हेल्दी Lifestyle
_______________________________________________________________________
जाने– ड़ेंगू फीवर के बारे में सब कुछ, जो
आज तक नहीं जान पाये। 100 से ज्यादा
आयुर्वेदिक ग्रंथो के जरिये….
ड़ेंगू ज्वर शरीर को जर्जर बना देता है।
अमृतम आयुर्वेद शास्त्रों का एक प्राचीन
श्लोक है —-
“विषम ज्वरः चिकित्सानी:”
के अनुसार विषम, भयंकर, ख़तरनाक और
जानलेवा ज्वर, ड़ेंगू की चिकित्सा आयुर्वेदिक
दवाओं से की जा सकती है, तो फिर–
डेंगू फीवर, ज्वर-बुखार होने का इंतजार
ही क्यों करते हो?.…
जब आयुर्वेद में जबरदस्त कारगर
ज्वर नाशक ओषधियाँ हैं, जिनके सेवन से
डेंगू बुखार-मलेरिया जैसे ज्वर जन्मते
ही नहीं हैं।
जानलेवा डेंगू कभी आता ही नहीं है।
रोगी को जिंदादिल बनाता है–फ्लूकी माल्ट
जिसे खाकर आप हमेशा
ज्वर रहित, स्वस्थ्य और तरोताजा रह सकते हैं।
डेंगू ज्वर होने के कारण…..
तन, तब मलादि त्रिदोषों से घिर जाता है, तो
रग-रग में रोगों की रासलीला
शुरू हो जाती है ।
मल वृद्धि, त्रिदोष और ज्वर से घिर जाता
है, तो मलेरिया जैसे विकार उत्पन्न होने लगते हैं।
क्यों होता है–डेंगू फीवर
जाने 41 वजह
अनेक हर्बल बुक्स तथा” माधव निदान”
आदि ग्रन्थ के अनुसार लम्बे समय तक
निम्नलिखित विकार या तकलीफ शरीर में
बने रहने से विषम ज्वर, डेंगू फीवर
जैसे महारोग तन को तंगहाल कर देते हैं
【1】आलस्य, सुस्ती कमजोरी से
【2】 वात,पित्त,कफ बिगड़ने से,
【3】लम्बे समय से कब्ज हो या
हमेशा कब्जियत बनी रहती हो।
【4】पेट का निरन्तर खराब रहना,
【5】घबराहट, बेचैनी, नींद न आना
【6】एक बार में पेट साफ न होना,
【7】लेट्रिन का बहुत टाइट आना
【8】पेट व छाती में दर्द सा रहना
【9】 अम्लपित्त, एसिडिटी रहती हो,
【10】बार-बार खट्टी डकारें आना,
【11】 वायु-विकार से परेशान रहना
【12】हर समय गैस का बनना
【13】 भूख-प्यास, पेशाब कम लगना
【14】खाने की इच्छा न होना,
【15】निरन्तर मानसिक अशांति, तनाव बने
रहना और मन का सदा खराब रहने से प्रतिरक्षा
प्रणाली क्षीण होने लगती है, जो बाद में
डेंगू फीवर का कारण बनता है।
【16】हर वक्त उल्टी, ऊबकाई सी आते रहना,
【17】चिड़चिड़ाहट, क्रोध आना।
【18】पुराना निमोनिया हो,
【19】तन में सदा सर्दी बनी रहती हो या
खांसी-जुकाम से पीड़ित हो।
【20】प्रदूषण की वजह से एलर्जी रहना
【21】सिर में भारीपन बना रहना,
【22】पेट में कृमि (कीड़े) होना
【23】शरीर में खुजली सी रहना
【24】हमेशा आलस्य रहता हो,
【25】आंखों के सामने अंधेरा आना।
【26】स्वभाव चिड़चिड़ापन हो जाना,
【27】बैचेनी,चिंता,तनाव रहना
【28】शरीर का कमजोर होना,
【29】किसी काम में मन नहीं लगना
【30】शरीर पिला से पढ़ना।
【31】पुरुषार्थ की कमी,
【32】सेक्स से अतृप्ति,असंतुष्टि
【33】वीर्य का पतलापन,
【34】जल्दी डिस्चार्ज होना,
【35】 नवयौवनाओं को स्त्री रोग होना
【36】समय पर पीरियड न होना
【37】पीरियड के समय दर्द होना
【38】लिकोरिया,सफेद पानी,
【39】हमेशा व्हाइट डिस्चार्ज होना
【40】बालों का तेजी से झड़ना
【41】त्वचा का सूखा व रूखापन आदि
यदि उपरोक्त दोषों में से कुछ
लक्षण प्रतीत हों एवं इनमें से
किसी भी व्याधि से पीड़ित
या परेशान है, तो निश्चित ही शरीर
की रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर
हो चुकी है। इस कारण आप
ज्वर की जकड़ में है औऱ
आप रोग पकड़ नहीं पा रहे हैं ।
अतः सदैव स्वस्थ्य रहने के लिए
इम्युनिटी पॉवर बढ़ाये।
इसलिए सारी अकड़ छोड़ अमृतम
फ्लूकी माल्ट का 3 महीने तक सेवन करें ।
अन्यथा ज्यादा लेट-लतीफी से
पाचन तंत्र
और शरीर पूरी तरह खराब
होकर रोगों का रायता फैला सकता है।
क्या कहना है आयुर्वेद का
निम्नलिखित आयुर्वेद किताबों का
सार तत्व यही है कि
“जब तन में बढ़ जाता है,
कई तरह के “मल का एरिया” तो
एक दिन होता है डेंगू “मलेरिया” ।
जैसा वेद-पुराणों ने बताया
अमृतम ने बनाया……
आयुर्वेद की निम्नांकित स्वास्थ्यवर्द्धक
दुर्लभ 7 किताबें हजारों वर्षों से हमारी बीमारी
को ठीक करने, स्वस्थ रखने
हेतु प्रेरित करती हैं-
(१)- ज्वरान्तक चिकित्सा
(२)- हारीत सहिंता
(३)- माधव निदान
(४)- शारंगधर सहिंता
(५)- वृंदमाधव
(६)- सिद्धभेषज्यमणिमाला
(७)- स्वास्थ्य रक्षा
(७)- वैद्यकचिकित्सासार
ऐसे बहुत से संस्कृत, हिन्दी
वैदिक भाष्यों, उपनिषदों, तथा
आयुर्वेद के आदिकालीन शास्त्रों में
बताया है कि-
मल की वृद्धि तथा वात,पित्त,कफ
यानि त्रिदोष के विषम होने से पाचन तन्त्र
बिगड़ने लगता है,जिससे
!!- भूख कम लगती है ।
!!- खून की कमी होने लगती है ।
!!- वीर्य पतला होने लगता है ।
!!- सहवास-संभोग,सेक्स
के प्रति अरुचि होने लगती है ।
पाचन तंत्र में विकार होने से
!!- कोई भी दवा नहीं लगती ।
!!- हमेशा पेट खराब रहता है ।
!!- खट्टी डकारें आती हैं ।
!!- शारीरिक क्षीणता आने लगती है ।
प्रदूषण का शोषण
प्रदूषित वातावरण,
प्रदूषण के कारण
ज्वर, विषम ज्वर,
मलेरिया बुखार के
कीटाणु-जीवाणु
सबके शरीर में हमेशा
कम या ज्यादा मात्रा में निश्चित पाये
जाते हैं। जब इनकी अधिकता हो जाती है,
तो यह शरीर को जर्जर, खोखला कर
ऊर्जा हीन बना देते हैं ।
तन की शक्ति क्षीण हो जाती है ।
आयुर्वेद के ग्रंथों के अध्ययन से ज्ञात
होता है कि-
शरीर में अंदरूनी ज्वर के बने रहने
से कोई न कोई समस्या,रोग-व्याधि
हमेशा बनी रहती है ।
लेतलाली की काली छाया
लगातार लापरवाही के कारण
शरीर की प्रतिरोधक क्षमता
क्षीण व कमजोर होती जा रही है।
जिससे जीवन जीने की ताकत देने वाली
जीवनीय शक्ति
नष्ट हो जाती है ।
इस कारण हमारा तन-मन
का इतना पतन हो जाता है कि-
वर्तमान के भयँकर असाध्य रोग
जैसे-चिकनगुनिया,ड़ेंगू फीवर,
स्वाइन फ्लू, तथा अनेक आकस्मिक
फैलने वाले वायरस हमें तत्काल
बीमार कर देते हैं ।
आराम हराम है
अमृतम आयुर्वेद के शास्त्र
निर्देश देते हैं कि शरीर को जितना
तकलीफ या कष्ट दोगे, अथवा
थाकाओगे , तो वह आराम देगा
औऱ तन को जितना आराम दोगे
उतना ही ये कष्ट-रोग,व्याधि देगा ।
बहुत ज्यादा समय तक लगातार
बैठकर काम करने से भी होती हैं
ये चार बीमारियां..
★ लिवर की प्रॉब्लम,
★ लिवर में सूजन,
★ आँतो की कमजोरी,
★ गैस पास न होना
ये ऐसे अज्ञात रोग हैं जिनके कारण
पाचनतंत्र निष्क्रिय हो जाता है ।
लगातार पाचन तंत्र की खराबी से
हेमोग्लोबिन
घटने होने लगता है ।
स्वास्थ्य गिरने लगता है ।
किसी काम में मन नहीं लगता है ।
जिसका ज्ञान या ध्यान किसी को
नहीं रहता। ये अल्प रोग भविष्य
में विकराल रूप लेकर डेंगू फीवर जैसी
विकराल बीमारी पैदा कर देते हैं।
पुराने बुजुर्ग लोगों का कहना था कि-
“नारी और बीमारी”
समय पर संभालना चाहिये।
आयुर्वेदिक आचार्यों का आग्रह..
आयुर्वेद की 50000 वर्ष पुरानी
55 जड़ीबूटियों से निर्मित ओषधि
महासुदर्शन काढ़ा
55 तरह के ज्वर, बुखार, मलेरिया, डेंगू,
चिकनगुनिया आदि रोगों का जड़मूल से
नाश कर देती है। आयुर्वेद शास्त्रों में इसे
सन्सार की सर्वश्रेष्ठ ज्वरनाशक दवा बताया है।
दुनिया में प्रतिदिन प्रदूषण के चलते
डेंगू, बुखार जैसे विकार लोगों के आभूषण
बन चुके हैं।
डेंगू कभी भी, कैसे भी हो सकता है।
बुखार भले ही न हो, लेकिन बदन में लालपन,
पेटदर्द, बेचैनी व कमजोरी आदि परेशानी
होना भी डेंगू के लक्षणों में से एक है।
परिवर्तन सन्सार का नियम है….
पहले डेंगू बुखार दीपावली के बाद या
नवम्बर के प्रथम सप्ताह में खत्म हो जाता
था। अब यह बीमारी पूरे साल नर और नांरी
सहित बच्चों को ज्यादा तकलीफ दे रही है।
डेंगू फीवर का एक कारण यह भी मानते हैं
कि- दिन और रात के तापमान में दुगुने का
अंतर है। जिन लोगों को 1 या 2 दिन बुखार
आया और हल्की-फुल्की दवाओं से उतर गया
लेकिन जब मरीज की सुस्ती, आलस्य,
उल्टी कम नहीं हुई, तब विशेषज्ञों ने जांच की,
तो डेंगू पॉजिटिव निकला।
डेंगू अब ऐसी खतरनाक बीमारी बन चुकी
है कि- कभी भी, किसी की जान ले सकता है।
इससे बचने का शर्तिया इलाज आयुर्वेद में है।
आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति के मुताबिक
रोगप्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से
डेंगू फीवर जैसे बुखार तुरन्त व्यक्ति को
अपनी आगोश में ले लेते है।
विश्व के वैज्ञानिकों का मत..
विश्व अब प्राकृतिक, प्राचीन हर्बल तथा घरेलू
चिकित्सा की तरफ लौट रहा है ।
दुनिया के 20% लोग, रोग की
चिकित्सा करने के कारण गरीबी रेखा
से नीचे जा चुके हैं ।
“विश्व स्वास्थ्य संगठन”
के अनुसन्धान कर्ताओं, ने दुनिया को
चेताया है कि अंग्रेजी दवाएँ
बहुत ही ज्यादा हानिकारक हैं ।
इसके विषैले दुष्प्रभाव से
कर्कट रोग (केन्सर) नपुंसकता
जैसा पुरुष रोग तेज़ी से फेल रहा है।
अमृतम फ्लूकी माल्ट के फायदे…
बड़े-बुजुर्गों की बहुत वजनदार बात है कि-
स्वस्थ्य वही रहते हैं, जो देर नहीं करते...
इसलिए फ्लूकी माल्ट शरीर की
सुरक्षा हेतु सर्वश्रेष्ट स्वास्थ्य वर्द्धक
दवाई है। इसे एक बार 3 महीने तक
लेवें और साल भर स्वस्थ्य-मस्त रहें।
यदि सुबह-शाम लगातार इसे कायदे से लो, तो
फायदे हैं।
फ्लूकी माल्ट में आँवला मुरब्बा,
सेव मुरब्बा, हरीतकी, त्रिफला, सौंठ,
पिप्पली, कालीमिर्च, ज्वरान्तक रस,
अर्जुन छाल, चिरायता आदि
लगभग ७२ से अधिक प्राकृतिक
ओषधियों का समिश्रण है, जो
केवल हल्की-फुल्की
सर्दी-खांसी,जुकाम सामान्य बीमारी
तथा तन से पित्त के प्रकोप को भी दूर करती है।
में मिलाए गए घटक-द्रव्य शरीर में
डेंगू के कीटाणु उत्पन्न ही नहीं होने देता।
फ्लूकी माल्ट के से सेवन से
55 प्रकार के ज्वर विकार हाहाकार कर
बाहर निकल जाते हैं।
फ्लूकी माल्ट प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत
बनाता है, जिससे डेंगू फीवर जैसे जानलेवा
कोई रोग व्यक्ति का कुछ बिगाड़ नहीं पाता।
गर्मी या उष्णता अथवा सर्दी के कारण
होने वाले संक्रमण, प्रदूषण, दुषित वातावरण
से साल भर रक्षा करता है।
वर्ष में दो या तीन बार होने वाले सभी मौसमी
बुखार एवं विकार निकालने में सहायक है ।
इन छुट-पुट रोगों के होने पर फ्लूकी माल्ट
सम्पूर्ण चिकित्सा है।
इसके साथ अन्य कोई दवा लेने की जरूरत
नहीं पड़ती। यह शरीर इम्युन सिस्टम स्ट्रांग
बना देता है, जिससे कोई भी रोग
शरीर में पनप ही नहीं पाते।
हेल्दी रहने फ़ंडा…
छोटी-मोटी बीमारी में तत्काल कोई दवाई
न लेवें।इनसे मुक्त होने हेतु घरेलू या
दादी या नानी माँ के फार्मूले अथवा
अमृतम ओषधियाँ अपनाएं ।
हमेशा चिकित्सक के भरोसे न रहें।
अपना विवेक-बुद्घि भी लगाकर अनेक रोग
ठीक किये जा सकते हैं।
तुरन्त लाभ या फायदा लेने के चक्कर में
बिना चिकित्सक की सलाह के
मनमर्जी से अथवा विज्ञापन वाली दवाएँ बहुत
नुकसान पहुँचा सकती हैं।
सर्दी के सीजन में उपयोगी फ्लूकी माल्ट…
अत्याधिक लाभकारी है। ठण्ड के मौसम में
ठंडक के चलते त्ती सूक्ष्म कीड़े-मकोड़ो, कीटाणुओं-जीवाणुओं का पृथ्वी पर प्रकोप रहता है।
ठंड में आलस्य होने से डेंगू फीवर जैसी
अधिकांश बीमारियां इसी समय फैलती है ।
नदी-नालों के आस-पास गंदगी फ़ैलने से
तथा कीचड़,के कारण पूरा वायुमण्डल
दूषित हो जाता है ।
इन दिनों ही मलेरिया के मच्छर एवं डेंगू
का लार्वा बीमारियां, संक्रमण फेलाने
भूमिका निभाते हैं ।
अतः बरसात के दिनों दिनों में फ्लूकी माल्ट
का सेवन हर रोज परेशानी से रक्षा करता है ।
यह किसी तरह के रोगों को
शरीर में पनपने नहीं देता ।
अमृतम स्वास्थ्यवर्द्धक सूत्र…
★ सुबह उठते ही खाली पेट
कम से कम 2 से 3 गिलास पानी पीवें ।
★ प्रतिदिन व्यायाम-प्राणायाम,
कसरत की आदत डालें
★ रोजाना कम से कम 5000 कदम
लगभग 5 से 7 किलोमीटर पैदल चले ।
★ हर माह अपने स्वास्थ्य का
और डेंगू का परीक्षण नियमित कराते रहें।
★ हमेशा अमृतम दवाएँ घर में रखें।
हर पल आपके साथ हैं हम
इसलिए
सभी रोगों का काम खत्म…
रोज-रोज की खोज तथा अनुभवों का संग्रह
अमृतम की अमूल्य सम्पदा है।
राष्ट्र को रोग-रहित बनाने में अमृतम दिन-रात
प्रयासरत है।
अमृतम द्वारा विभिन्न रोगों के
लिये 45 तरह के हर्बल माल्ट
का निर्माण किया जा रहा है।
दुनिया की यह पहली हर्बल
माल्ट (अवलेह) बनाने वाली
आयुर्वेदिक कम्पनी है ।
यह माल्ट जैम की तरह स्वादिष्ट
एवं स्वास्थ्य वर्द्धक हैं। आयुर्वेद में
इन्हें अवलेह भी कहा गया है।
अमृतम के सभी माल्ट
1-आँवला मुरब्बा,
2-सेव मुरब्बा,
3-हरीतकी मुरब्बा
4-करोंदा मुरब्बा
5-पपीता मुरब्बा,
6-बेल मुरब्बा,
7-गाजर मुरब्बा
8-गुलकन्द आदि
तथा
9-बादाम मेवा
10-त्रिकटु व त्रिसुगन्ध
जैसे मसाले और प्रकृति प्रदत्त
11-जड़ीबूटियों के काढ़े
से निर्मित किये जाते हैं !
इनमें–
■ दिमाग की शान्ति हेतु
■ वात रोगों के लिये
■ बाल बढ़ाने के लिये
कुन्तल केयर हर्बल हेयर माल्ट
अमृतम की सर्वाधिक
बिक्री होने वाली दवाएं हैं।
अमृतम अब विदेश में...
अपनी गुणवत्ता के कारण मात्र 4 वर्षों में
अब अमृतम ने विदेश में भी सम्मान पूर्वक
स्थान बना लिया है।
अमृतम अब ऑनलाइन….
इन सब अमृतम दवाओं की
जानकारी हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है ।
इन ओषधियों को ऑनलाइन घर बैठे
आसानी से मांगवा सकते हैं।
आयुर्वेद के फायदे…
1 से 2 चम्मच गुनगुने दूध या गर्म पानी
के साथ जीवन भर लेते रहें, तो व्यक्ति
बखर का शिकार नहीं हो पाता।
नाश्ते या खाने के साथ ब्रेड,पराठे,
रोटी पर जैम की तरह लगाकर
भी ले सकते हैं।
सत्यम-शिवम-सुंदरम वचन…
जल्दी आराम के चक्कर में
तन का पतन न करें।
तन ही हमारा वतन है।
मात्र अंग्रेजी या विषदायी चिकित्सा
के भरोसे न रहें। ये शरीर के लिए
बहुत भयँकर हानिकारक हैं ।
प्राकृतिक,घरेलू चिकित्सा करें ।
प्राचीन अमृतम आयुर्वेदिक पद्धति अपनाएं।
हर्बल ओषधियों का अधिक से अधिक
सेवन करते रहें।
अमृतम फ्लूकी माल्ट करें
यह पूर्णतः आयुर्वेदिक ओषधि है ।
इसमें मिलाया गया
“चिरायता”
“महासुदर्शन काढ़ा”
“कालमेघ”
“शुण्ठी-पिप्पलि,मारीच”
आँवला,सेव,गुलकन्द मुरब्बा ।
आदि औषध शरीर के अंदरूनी
ज्वर,मलेरिया, ड़ेंगू एवं अनेक विषरूपी मल
को नष्ट कर देती हैं।
के नियमित उपयोग से
जीवनदायिनी कुदरती खूबियाँ,
खूबसूरती, सुंदरता
ज्यों की त्यों बनी रहती हैं ।
यह सर्वरोग नाशक तथा
स्वास्थ्य वर्द्धक भी है
पाचन तन्त्र को मजंबूती देकर
भूख व खून में वृद्धि करता है।
में ऐसी प्राकृतिक हर्बल
जड़ीबूटियों का अनुपातिक मिश्रण है
जो शरीर में सभी प्रकार के
विटामिन्स,
प्रोटीन,
मिनरल्स एवं
खनिज पदार्थो
की पूर्ति कर तन के असाध्य व अज्ञात
मल,विष तथा दोषों को दूर करने में
सहायता करता है ।
पाचन शक्ति मजबूत बनाकर
मांसपेशियों और
हड्डियो को ताकत- शक्ति
देकर प्रभावी ईंधन का काम करता है ।
का फार्मूला आयुर्वेद की
प्राचीन पुस्तकों से लिया गया रामबाण नुस्खा है।
हर्बल ओषधि है जो शरीर में जाते ही
शारीरिक ताकत को दोगुना कर देती है ।
यह शक्तिवर्द्धक भी है।
दर्द दूर भगाए-
के निरन्तर सेवन से बुखार, डेंगू, चिकिनगुनिया
के बाद कि कमजोरी तथा
जकड़न-अकड़न,जोड़ों का दर्द,
कमर दर्द,गले का दर्द,थायरॉइड,
सूजन भी दूर करने में असरदायक है।
शरीर के अंदर पनप रहे,
डेंगू के कीटाणुओं एवं अंदरूनी रोगों को
जड़ से मिटा देता है ।
यदि नई उम्र के युवक-युवतियाँ
जिन्हें लम्बे समय तक बैठकर
काम करना पड़ता है,उनके लिए
फ्लूकी माल्ट बहुत ही ज्यादा
लाभकारी दवा है ।
फ्लूकी माल्ट का सेवन उदर विकारों
को मिटाने के लिए भी कर सकते हैं ।
लॉगिन करें-
www.amrutam.co.in
और पढ़े
अमृतम पत्रिका
Leave a Reply