट होती है।

  • अंजीर के पत्ते, पत्र….कर्कश चौड़े, रोएदार, वटपत्रवत् होते हैं।
  • फारस के अंजीर प्रसिद्ध है। चनेदार भूमि में अधिक उत्तम फल इस वृक्ष का पाया जाता है।

खूनी बवासीर मिटाता है-अंजीर

  • बवासीर दो सूखे अंजीर, 4 मुनक्के शाम को पानी में भिगो देना चाहिए। सुबह-सबेरे दोनों दूध में मिलाकर उबालकर खाना चाहिए। ८ या १० दिन के प्रयोग से खूनी बवासीर को अच्छा करता है।

अंजीर दो प्रकार का होता है।

  • एक बोया हुआ, जिसके फल और पत्ते बड़े होते हैं और दूसरा जंगली, जिसके फल और पत्ते इससे छोटे होते हैं। यह वृक्ष ७ से ९ फुट तक ऊँचा होता है।
  • अंजीर तोड़ने से या चिरा देने से इसके हर एक अंग से दूध निकलता है। इसके पत्ते ऊपर की ओर से अधिक खुरदरे होते हैं और फल का आकार प्रायः गूलर के फल के समान होता है।
  • अंजीर के कच्चे फलका रंग हरा और पके हुए का रंग पीला या बैगनी और अंदरसे बहुत लाल होता है। यह फल बड़ा मीठा और स्वादिष्ठ होता है।

अंजीर की उपयोगिता-

  • रुधिर का जमाव-अंजीर लकड़ी की राख को पानी के अंदर घोलकर गाद के नीचे बैठ जाने के बाद उसका निथरा हुआ पानी निकालकर उसमें फिर वही राख घोल देना चाहिये, ऐसा सात बार करके राख घोल-घोलकर निथरा हुआ पानी पिलाने से रुधिरका जमाव बिखर जाता है।

श्वास में लाभकारी- अंजीर

  • अंजीर और गोरख इमली का चूर्ण समान भाग लेकर प्रात:काल ६ माशे की खुराक में खाने से दमे के रोग में लाभ होता है।
  • श्वेत कुष्ठ-सफेद कोढ़/दाग के आरम्भ में ही अंजीर के पत्तों का रस लगाने से उसका बढ़ना बंद होकर आराम होने लगता है।
  • गाँठ और फोड़े-सूखे या हरे अंजीर को पीसकर तथा जलमें औटाकर गुनगुना लेप करने से गाँठों तथा फोड़ों की सूजन कम हो जाती है।

सेक्स शक्ति वर्धक अंजीर

  • पौरुष शक्तिवर्धक-दो सेर सूखे अंजीर लेकर गरम पानी से दो या तीन बार धोकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े कर लेना चहिये।
  • फिर 4 बादाम की मगज और 5 मुनक्के एक साथ मिलाकर दूध में अच्छी तरह ऊबालें और सुबह खाली पेट BFeral Gold Malt और बी फेराल गोल्ड कैप्सूल के साथ 3 माह सेवन करें।
  • अंजीर के नियमित सेवन से क्षतिग्रस्त लिवर की मरम्मत हो जाती है। फेटी लिवर को संकुचित करने में अंजीर लाजवाब है।
  • अंजीर पांच प्रकार के गुप्त रोगों को जड़ मिटाता है। नया वीर्य का निर्माण करता है।
  • अंजीर (Ficus carica) अत्यन्त शीतल, तत्काल रक्तपित्तनाशक, सिर और खूनकी बीमारी में तथा कुष्ठ और नकसीर में लाभकारी है।

संस्कृत में अंजीर को–काकोदुम्बरिका फलम् कहते हैं।

  • हिंदी, गुजराती, मराठी और बंगला भाषा भी-अंजीर ही कहा जाता है।
  • किमरी फगवारा। ले०—फाइकस केरिका Ficus carica. अन्य नाम अंजीर के हैं।
  • स्वाद–मीठा हीकदार ।
  • हानिप्रद-सूखा अंजीर बिना दूध में उबालकर खाने वे यह यकृत् वा आमाशय को नुकसानदेह रहता है। अतः अंजीर को हमेशा दूध में उबालकर ही सेवन करें।
  • अंजीर के अभाव-में चिलगोजा लिया जा सकता है।।
  • अंजीर का रंग–स्याह, सुर्ख।

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