फिलहाल तो कोरोना का टीका आने वाला है नहीं। यदि आ भी जाएगा, तो उसके अनेक साइड इफ़ेक्ट होंगे। दरअसल यह संक्रमण इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से फैल रहा है और इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए सादा जीवन उच्च विचार सर्वश्रेष्ठ उपाय है।
घर का शुद्ध खानपान आपको स्वस्थ्य रखेगा। अच्छी सोच से ही अब सितारे बदलेंगे। रसायनिक दवाओं का समय अब जल्दी जाने वाला है।
अमृतम आयुष की काढ़ा पूरे परिवार को सुबह खाली पेट पिलाएं। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करेगा।
जो लोग समय पर नहीं चेतेंगे वे इलाज कराने के चक्कर में गरीबी रेखा के नीचे आ जाएंगे।
अभी कोरोना वेक्सीन बहुत बड़ा व्यवसाय है। इसकी खोज हो भी गई, तो कोई भी देश तैयार नहीं होगा।
क्योंकि यह बहुत बड़ा आमदनी का जरिया होगा। सब एक दूसरे की काट करेंगे।
सन्सार के सभी धर्म-शास्त्र के प्रत्येक
पात-पात पर लिखा है कि- स्वस्थ्य शरीर,
मन को मजबूत कर मनोबल बढ़ाता है।
इसके लिए अकेले दवा ही नहीं, दुआ और
दम लगाकर कसरत, मेहनत करना भी
जरूरी है।
कफ-पित्त-वात के नाश होने
से ही इम्युनिटी में वृद्धि होती है।
कहने का आशय यही है यदि शरीर साथ दे,
तो बात बनती चली जाती है अन्यथा व्यक्ति
दर-दर की लात खाकर अपने दिन-रात एवं हालात बिगाड़ लेता है। क्योंकि अच्छा
स्वास्थ्य 100 हाथ के बराबर है। निरोगी पर
श्रीनाथजी
भी अपनी कृपा की बरसात करते रहते हैं। कोई भी विकार, चार पुरुषार्थ में बाधक है।
च्यवनप्राश के आदि अविष्कारक महर्षि चरक द्वारा लिखे गए ग्रन्थ चरकसंहिता सूत्रस्थानम् – १/१४ में एक विशेष स्वास्थ्य वर्द्धक श्लोक का हवाला दिया है-
धर्मार्थकाममोक्षाणाम् आरोग्यं मूलमुत्तमम्! रोगास्तस्यापहर्तारः श्रेयसो जीवितस्य च!!
अर्थात-
धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का मूल (जड़)
उत्तम या उन्नत स्वास्थ्य और आरोग्य ही है। अर्थात्
इन चारों की प्राप्ति हमें देह को
स्वस्थ्य रखे बिना नहीं मिल सकती।
स्वास्थ्य क्या है-जाने अथर्ववेद से....
वात अर्थात वायु एवं आकाश,
पित्त अर्थात अग्नि एवं जल,
कफ अर्थात जल एवं पृथ्वी।
ये सब एक निश्चित अनुपात में हों, तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है। यदि शरीर में इन तीनो का संतुलन बिगड़ जाए, तो लोग अनेक तरह
आधि-व्याधि, विकारों और संक्रमण या
वायरस से घिर जाते हैं।
आँवला, गिलोय, त्रिकटु, दालचीनी, चतुर्ज़ात, अष्टवर्ग, हरीतकी, द्राक्षा
आदि ओषधियाँ त्रिदोष नाशक होने के साथ-साथ कई प्रकार के संक्रमण, ज्वर, वायरस से शरीर की रक्षा करने में सहायक हैं।
रोगप्रतिरोधक क्षमता, बढ़ाने वाली उपरोक्त जड़ीबूटियों का मिश्रण है-
अमॄतम च्यवनप्राश
शरीर का इम्युनिटी पॉवर इतना स्ट्रांग बना
देता है, जिससे कभी कोई संक्रमण अथवा
बीमारी उत्पन्न ही नहीं होती।
अमॄतम च्यवनप्राश
वात, पित्त, कफ को
विषम नहीं होने देता। त्रिदोष को जड़ से
दूर करने में सहायक है।
इसके अलावा अमृतम च्यवनप्राश –
उम्ररोधी (एंटीएजिंग) ओषधि भी है।
एक प्राचीन हर्बल मेडिसिन…..
5000 वर्ष पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ
महर्षि चरक द्वारा रचित “चरक सहिंता”
के मुताविक 54 से अधिक जड़ीबूटियों, रस -रसायनों से युक्त “अमृतम च्यवनप्राश” पूर्णतः शास्त्रोक्त विधि से निर्मित किया जाता है, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।अमॄतम च्यवनप्राश उन लोगों को अधिक पसन्द आएगा जो शुद्धता की तलाश में हैं।पैकिंग – 400 ग्राम काँच के जार में
ग्राहक मूल्य – ₹- 1849/-
सर्दी खांसी, जुकाम, ज्वर की शिकायत हो, तो अपने घर में हमेशा फ्लूकी माल्ट रखें। इसे दूध या पानी के साथ खाते-खिलाते रहें। यह एक बेहतरीन हर्बल इम्युनिटी बूस्टर है।
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