- कोनसे सपने शुभकारी हैं और किस तरह के स्वप्न नुकसान करते हैं तथा सपनों के फल क्या हैं?… अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के इस लेख से जाने-वेद-पुराण मत्य ज्ञान…
- सपना सुबह का हो या रात जरूर सच होते हैं। लेकिन ये सपने सोने नहीं देते। वैसे भी सपने वे नहीं होते, जो सोने के बाद आते हैं। सपने तो व्यक्ति को सोने ही नहीं देते।
- आलस्य त्यागो, शरीर को स्वस्थ्य-चुस्त रखो। है सपने आप साकार कर सकते हो।
- सपने अवश्य देखो ओर उन्हें पुरा करने के लिए जी तोड़ कोशिश करो। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
- जब तक गहरी नींद न आये, तब तक काम करते रहो या पढ़ने की आदत बनाओ। शिक्षा वो शक्ति है कि दुनिया उसकी भक्ति करने लगती है।
- मीडिया ने यह भ्रम फैला रखा है 8 से 10 घण्टे की नींद लेना जरूरी है अन्यथा दिमाग कमजोर व डिप्रेशन हो जाएगा।
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- दुनिया के सभी सफल बड़े लोग और राष्ट्र अध्यक्ष 3 से 4 घण्टे सोकर नींद पूर्ण कर लेते हैं।
- याद रखें कि जितना ज्ञान और ध्यान बढ़ेगा उतना ही धन तथा आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- शिव सन्त कहते हैं ” धन ध्यान बिना नहीं बढ़ता, चाहें करलो लाख उपाय”…
- आयुर्वेद सहित अनेक उपनिषद, पुराणों में स्वप्न के बारे में विस्तार से बताया है।
- * स्वप्न सरोवर ग्रन्थ में लिखा है कि
- सृष्टि के प्रारम्भकाल से ही मनुष्य स्वप्न देखता चला आ रहा है। मनुष्य ही क्या स्वयं सृष्टि रचेता तत्व भी स्वप्न सरोवर की मार्मिक कल्पना में लिप्त रहता है।
- ऋग्वेद एवं उपनिषदों में स्वप्न विषयक बहुविध वर्णन मिलता है। साथ ही स्वप्न हेतु मंत्र सिद्धि साधना का विवेचन भी है, उसे साधना से स्वप्न में कार्यसिद्धि वा असिद्धि हित दिग्दर्शन हो जाता है।
- स्वप्न फल हेतु जीव की प्रकृति शरीर स्थिति पर ही प्रतिफल स्पष्ट बनता है। यथा –
यस्य चित्तं स्थिरी भूतं समधातुश्च यो नरः!
तत्प्रार्थितं च बहुशः स्वप्ने कार्य प्रद्दश्यते॥
चिन्ता च प्रकृतिश्चैव विकृतश्च तथा भवेत्।
देवा: पुण्यानि पापानीत्येवं हि जगतीतले!!
- अर्थात् -जिसस्वस्थ्य मनुष्य का चित्त स्थिर शुद्ध तथा सप्त धातु वा त्रिदोष सम अवस्था में है। उसके सदेच्छा से ही स्वप्न में फलद कार्य प्रतीत होते हैं।
- विपरीत स्थिति में स्वप्न फलद नहीं होते हैं। चिन्ता, प्रकृति, विकृति, देव इष्ट एवं पाप पुण्य गति आदि स्थिति से भी स्वप्न होते हैं।
- शास्त्रीय सारगर्भित अभिमत यह कि रात्रि के प्रथम प्रहर में स्वप्न से १ वर्ष में फलद, प्रात:कालीन, स्वप्न 7 दिवस में फलद, जबकि देखने वाला पुन:शयन नहीं करे।
रोगचिन्तोद्भवा व्यर्थाश्चिरपाकादिवीक्षताम्
रतेर्हासाच्चशोकाच्च भयान्मूत्रपुरीषयोः। प्रणष्टवस्तुचिन्तातो जातः स्वप्नो वृथा भवेत्॥
- अर्थात- स्वप्न श्लोकनुसार अस्वस्थ्य, रोगी व चिन्ताग्रस्त उन्माद, शोक, भय, मूत्रशौच वेगी व्यक्ति का स्वप्न व्यर्थ होता है।
- मुगालता मुक्त रहें…शरीर में कफ का वेग होने से सुखदस्वप्न तथा पित्त वेग से भयावह दृश्य वात प्रकृति जीव उन्नति चढना, तेज गति, विवाद आरोहण आदि दृश्य प्राप्त करता है।
स्वप्नमिष्टं च दुष्टा यः पुनः स्वपिति मानवः।
तदुत्पन्नं शुभ फलं स नाप्नोतीतिनिश्चितम्।।
- शुभ स्वप्न देखकर सो जाना फलकारक नहीं। अपितु तुरन्त जाग, स्नान करके भगवान सूर्यदेव की स्तुति, प्रात: शिवादि देवपूजन, शिवलिंग पर दूध अर्पित करना हितदायक रहता है।
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- वयो वृद्ध व्यक्ति को स्वप्न कहें तो सार्थकता बनती है। तथा-
अनिष्टं प्रथमं दृष्टवा तत्पश्चात्स स्वपेत्पुमान्।
रात्रो वा कथयेदन्यं ततो नाप्नोति तत्फलम्॥
- अर्थात-अशुभ स्वप्न को देखकर शयन करना और रात्रि में ही उसे दूसरे से कह दें, तो अनिष्ट फल नहीं बनेगा। अथवा प्रात: तुलसी पौध के आगे उस स्वप्न फल को कहें तो दुष्फल प्राप्त नहीं होवे! शास्त्र ऐसा कहते हैं।
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- अशुभ स्वप्न के उपलक्षण प्रतिफल यह कि स्वप्न में आकाश तारा, ग्रहण, ध्रुवतारा, सूर्यदर्शन, स्वर्ण देखना, रोग पीडाकारक।
- बेकार के सपने कोनसे होते हैं-जाने… सपने सभी अपने नहीं होते। स्वप्न या सपने में निम्नलिखित बस्तुएं दिखें, तो सावधान हो जाएं और तुरन्त 3 दीपक अपने पितरों-पूर्वजों के निमित जलाएं। पशुओं का चारादि खिलाएं।
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- स्थूल पुरूष का पतला होना या
- कृश पुरूष पुष्ट होवे,
- स्वभाव का परिवर्तन,
- कबूतर, गिद्ध, कौवा,
- राक्षस आकृति,
- विद्युत दर्शन,
- लाल-काला वस्त्र धारित स्त्री,
- हंसता हुआ सन्यासी,
- कीचड़ में दबना, केश,
- अंगारे, भस्म,
- नदी को सूखते देखना,
- भूखे या क्षुधातुर होना,
- दांत घिसना, उंट-गधे की सवारी,
- गड्डे में पतित होना और निकल नहीं सके,
- अग्नि प्रवेश, मरणदृश्य आदि स्वप्न स्वास्थ्य हित शुभद नहीं होते तथा इन्हें रोग पीड़ा परिचायक समझें।
- झूलना, गीत गाना, खेलना,
- हंसना, बोलना, फोडना, डूबना,
- काले वस्त्र धारितस्त्री से प्रेम तथा भाव,
- घी-कीचड़गोबर-तेल से लिप्त होना,
- श्वान, सियार, मुर्गा, बिलाव, नेवला,
- नाग-सर्प, मक्खी, बिच्छु को देखना अनिष्ट अशुभ सूचक रहता है।
- प्रियवस्तु का अपहरण होना,
- दाढी बनवाना,
- पकवान-मिष्ठान भोजन करना,
- किसी वस्तु की चोरी करना,
- सूखा वृक्ष, कारीगर,
- देवमन्दिर, पर्वत, शिखर,
- ध्वजा आदि दर्शन भी नेष्ट फल सूचक समझना चाहिये।
- छाछ, कपास को छोडकर सफेद वस्तु देखना तथा गाय, हाथी, कालेवर्ण के ब्राह्मण को छोडकर अन्य सभी काली वस्तु देखना नेष्ट सूचक अर्थात ठीक या शुभदायक नहीं होते।
- सपने में अगर विशाल सींग-दाँत वाले जानवर, भयानक पुरूष, राक्षस, आँधीतूफान देखना अशुभ उपलक्षक हैं।
- नवीन मतानुसार पानी में डूबना, सूखे गिरते वृक्ष, शीशे का टूटना, विशाल खाली मकान देखना अशुभ संकेत प्रदायक लिखा है।
- अच्छे सपने ओर उनका फल…शुभ लक्षण सूचक स्वप्न हित प्रतिफल यह कि –
- सज्जन पुरूष, मंत्री, अधिकारीगण, देवता, श्वेत वस्त्र धारित स्त्री, हाथी सिंह, घोड़ा, गाय, कमल, रत्न, चांदी, दही, जौ, गेहूँ, सरसों, फल, दीपक, कन्या, चन्दन, गन्ना, फलयुक्त वृक्ष, भोजन, रोदन रोना, संगीत श्रवण, नौका विहार, विष्ठा मूत्र से सनना, अगम्या से सम्भोग आदि दृश्य स्वप्न शुभ फलद होते हैं।
- ये सपने कामयाबी का प्रतीक होते हैं…प्रकारांतर से दाहिने हाथ में श्वेत सर्प का दंश, रूधिर स्नान, मांस भक्षण, स्वयं को मृतक देखना कादि।
- मकान जलना, जल से नहाना, प्राय: शराब पीना, पीले वा लाल पुष्प का पाना, जहरीले नाग द्वारा काटना, खून निकलना, स्वकीय बंधन होना, भूमि या पर्वतों का लांघना उछलना आदि।
- कर्म शुभ सूचक तथा सन्यासी, ब्राह्मण, पितर, पिता, मित्र, देवता, अधिकारी विशेषगण जो स्वप्न में शुभाऽशुभ कहते हैं वे वचन भी सत्य सिद्ध होते हैं।
- स्वप्न में कोई व्यक्ति दूसरे का वध या अपना बंधन अथवा किसी की निंदा करे।
- स्वयं की जय, शत्रु की पराजय देखना, विष खाकर मरना, शिखर वा पर्वत पर चढकर बिना श्रम उतरना,
- मूत्र शौच का शरीर में लगना शुभ सूचक होता है।
- कोई अगर सपने में अपना घर गिराकर, नया घर बनावें वह व्यसनों से मुक्त हो जाता है।
- शोक से दु:खित होकर स्वप्न में नदी, कमल, बगीचा, पर्वत देखे वह शोक मुक्त हो जाता है।
- स्वप्न में शोक-रोदन-मरण-परिताप, दृश्य सुख वृद्धिकारक जानें।
- स्वप्न में फल-फूल खाना तथा देखना स्वकीय विवाह स्मृति दृश्य, हाथीघोडे की सवारी, भूमि पर पतित होकर फिर उठ जावे, उत्तम शय्या पर शयन, बहुत वर्षा, ज्वालारहित अग्नि देखाआदि भी शुभ सूचक बताया है।
- सर्वश्रेष्ठ स्वप्न, जो तत्काल फल देते हैं…स्वप्न में पितरों का दर्शन होने से वंश वृद्धि सुयोग तथा लाभ-आमद वृद्धि योग कारक रहते हैं।
- शीतल जल स्नान, वृक्ष पर चढना, नौका विहार एवं समुद्र नदी जलाशय में तैरना।
- मित्र बन्धु को गहने पहने देखना,
- चतुरंगिणी सेना सेना दर्शन, अस्त्र-शस्त्र
- स्त्री सम्भोग क्रिया,
- केला, नीम्बू, सफेद मेघ, चमेली, तिल, अनार, अखरोट, खिरनी, सुपारी, नारियल, चन्दन, लौंग, इलायची, लाल पुष्प तथा विविध धातुओं का ढेर स्थापित करते देखना सुख सूचक समझना चाहिये।
- स्वप्न में अगर साक्षात् देवी लक्ष्मी के दर्शन हो जाएं, तो जीवन में धन-सम्पदा का विकास होना निश्चित माने।
- स्वर्णमुद्रा-सिक्के-जेवर आदि स्वप्न में दिखे अथवा प्राप्त होवे, तो प्राचीन मतानुगत पीड़ाकारक तथा नवीन लोक मतानुसार भावी लाभ की रचना बनें ।
- तथापि इनका खो जाना अथवा बाँटना आदि नजर आवे तो भावी रूप में आर्थिक दुःविधा विषमता बनें।
- सपने में धन मिलने से पुरस्कार प्राप्त होने का भी संकेत समझें तथा स्वप्न में हाथी गजराज का दिखना भी शुभ सूचक होता है।
- गौतम बुद्ध की मातुश्री को जब स्वप्न में सफेद हाथी के दर्शन हुए, तो दिव्य शिशु का जन्म बना।
- सपने में हाथी की सवारी करना अथवा दर्शन होना भावी ऋद्धि-सिद्धि तथा पदोन्नति का प्रारूप चरितार्थ होता है।
- साथ ही नवीन मित्र सहयोगीगण की रचना बनें तथा स्वयं की मृत्यु-अन्त्येष्टि, -श्मशान-शव लाश देखना शुभ सूचक उपलक्षण बताया है।
- तथापि सभी विषयक स्वप्न का शुभाऽशुभ प्रतिफल तब ही मान्य समझें जबकि नर-नारी-जीव का शारीरिक तन्त्र स्वस्थ एवं वात-पित्तकफ आदि त्रिदोष सन्तुलित होवे, तब ही स्वप्नफल सार्थक समझें। अन्यथा स्वप्न फल निरर्थक ही निर्मूल समझें। –
दुःस्वप्न नाशक मंत्र ब्रह्मवैवर्तपुराणान्तर्गत….
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं पूर्वदुर्गतिनाशिन्ये महामायायै स्वाहा।
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- इस मन्त्र को स्नानादि से पवित्र होकर १० बार जपने से दुःस्वप्न नहीं दिखते हैं तथा श्रीगजेन्द्रमोक्ष स्त्रोत का पाठ करने से -भी दुःस्वप्न दर्शन नहीं होकर शुभत्व स्वप्न आने लगते हैं।
- !!ॐ शम्भूतेजसे नमःशिवाय!! का निरंतर जाप भी शुभ स्वप्न लाकर 3 वर्ष में ही अनेक प्रकार की सुख-समृद्धि, धन-सम्पदा प्रदान करता है। एक बार कोशिश और अभ्यास करें। जीवन बदल जायेगा।
स्वप्न सिद्धि प्रदायक मन्त्र…
- ॐ ह्रीं श्रीं ऐंचक्रेश्वरि चक्रधारिणि शंखचक्रगदा धारिणी मम स्वर्ण प्रदर्शय स्वाहा।।
इस मंत्र को ११०८ बार जपने से सिद्धि होती है अथवा रात्रि में १०८ बार जपकर सोवें, तो स्वप्नेश्वरी प्राप्त होकर स्वप्न में शुभाऽशुभ कहती है और गुप्त सिद्धियां, वाणी शक्ति आने लगती है। ज्योतिष ज्ञान में वृद्धि होती है।
विशेष यह भी कि स्वप्न शास्त्र मनोवैज्ञानिक शास्त्र है, मन तथा मस्तिष्क से इसका प्रगाढ सम्बंध है।
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