जोड़ों, घुटनों और कमर दर्द के लिए
रामबाण आयुर्वेदिक अवलेह है।
यह टूटी हड्डियों को जल्दी जोड़ता है।
शारीरिक कमजोरी मिटाता है।
वात रोग के कारण घटती मर्दाना ताकत
पुनः लौटाता है।
औऱ भी अनगिनत फायदे जाने….
■ अस्थि भांग की अस्थिरता दूर करता है।
■ आर्थराइटिस से उत्पन्न सूजन हर लेता है।
■ अनियमित मासिक धर्म की वजह से होने
वाली बीमारियों को तुरन्त ठीक करता है।
■ जिन लोगों को सर्दी ज्यादा लगती है, उनके शरीर में अंदरूनी गर्माहट देकर कम्पन्न दूर करता है।
■ कण्ठ पेशियों के पक्षाघात से बचाव
करता है।
■ वात की अधिकता से उपजे महिलाओं के मासिकधर्म की तकलीफों को ठीक करने में सहायक है।
बबूल का गोंद, गुग्गल, सलाई गुग्गल, शुद्ध शिलाजीत, एकांग वीर रस, निर्गुन्डी,
स्वर्णभस्म, रास्नादी काढ़ा, सहजन छाल
वृहत वात चिंतामणि रस (स्वर्णयुक्त)
सफर्ड मूसली आदि असरदायक ओषधियों
का मिश्रण है, जो 88 प्रकार के वात विकारों को समूल नष्ट कर देता है।
आयुरवेद का अनोखा हर्बल सप्लीमेंट
है, जो वात रोगों को मिटाकर रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करता है।
बुजुर्ग लोगों के लिए इम्यूनिटी बूस्टर है।
ग्रंथिशोथ यानि थाइराइड की अंदरूनी
समस्याओं का निदान करता है।
कम से कम 1 महीने से तीन महीने तक दूध के साथ सेवन करें।
कम उम्र वाले युवक-युवतियां भी इसे ले सकते हैं। इसे आयुरवेद की निरापद
!! अमृतम पत्रिका !!
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